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Jharkhand : कोलकाता के निःसंतान प्रोफेसर दंपती की सूनी गोद भरी, वर्षों की मुराद झारखंड में ऐसे हुई पूरी

प्रोफेसर दंपती कोलकाता के अलग-अलग कालेजों में रसायनशास्त्र और जीव विज्ञान के प्राध्यापक हैं. आम तौर पर अजनबियों को देखकर रोने वाली यह बच्ची जैसे ही उनकी गोद में गयी, वह खुश दिखी. सूनी गोद भर जाने से पति-पत्नी की खुशी देखते ही बन रही थी.

Jharkhand News: कोलकाता के निःसंतान प्रोफेसर दंपती को आंखों का तारा मिल गया है. मिशनरीज ऑफ चैरिटी दुधानी (दुमका) में आवासित दो वर्षीय बालिका को बक्सीबांध स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में रहनेवाले प्रोफेसर दंपती की गोद में सौंप दिया गया. इस मौके पर बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी, महिला सदस्य नूतन बाला, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र, चिकित्सक, एसएए के प्रभारी तारिक अनवर, सामाजिक कार्यकर्ता वहीदा खातून समेत अन्य मौजूद थे.

अलग-अलग कॉलेजों में हैं प्रोफेसर

प्रोफेसर दंपती कोलकाता के अलग-अलग कालेजों में रसायनशास्त्र और जीव विज्ञान के प्राध्यापक हैं. आम तौर पर अजनबियों को देखकर रोने वाली यह बच्ची जैसे ही उनकी गोद में गयी, वह खुश दिखी. सूनी गोद भर जाने से पति-पत्नी की खुशी देखते ही बन रही थी. दोनों अपने साथ बच्चे के लिए ढेर सारे नये कपड़े और नया नाम लेकर आये थे. गोद लेने की प्रक्रिया के साथ ही इस बच्चे का नये नाम के साथ इस बच्ची का पुनर्जन्म हो गया है. उसे गोद लेनेवाले माता-पिता से उसे वे सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे जैसे किसी बच्चे को उसके जैविक माता-पिता से मिलते हैं.

दुमका से 15वां एडॉप्शन

2018 से अब तक दुमका से दिया गया यह 15वां एडॉप्शन है. इस बालिक के जैविक माता-पिता को खोजने के लिए बाल कल्याण समिति, दुमका ने 14.09.2022 को अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किया था. जब अखबारों में विज्ञापन प्रकाशन के 60 दिनों तक कोई भी इस बच्ची का माता-पिता होने का दावा करने के लिए सामने नहीं आया तो जरूरी कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए बालिका को बाल कल्याण समिति दुमका के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के द्वारा एडॉप्शन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर दिया गया था.

छह बच्चे एडॉप्शन के लिए कानूनी रूप से मुक्त

कोलकाता के इस निःसंतान दंपती ने कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) की वेबसाइट में 2018 में ही निबंधन किया था. जांच एवं वांछित आवश्यक कागजात के साथ जरूरी प्रक्रिया को पूरा करते हुए प्री एडॉप्शन केयर में इस बालिका को दंपती को सौंप दिया गया. जिला दंडाधिकारी के न्यायालय से इस एडॉप्शन प्रक्रिया पर अंतिम रूप से निर्णय लिया जाना है. सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि समिति ने इस वर्ष अब तक छह बच्चों को एडॉप्शन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया है.

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