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धनबाद में चार हजार करोड़ की जलापूर्ति योजना का हाल बेहाल, बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग

हर घर नल से जल, बलियापुर, निरसा मेगा जलापूर्ति योजना सहित 15 बड़ी जलापूर्ति योजनाएं चल रही हैं. इन योजनाओं पर लगभग चार हजार करोड़ रुपये स्वीकृत है. कुछ योजनाएं ही पूर्ण हो सकी है. बाकी अपूर्ण है.

Water Crisis in Jharkhand: धनबाद जिला में जल संकट एक बड़ी समस्या है. पूरे वर्ष यहां की अधिकांश आबादी पानी के लिए जद्दोजहद करते रहती है. गर्मी के दिनों में स्थिति और विकराल हो जाती है. गांव-गांव में लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि करते रहते हैं. यहां जिला खनिज विकास निधि (डीएमएफटी), हर घर नल से जल, बलियापुर, निरसा मेगा जलापूर्ति योजना सहित 15 बड़ी जलापूर्ति योजनाएं चल रही हैं. इन योजनाओं पर लगभग चार हजार करोड़ रुपये स्वीकृत है. कुछ योजनाएं ही पूर्ण हो सकी है. बाकी अपूर्ण है. यहां ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति का काम पेयजल एवं स्वच्छता विभाग करती है. जिला परिषद से भी कुछ क्षेत्रों में टैंकरों से जलापूर्ति करायी जा रही है. मॉनसून चंद दिनों में दस्तक देने वाला है. लेकिन, अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश चापाकलों की मरम्मत नहीं हो पायी है. जिले के विभिन्न प्रखंडों में जलापूर्ति योजनाओं एवं जल संकट पर प्रभात खबर की पड़ताल करती रिपोर्ट. 

बलियापुर प्रखंड में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. तालाब, जोरिया सूख चुके हैं. लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. क्षेत्र के तालाब, जोड़ियां, पोखर सुख चुके हैं. सरकार द्वारा बनाए गए क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक डोभा में पानी नहीं है. लोगों को नहाना धोना तो दूर की बात, पेयजल के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है. क्षेत्र में अधिकांश सोलर पानी टंकी काम करना बंद कर दिया है. अधिकांश चापाकल मरम्मत के अभाव में बेकार पड़े हुए हैं. नल जल योजना बेकार साबित हो रही है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की मानें तो अभी तक फेज वन में दुधिया, शालपतरा, घड़बड़, कालीपुर, सरिसाकुंडी, वीरसिंहपुर, सुवरिया, शीतलपुर, आसनबनी समेत 13 गांवों के लोगों को नल से जल मिल रहा है.

बलियापुर प्रखंड में 68 गांवो में जलापूर्ति के लिए 74 करोड़ 53 लाख रुपए की वृहद जलापूर्ति योजना 29 फरवरी 2016 को शुरू हुई थी. तीन फरवरी 2018 तक पूरा कराने का लक्ष्य था. अभी तक कार्य पूरा नहीं हुआ. कुछ गांव में पानी का प्रेशर नहीं रहने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. फेज वन में श्रीराम ईपीसी कंपनी चेन्नई द्वारा 41 गांवों के लोगों को पानी देना था. अभी 13 गांवों में सप्लाई पानी दिया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि पानी को साफ नहीं किया जाता है. दामोदर का गंदा पानी सीधे लोगों को घरों में देते हैं.

जल्द पूर्ण होंगे अधूरे कार्य : भगत

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता भीखराम भगत का कहना है कि सभी जगह टावर कनेक्ट हो गया है. जो भी अधूरा कार्य हैं, उसे जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा. हर घर को नल जल से जोड़ दिया गया है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

बलियापुर के ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय कार्य की लापरवाही के कारण आम जनता को घर घर जल नल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. दूरदराज इलाकों से पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ती है. बलियापुर में पानी की समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जिला परिषद सदस्य संजय कुमार महतो, उषा महतो, प्रखंड प्रमुख पिंकी देवी, उप प्रमुख आशा देवी का कहना है कि इस भीषण गर्मी में जलापूर्ति बहाल करने संबंधी वरिय अधिकारियों को अवगत कराया गया है. बावजूद धरातल पर ठीक ढंग से काम नहीं होने से पानी के लिए लोग परेशान हैं.

दो वर्ष पहले बिछायी गयी पाइपलाइन, टेस्टिंग तक नहीं हुई

बाघमारा पंचायत के सरैयाभीठा की आबादी तकरीबन एक हजार है. एक चापाकल के भरोसे लोगों को निर्भर रहना पड़ता है. तालाब जोड़ियां सूख जाने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. सरैयाभीठा गांव के नियोति देवी, छुनपुकी देवी, साधू चरण महतो, संजीत कुमार महतो का कहना है कि गांव में नल जल योजना के तहत दो साल पूर्व पाइप लगाया गया है. अभी तक टेस्टिंग भी नहीं हुई है. सिंदूरपुर पंचायत के चौकटांड़ में भी यही हाल है. ग्रामीणों को अभी तक नल जल योजना का लाभ नहीं मिला है. बाघमारा मुस्लिम टोला के मंसूर उर्फ छोटू अंसारी का कहना है कि टोला में भीषण जल संकट है. नल जल योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आमझर मस्जिद टोला व मंडल टोला का हाल बेहाल है. दोनों टोला में अभी तक पानी का टेस्टिंग तक नहीं हुआ है. लोगों का कहना है कि विभाग को कहने पर टाल मटोल किया जाता है.

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