दुमका, आनंद जायसवाल: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोमवार को झारखंड की उपराजधानी दुमका पहुंच रहे हैं. वे मयुराक्षी नदी पर 198.11 करोड़ रुपये की लागत से शाज (स्टेट हाइवे अथॉरिटी ऑफ झारखंड) द्वारा निर्मित राज्य के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन करेंगे. यह पुल दुमका सदर प्रखंड के कुमड़ाबाद व मसलिया प्रखंड के मकरमपुर को जोड़ता है. इस पुल का निर्माण पांच साल से भी कम समय में हुआ है. 2018 में इस पुल की आधारशिला रखी गयी थी. मुख्यमंत्री रांची से हेलीकाप्टर से सीधे कार्यक्रम स्थल मसलिया के मकरमपुर पहुंचेंगे. वहां अस्थायी हैलीपेड का निर्माण किया गया है. कार्यक्रम स्थल पर भव्य तैयारियां की गयी हैं. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री इसी मंच से पथ निर्माण समेत कई अन्य योजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास भी करेंगे. आपको बता दें कि मकरमपुर सहित कई गांव ऐसे हैं, जो पहले दुमका शहर से सटे थे यानी नदी आवागमन में बाधक नहीं थी. मसानजोर डैम बनने के बाद बीच का इलाका डूब गया, तो मकरमपुर की आधी आबादी डैम के डूबक्षेत्र के उस पार रह गयी थी. एक तरह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. अब पुल बन जाने से ऐसे मसानजोर विस्थापित अब अपने सगे-संबंधियों से मिलने आने-जाने में परेशान नहीं होंगे.
राजभवन में करेंगे रात्रि विश्राम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हेलीकाप्टर से सोमवार को अपराह्न एक बजे सीधे कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे. वहां कार्यक्रम संपन्न होने के बाद वे सड़क मार्ग से राजभवन आयेंगे. मुख्यमंत्री का रात्रि विश्राम दुमका राजभवन में ही होगा. दूसरे दिन मंगलवार को वे 11 बजे पूर्व हेलीकाप्टर से पलामू के लिए प्रस्थान कर जायेंगे.
एक नजर में झारखंड का सबसे लंबा पुल
नदी का नाम-मयुराक्षी
लागत-198.11 करोड़
पुल की कुल लंबाई-2340 मीटर
एप्रोच सहित लंबाई-2800 मीटर.
चौड़ाई-45 स्पैन में 16 मीटर व 7 स्पैन में 30 मीटर
स्पैन की संख्या- 52
पियर्स की संख्या- 51
कार्य आरंभ-12.02.2018
कार्य समाप्ति-31.03.2023
बनवाने वाला विभाग-स्टेट हाइवे ऑथोरिटी ऑफ झारखंड(शाज)
मयुराक्षी नदी पर झारखंड का सबसे लंबा पुल बनकर तैयार
झारखंड की उपराजधानी दुमका में मयुराक्षी नदी पर झारखंड का सबसे लंबा पुल बनकर तैयार हो गया है. शहर से सटे दुमका एयरपोर्ट-चकलता पथ पर मुड़ाबहाल से आगे कुमड़ाबाद में इस पुल का एक छोर है, तो दूसरा मसलिया के मकरमपुर में यानी यह पुल दुमका सदर प्रखंड के कुमड़ाबाद को मसलिया के मकरमपुर को जोड़ते हुए सिंगरी-हरको पथ से कनेक्ट कर रहा है. इस उच्चस्तरीय पुल के बन जाने से जिले की एक बड़ी आबादी दुमका शहर के 14-15 किलोमीटर नजदीक आ गयी है. पुल बनने से पहले मकरमपुर से दुमका जिला मुख्यालय की दूरी 30 किलोमीटर से भी अधिक थी. दुमका शहर आने के लिए मसलिया प्रखंड के कोलारकोंदा पंचायत के मकरमपुर सहित दर्जनों गांव के ग्रामीणों को काफी घुमकर दुमका आना पड़ता था, पर पुल बन जाने से ऐसे लोग सीधे मकरमपुर से कुमड़ाबाद होते हुए दुमका पहुंच पा रहे हैं. यह दूरी मात्र 15 किलोमीटर की ही है. पहुंच पथ सहित 2.800 किलोमीटर लंबे इस पुल की चौड़ाई 16 मीटर है. हालांकि बीच में 7 स्पैन के बीच पुल को 30 मीटर चौड़ा किया गया है. जो सेल्फी प्वाइंट से लेकर पार्किंग जोन भी साबित होगा. बनते के साथ ही यह पुल सैलानियों को भी आकर्षित कर रहा है. इस पुल के निर्माण में लगभग 198.11 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
मसानजोर डैम बनने के बाद कट गये थे कई गांव
मकरमपुर सहित कई गांव ऐसे हैं, जो पहले दुमका शहर से सटे थे यानी नदी आवागमन में बाधक नहीं थी. मसानजोर डैम बनने के बाद बीच का इलाका डूब गया, तो मकरमपुर की आधी आबादी डैम के डूबक्षेत्र के उस पार रह गयी थी. एक तरह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. अब पुल बन जाने से ऐसे मसानजोर विस्थापित अब अपने सगे-संबंधियों से मिलने आने-जाने में परेशान नहीं होंगे. नौका से जाने की या घुमावदार रास्ते से जाने की जरूरत नहीं रहेगी. कॉलेज आने-जाने में युवाओं को सहूलियत होगी, तो व्यापार-रोजी-रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.
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