Survey Report, धनबाद न्यूज (संजीव झा) : धनबाद के ग्रामीण इलाकों में उच्च रक्तचाप (हाइ बीपी), मधुमेह, हार्ट, किडनी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालांकि, अब भी शहरवासियों की तुलना में यहां के ग्रामीण इलाकों में टीबी के मरीजों की संख्या राज्य के दूसरे इलाका से कम है. फिजिशियन कहते हैं कि जीवनशैली में बदलाव इसकी बड़ी वजह है. अब गांव-शहर की जीवनशैली में ज्यादा अंतर नहीं रह गया है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाये जाने की जरूरत है.
हाइ बीपी, शुगर, किडनी, हार्ट की बीमारी सामान्यत: ग्रामीणों को कम होती थी. इसकी वजह ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का लाइफ स्टाइल शहरवासियों की तुलना में ज्यादा व्यवस्थित होना माना जाता था. ग्रामीण क्षेत्र में लोग शारीरिक मेहनत भी ज्यादा करते थे, लेकिन कोविड 19 की दूसरी लहर के बाद गांव-गांव में जिला प्रशासन की तरफ से चलाये जा रहे सर्वे में चौंकाने वाली बातें सामने आयी है. सर्वे में सर्दी-खांसी, बुखार के साथ-साथ टीबी, हाइ बीपी, शुगर, हार्ट मरीजों वाले लोगों का भी जिक्र है. किडनी रोगियों की चर्चा तो सर्वे में नहीं है, लेकिन यहां के बड़े डॉक्टरों के अनुसार ग्रामीणों में किडनी की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है. डॉक्टरों के अनुसार इसकी बड़ी वजह ग्रामीण क्षेत्र में तेजी से बढ़ता शहरीकरण तथा खान-पान में बदलाव है. ग्रामीणों में भी फास्ट फूड का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है.
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प्रखंड टीबी शुगर हाइ बीपी, हार्ट डिजीज
बाघमारा 232 3517 3339
बलियापुर 78 919 753
धनबाद 105 2118 2306
एग्यारकुंड 51 585 404
गोविंदपुर 88 726 541
केलियासोल 82 379 244
निरसा 60 326 206
पूर्वी टुंडी 67 144 80
तोपचांची 137 1478 1084
टुंडी 32 185 91
कुल : 932 10,377 9048
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Also Read: Coronavirus In Jharkhand : कोरोना की रफ्तार धीमी होते ही बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से हवाई सफर करने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ी, पढ़िए क्या कहते हैं अधिकारीफिजिशियन डॉ एनके सिंह कहते हैं कि ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के लोगों के लाइफ स्टाइल में बहुत अंतर नहीं रह गया है. गांवों में लोग फास्ट फूड खा रहे हैं. जो चीजें शहर में बिक रही हैं. लगभग वहीं खाद्य सामग्री गांवों में भी उपयोग हो रहा है. साथ ही ग्रामीण भी अब पहले की तरह शारीरिक मेहनत नहीं कर रहे हैं. इसके बावजूद आज भी शहर के मुकाबले गांवों में इन बीमारियों से ग्रसित होने वालों की संख्या लगभग आधी है. गांव में रहने वालों को भी जागरूक होने की जरूरत है.
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