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संताली लिटरेचर फेस्टिवल में देश-विदेश के संताली साहित्यकारों का दुमका में जुटान, इसके उत्थान पर दिया जोर

दुमका के स्टेट लाइब्रेरी में रेव्ह पीओ बोडिंग मेमोरियल संताली लिटरेचर फेस्टिवल के मौके पर देश-विदेश के संताली साहित्यकारों का जुटान हुआ. इस दौरान संताली भाषा एवं साहित्य में रेव्ह पीओ बोडिंग द्वारा किये गये कार्यों की चर्चा हुई, वहीं संताली भाषा एवं साहित्य के उत्थान पर विशेष जोर दिया गया.

Jharkhand News: दुमका के स्टेट लाइब्रेरी में रेव्ह पीओ बोडिंग मेमोरियल संताली लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन हुआ. इस फेस्टिवल में देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले संताली समाज तथा साहित्य से जुड़े लोगों ने भाग लिया. साथ ही संताली भाषा के उत्थान में पीओ बोडिंग के योगदान के संबंध में अपने विचारों को रखा.

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पीओ बोडिंग ने संताली भाषा में बाइबल का अनुवाद किया : मारियनस टुडू

प्रथम सत्र रेव्ह पीओ बोडिंग- सेवा का जीवन पर केंद्रित था. प्रथम सत्र में डॉ डबलू सोरेन, प्रमोदिनी हांसदा तथा रमेश चंद्र किस्कू तथा संताली लेखक मारियनस टुडू ने उक्त विषय पर अपने-अपने विचार रखे. संताली लेखक मारियनस टुडू ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन संताली साहित्य के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा और इसका लाभ यहां के युवाओं और साहित्य से जुड़े लोगों को मिलेगा. कहा कि पीओ बोडिंग विभिन्न भाषा के जानकार थे, लेकिन उन्हें संताली भाषा से अटूट प्यार था. उन्होंने लगभग 44 वर्ष भारत में सेवा की और मुख्य रूप से संताल परगना के इसी दुमका इलाके से कार्य किया. उन्होंने संताली भाषा के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये. संताली व्याकरण सहित उनकी कई रचनाएं आज भी मौजूद हैं जो संताली भाषा के क्षेत्र में किया गया एक अद्भुत कार्य है. पीओ बोडिंग ने संताली भाषा में बाइबल का अनुवाद किया.

पीओ बोडिंग की पहचान किसी से नहीं छिपी : डॉ डबलू सोरेन

डॉ डबलू सोरेन ने कहा कि पीओ बोडिंग की पहचान किसी से छिपी नहीं है. संताली भाषा के क्षेत्र में किया गया उनका योगदान बहुत ही बहुमूल्य है. उन्होंने संताली भाषा के लिए कई कार्य किये हैं. उनकी लिखी पुस्तकें ज्ञान से ओतप्रोत है. उनका व्यक्तित्व बहुत ही सरल था. उन्होंने अपने जीवन काल मे कई कठिनाइयों, संकटों का सामना किया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने कर्तव्य पथ पर हमेशा अग्रसर रहे.

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पीओ बोडिंग ने मानव जीवन से जुड़ी कई पुस्तकें लिखी : रमेश चंद्र किस्कू

वहीं, रमेश चंद्र किस्कू ने कहा कि पीओ बोडिंग ने ऐसी कई पुस्तकों की रचनाएं की है जिससे संताली भाषा को बेहतर ढंग लिखा, पढ़ा एवं बोला जा सकता है. उन्होंने मानव जीवन से जुड़ी कई पुस्तकें भी लिखी हैं. उनके द्वारा लिखी संताली डिक्शनरी संताली भाषा को समझने में काफी महत्वपूर्ण है.

संताली भाषा का साहित्य मुख्यधारा में जोड़ने वाला साहित्य है : डॉ प्रमोदिनी हांसदा

सिदो कान्हू मुर्मू विवि की पूर्व प्रोवीसी डॉ प्रमोदिनी हांसदा ने कहा कि इस आयोजन से साहित्य प्रेमियों की आशाओं को एक नई रोशनी मिली है. संताल हूल भी एक मुख्य कारण है, जिसके कारण पीओ बोर्डिंग संताल परगना आये थे. उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति की जानकारी जब पीओ बोर्डिंग को हुई, तो वह यहां पहुंचे तथा यहां रहकर संताली समाज तथा संताली भाषा के लिए उन्होंने कई कार्य किये. उनका जीवन त्याग और समर्पण का एक बेहतर उदाहरण है. मिशनरी क्षेत्र में उन्होंने कई बेहतर कार्य किये हैं. संताली भाषा में बाइबल का उन्होंने अनुवाद किया है. उन्होंने कहा कि संताली भाषा का साहित्य मुख्यधारा में जोड़ने वाला साहित्य है. पीओ बोडिंग की पहचान किसी एक क्षेत्र से नहीं है.

पारंपरिक रीति-रिवाज से अतिथियों का हुआ स्वागत

इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन लीवरपुल इंगलैंड से आये डॉ धुनी सोरेन सहित अन्य अतिथियों द्वारा फीता काटकर एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. पारंपरिक रीति-रिवाज लोटा पानी से अतिथियों का स्वागत किया गया. वहीं, डीसी रविशंकर शुक्ला द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संदेश को पढ़कर सुनाया गया, जबकि डीडीसी कर्ण सत्यार्थी द्वारा विधायक बसंत सोरेन के संदेश को पढ़कर सुनाया गया.

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