Jharkhand news, Dumka news : दुमका (आनंद जायसवाल) : संताल परगना की बड़ी आबादी अब भी शुद्ध पेयजल को तरस रही है. राष्ट्रीय स्तर पर जहां आज के दिन में 30.96 प्रतिशत परिवारों- घरों तक शुद्ध जल नल के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है, वहीं झारखंड के संताल परगना के पाकुड़ और जामताड़ा जैसे जिले ऐसे भी हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले महज 1.58 प्रतिशत और 2.18 प्रतिशत घरों तक ही नल से जल पहुंच पा रहा है. साहिबगंज जैसे जिले जो गंगा के किनारे बसे हुए हैं, वहां की भी स्थिति अच्छी नही है. वहां भी 7 फीसद से कम परिवारों तक ही नल से जल पहुंच रहा है. जबकि झारखंड राज्य का औसत आज तकरीबन 10.20 प्रतिशत के करीब है, जो राष्ट्रीय औसत का एक तिहाई है. गोवा जैसा राज्य जो शत-प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंचाता है, तो तेलंगाना के 98.40, गुजरात के 80.76 प्रतिशत, सिक्किम के 71.03 प्रतिशत. वहीं पड़ोसी राज्य बिहार भी 57.25 फीसद घरों तक नल से पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराता है.
जलजीवन मिशन के कई लाभ भी हैं. इसके तहत गांवों में चापानल एवं कूप से पानी लाने की समस्या के छुटकारा मिलेगा. वहीं, सभी के घरों में साफ और शुद्ध जल पहुंचेगा. इसके अलावा इस मिशन के पूरा होने के बाद लोगों को पानी भरने के लिए दूर बाहर नही जाना पड़ेगा. इसके साथ ही जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे जितने पानी की जरूरत होगी, उतना ही उपयोग होगा.
दुमका जिले के अब तक 2,57,273 में से 23,664 घरों तक ही नल के माध्यम से पानी पहुंच पा रहा है. यह स्थिति भी तब पहुंची है, जब इस मिशन की शुरुआत 15 अगस्त, 2019 को शुरू हुई. 15 अगस्त, 2019 तक इस जिले में 12,302 परिवारों तक ही नल से जल पहुंच रहा था. 11,362 परिवारों को जल जीवन मिशन से जल उपलब्ध कराया गया है जो कि लक्ष्य का 4.42 प्रतिशत है. वहीं, साहिबगंज में 4237, देवघर में 15934, पाकुड़ में 2546, जामताड़ा में 1337 घरों तक ही नल से जल पहुंचाया गया है. दुमका जिले के 29 गांवों में शत-प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंच रहा है, जबकि देवघर में ऐसे गांवों की संख्या 17 है. साहिबगंज में 2 पंचायत के 5 गांवों में शत-प्रतिशत लोग शुद्ध पेयजल पी रहे हैं. पाकुड़ का एक भी गांव इस स्थिति में नहीं पहुंच सका है.
