Jharkhand News: झारखंड के धनबाद जिले के वासेपुर की तस्वीर बदल रही है. वासेपुर इलाके में शिक्षा की बयार बहने लगी है. हम बात कर रहे हैं वासेपुर के नूरी मस्जिद मोहल्ले के आलम परिवार का. सैयद अहसन आलम बारूद कारोबारी थे. उनकी इच्छा थी कि उनके बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर के रूप में देश व समाज की सेवा करें. बच्चों ने उनके सपने को पूरा किया. तीन बेटे डॉक्टर बने तो एक इंजीनियर, वहीं तीन का अपना कारोबार है.
सैयद अहसन आलम के पुत्र एवं सदर अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ मासूम आलम के अनुसार पिता की जब मौत हुई तो उन लोगों की काफी उम्र थी. इसके बावजूद सभी भाइयों ने तय किया कि शिक्षा पर फोकस करना है. इसके साथ ही वासेपुर इलाके में कैसे शिक्षा को बढ़ावा दिया जाये. इस पर भी चिंतन किया. वर्ष 1991 में ही पिता के नाम पर वासेपुर में अहसन आलम इंटर कॉलेज शुरू किया. यह कॉलेज आज भी चल रहा है. एक फीजिशियन, दूसरा शिशु रोग, तीसरा डेंटिस्ट.
Also Read: Fodder Scam Case: चारा घोटाला के 5वें मामले में लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा, 60 लाख रुपये जुर्मानाकटिहार से एमबीबीएस करने के बाद डॉ मासूम ने पीएमसीएच धनबाद से इंटर्नशिप, हाउस जॉब किया. इसके बाद कुछ वर्षों तक रेल अस्पताल में काम किया. बाद में झारखंड में ज्वाइन किया. फिलहाल सदर अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर तथा एसएनएमएमसीएच पीजी ब्लॉक स्थित कोविड केयर सेंटर के प्रभारी भी हैं. कोविड के पहले एवं दूसरे चरण में जोनल ट्रेनिंग सेंटर भूली में बने कोविड सेंटर के प्रभारी भी रहे. उनके एक छोटे भाई डॉ मशीर आलम शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. कुछ दिनों तक सरकारी नौकरी करने के बाद निजी क्लिनिक चलाना शुरू किया. एक भाई डॉ टक्की आलम ने दरभंगा से बीडीएस किया. अभी निजी अस्पताल में दंत चिकित्सक के रूप में कार्य कर रहे हैं.
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