Jharkhand News : झारखंड के दुमका जिले में बारिश न होने तथा सुखाड़ की स्थिति पैदा होने से लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है और लोग भविष्य को लेकर परेशान हैं. रामगढ़ प्रखंड की सुसनिया पंचायत के अन्तर्गत डाहुजोर गांव में आदिवासी मूलवासी एभेन अखाड़ा के बैनर तले बैठक की गयी तथा वर्तमान हालात पर चिंतन-मनन किया गया. बैठक में बड़ागुंडरो, पंडरिया, मिलनपहाड़ी, डहुजोर आदि गांव के ग्रामीण शामिल हुए. अखड़ा और ग्रामीणों ने वर्षा नहीं होने पर चिंता व्यक्त की. किसानों ने संताल परगना को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग की.
संताल परगना को अकाल क्षेत्र घोषित करने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि धान की खेती नहीं हो पायी है. मक्का की भी स्थिति ठीक नहीं है. चारों ओर सुखाड़ है. अखड़ा और ग्रामीणों ने प्रशासन, विधायक, सांसद और मुख्यमंत्री से मांग की है कि संताल परगना को अकाल क्षेत्र घोषित करें. इसके साथ साथ अखड़ा ने ग्रामीणों को पेशन, झारखंड राज्य फसल राहत योजना, आयुष्मान भारत आदि योजनाओं की भी जानकारी दी. इस मौके में प्रकाश हेम्ब्रम, मदन मंडल, नायकी मरांडी, जीतू गृह, कमलेश मिर्धा, बबलू सोरेन, चूंडा हेम्ब्रम,रूबी टुडू, बुधराय हेम्ब्रम,जॉन टुडू,सिमोन मुर्मू,मोनिका हांसदा,रानी टुडू,सुशील किस्कु,टेरेसा हांसदा,चुड़की टुडू, खगेश मंडल, विष्णुदेव मंडल, रामप्रसाद मंडल, होपना टुडू आदि उपस्थित थे.
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क्या कहते हैं किसान
किसान खगेश मंडल ने कहा कि किसानों ने बैठक कर वर्तमान स्थिति में चिंता जतायी है. खादी-बीज सबकुछ बर्बाद हो गया. किसान कहीं के नहीं रहे. अकाल की स्थिति पैदा हो गयी है. साल भर गुजारा करने के लिए अनाज ही पैदा नहीं हुआ तो जीवन कैसे चलेगा. सरकार ने राहत नहीं दी तो आंदोलन करने को मजबूर होंगे. महावीर मंडल ने कहा कि पहली बार अपने जीवन में ऐसी भयावह स्थिति देख रहा हूं. धान की खेती नहीं हो पा रही है. इस साल बारिश ही नहीं हुई कि धान का बिचड़ा और धान की रोपनी हमलोग कर सकें. सारा बीज बर्बाद चला गया. मकई की भी फसल सूखे की वजह से चौपट हो गयी है.
आंदोलन करने की चेतावनी
किसान प्रकाश हेंब्रम ने कहा कि धान ही नहीं मकई की खेती भी इस बार नहीं हो सकी है. भूखमरी की स्थिति पैदा होने लगी है. जो पूंजी था. वह धान की खेती के लिए बीज-खाद खरीदने में लगाया था. खेती ही नहीं हुई. अब तो भूखे मरने वाली नौबत आ रही है. जन प्रतिनिधियों को सरकार को अविलंब ठोस कदम उठाना चाहिए. किसान चुंडा मरांडी ने कहा कि अगस्त महीने का एक सप्ताह बीत गया. धान की फसल तो दूर यहां तो बीज-बिचड़ा नहीं बचा है. विधायक-सांसद और झारखंड सरकार आकर देखें कि खेतों की क्या स्थिति है. सरकार ने अकालग्रस्त क्षेत्र घोषित नहीं किया, तो हम उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे.
रिपोर्ट : आनंद जायसवाल, दुमका