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62 वर्षीय भोलानाथ के जुनून को देखिए, गांव में पानी की समस्या देख खोद डाले 3 तालाब और एक कुआं

Jharkhand News (निरसा बाजार, धनबाद) : झारखंड के धनबाद जिला अंतर्गत निरसा प्रखंड के रंगामाटी पंचायत स्थित महारायडीह टोला निवासी 62 वर्षीय वृद्ध भोलानाथ सिंह अपने गांव में भयानक रूप से पानी की समस्या को देखते हुए एक बड़ा और दो छोटा तालाब समेत एक कुआं खोद दिया. भोलानाथ के इस जुनून की हर तरफ प्रशंसा हो रही है. भोलानाथ ने साल 2010 से काम शुरू किया जो अब तक जारी है.

Jharkhand News (अरिंदम/सुबल, निरसा बाजार, धनबाद) : झारखंड के धनबाद जिला अंतर्गत निरसा प्रखंड के रंगामाटी पंचायत स्थित महारायडीह टोला निवासी 62 वर्षीय वृद्ध भोलानाथ सिंह अपने गांव में भयानक रूप से पानी की समस्या को देखते हुए एक बड़ा और दो छोटा तालाब समेत एक कुआं खोद दिया. भोलानाथ के इस जुनून की हर तरफ प्रशंसा हो रही है. भोलानाथ ने साल 2010 से काम शुरू किया जो अब तक जारी है.

करीब 26 वर्ष पूर्व उन्होंने फौजी की नौकरी छोड़कर वर्ष 1989 में गांव आ गये. बिहार रेजीमेंट में इनका ज्वाइनिंग हुआ था. इसके बाद 3 वर्ष तक पंजाब, डेढ़ वर्ष हरियाणा एवं 4 वर्ष बिहार में काम किये. उस समय फौज में 12 वर्ष का ही काम लिया जाता था.

11 वर्ष बाद किसी बात को लेकर उनका फौज में विवाद हो गया और वह नौकरी छोड़कर अपना घर वापस आ गये. भाग्य भी साथ नहीं दिया. उनके नौकरी व सर्टिफिकेट का सारा कागजात घर आने के क्रम में ट्रेन से ही गुम हो गयी. जिसके कारण उन्हें आज तक किसी प्रकार का सरकार की ओर से नौकरी की एवज में कोई सरकारी लाभ नहीं मिल पाया.

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अभी भी जारी है काम, एक बड़ा व दो छोटा तालाब बनाया

गांव पहुंच कर उन्होंने देखा कि घर एवं आसपास की महिलाएं करीब दो-तीन किलोमीटर दूर जाकर पानी लाती है. इस घटना से मानो उनके मन में एक व्यथा उत्पन्न हुई. इसके बाद उन्होंने अपने घर के खलिहान में एक कुआं खोद डाला. हाल के वर्षों में उनके द्वारा तीन तालाब बनाया गया है. करीब 100 फीट चौड़ा एवं 26 फीट गहरा एक तालाब से गांव के लोग अपने जरूरतों को पूरा करते हैं.

कृषि कार्य में भी तालाब के पानी का उपयोग करते हैं. इसके अलावा भी उन्होंने गांव में ही दो छोटा- छोटा तालाब बनाया है. यहां भी इसमें भी पर्याप्त मात्रा में पानी रहता है. प्रभात खबर के साथ बातचीत करते हुए तन-मन से फौजी दिमाग का भोलानाथ सिंह ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं हो सकती है. जब हमारे गांव की बहू-बेटी को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलेगा. पानी लाने के लिए कोसों दूर जाना पड़ेगा. तो फिर विकास किस बात का.

उन्होंने कहा कि जिस बड़ा तालाब का निर्माण उन्होंने लगातार एक वर्ष तक कड़ी मेहनत कर बनाया है उसे और भी गहरा और चौड़ा बनाने का प्रयास किया जा रहा है. आज भी हर दिन सुबह वह अपने कुदाल- गैंता लेकर तलाब चले जाते हैं. कभी गहराई का काम किया जाता है, तो कभी चौड़ा करने का काम किया जा रहा है. जल संरक्षण भी आवश्यक है. लोगों को जल संरक्षण करना चाहिए. जिस स्तर पर पानी का लेयर दिन प्रतिदिन घटते जा रहा है. उसमें जल संरक्षण आवश्यक है.

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श्री सिंह के अनुसार, गर्मी के समय जब तालाबों की पानी कम हो जाती है, तो उनका मन ज्यादा व्यतीत हो जाता है. गांव के इस टोला की आबादी करीब 500 की है. कड़कड़ाती की धूप में भी प्रतिदिन 6 से 8 घंटे तालाब में खुदाई के काम करने लगते हैं. इसके अलावा श्री सिंह खेती-बारी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं.

उनका एक पुत्र किसी प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं जबकि तीन पुत्र कृषि कार्य सहित गांव में ही काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. उनकी 4 पुत्री भी है. पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर उन्हें केवल प्रधानमंत्री आवास योजना का ही लाभ मिला है. किसी तरह का कोई लाल कार्ड, वृद्धा पेंशन उन्हें अब तक नहीं मिला.

अपनी जमीन पर खोदा तालाब, साल 2010 से शुरू किया यह अभियान

श्री सिंह ने तीनों तालाब का निर्माण अपने ही जमीन पर किया है. उस पानी का उपयोग पूरे गांव के लोग करते हैं. मुख्यतः कृषि कार्य पर आत्मनिर्भर बनने एवं गांव की महिलाओं को पानी के लिए दूसरा जगह न जाना पड़े इसी उद्देश्य से उन्होंने तालाब का निर्माण किया. तालाब निर्माण हो जाने से वे अपना कृषि कार्य करते ही हैं. धान की खेती से लेकर सब्जी उगाने का काम भी उनके द्वारा किया जाता है. इन तालाब का पानी उनके लिए उपयोगी भी साबित हो रहा है.

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ग्रामीणों के अनुसार, साल 2010 से वे इन तालाबों की खुदाई का काम प्रारंभ किया. क्रमवार आज तक तीन तालाब का निर्माण कर दिया है. बड़ा तालाब जो करीब 100 फीट चौड़ाई और 26 फीट गहरा है. इस तालाब में खुदाई का काम अभी भी जारी है. लगातार 4 साल से इसे खुदाई करने का काम कर रहे हैं.

कभी- कभार उनके परिवार के सदस्य भी सहयोग करते हैं. पहले वर्ष 2010 में तालाब खुदाई शुरू किया. पहला तालाब खोदने में करीब दो से तीन साल लगा. इसके बाद दूसरा तालाब बनाने में दो वर्ष का समय लगा. इसके बाद वर्ष 2015 के आसपास बड़ा तालाब का निर्माण शुरू किया. जो अभी तक जारी है.

मिसाल बने हैं भोलानाथ : प्रधान

पंचायत प्रधान नाजाद अंसारी ने कहा कि पूरे क्षेत्र के लिए पूर्व फौजी भोलानाथ सिंह एक मिसाल हैं. सरकार को इस तरह के लोगों को सम्मानित करना चाहिए. अपने से ही तालाब खुदाई कर पानी की समस्या का समाधान करने के लिए आज भी प्रयासरत हैं.

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Posted By : Samir Ranjan.

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