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जिला : कुल घर : आच्छादित घर (Covered house) : प्रतिशत
दुमका : 2,57,237 : 23,664 : 9.20
पाकुड़ : 2,26,019 : 3561 : 1.58
साहिबगंज : 2,51,069 : 17,561 : 6.99
गोड्डा : 2,43,882 : 26,712 : 10.95
देवघर : 2,22,217 : 20,240 : 9.11
जामताड़ा : 1,53,800 : 3351 : 2.18
कुल : 13,54,224 : 95,089 : 07.02
जिला (शत प्रतिशत) : आच्छादित गांव : आच्छादित घर (Covered village) : प्रतिशत
दुमका : 29 : 12,302 : 4.42
साहिबगंज : 05 : 4237 : 1.69
गोड्डा : 03 : 7904 : 3.24
देवघर : 17 : 15,934 : 7.17
पाकुड़ : 00 : 2546 : 1.13
जामताड़ा : 01 : 1337 : 0.87
दुमका जिले के 10 प्रखंडों के ऐसे 222 गांवों- टोलों के लिए प्रस्ताव तैयार कर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा भेजने की तैयारी की जा रही है, जहां के लोग अभी भी दूर- दराज इलाकों से पेयजल का इंतजाम करते हैं, जिसमें इन परिवारों का महत्वपूर्ण समय बर्बाद चला जाता है. शुद्ध जल की उपलब्धता नहीं होने से लोग अशुद्ध पानी पीकर बीमार भी पड़ते रहते हैं और इलाज में अपनी पूरी जमापूंजी गंवा देते हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, प्रमंडल एक से 90 एवं प्रमंडल दो से 132 टोले के लिए योजना का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
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दुमका जिले के ब्राह्मणी, मयूराक्षी, नुनबिल, धोबे, बासलोइ, टेपरा, मोतिहारा एवं कंजिया नदी से सटे इलाके में जलजीवन मिशन के तहत 39 बहुग्रामीण योजनाओं को धरातल पर उतारने की पहल हो रही है. इसके लिए भी प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है, ताकि इन योजनाओं के लिए परामर्शी की नियुक्ति की जा सके और डीपीआर बनवाया जा सके. एक पखवारा पहले इससे संबंधित प्रस्ताव मुख्य अभियंता सीडीओ को भेज दिया गया है. इन बहुग्रामीण योजनाओं में गादीकोरैया, भुरकुंडा, दरबारपुर, गादीकोरैया, रामपुर- बेहराबांक, भुरकुंडा- चापाकांदर, सापचला- दलाही, कैराबनी, सिमरा, सरसाबाद, बेदिया, बड़ा लगला, बेदिया- गादीचुटो, थानपुर- पलासी, आसनजोर, आसनसोल- कुरवा, भैरवपुर, भटनिया, चिगलपहाड़ी, छैलापाथर, नाचनगड़िया, मोहबना, चिकनिया, ढोडली, टेंगधोवा, नावाडीह, पलासी, डांडो, सिलठा बी, लतबेरवा, कारूडीह- डांडो, अमड़ापहाड़ी, हरिपुर बाजार, बरमनिया- धौनी एवं हंसडीहा- बनियारा की बहु ग्रामीण योजनाएं शामिल हैं.
इधर, दुमका जिले के 2 ऐसे प्रखंड हैं जिन्हें ड्रायजोन के तौर पर जाना जाता है. वहां वृहद जलापूर्ति योजना के लिए सर्वे किया जा रहा है. ये प्रखंड हैं शिकारीपाड़ा और गोपीकांदर. दोनों ही पथरीले इलाके हैं. दोनों प्रखंडों में जलापूर्ति योजना के लिए कंसल्टेंट आये हुए हैं. गोपीकांदर में तो बांसलोई नदी से पानी लाकर उपयोग किया जायेगा. इसके लिए जगह- जगह चेकडैम बनाकर वर्षा जलसंचय का भी इंतजाम होगा, ताकि जल संचय रहे और कभी जलापूर्ति में परेशानी न हो. वहीं, शिकारीपाड़ा प्रखंड के लिए भी आसपास के नदी मसानजोर या अन्य नदी से पानी के इंतजाम करके जलापूर्ति करने की परियोजना तैयार की जा रही है. दरअसल इन दोनों ही प्रखंडों में बोरिंग सफल नहीं रहती. लिहाजा यहां बोरबेल के जरिये ग्राउंड वाटर की छोटी स्कीम कारगर नहीं हो सकती है. ऐसे में यहां मेगा प्रोजेक्ट से ही पाइपलाइन से जलापूर्ति कराने और पूरे प्रखंड के हर घर को आच्छादित करने की दिशा में पहल हो रही है.
इस संबंध में दुमका के पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि दुमका जिले में 2.50 लाख से अधिक घर है, जिनमें से अभी 20,000 परिवारों तक ही नल से जल पहुंचा पा रहे हैं. केंद्र सरकार की योजना जलजीवन मिशन से 2024 तक 2.30 लाख घर को आच्छादित कर हमें नल से जल पहुंचाना है. ऐसे में छोटी- छोटी योजना के अलावा बहु ग्रामीण और वृहद जलापूर्ति योजनाओं के डीपीआर आदि बनाने की पहल हो रही है. 222 गांवों- टोले के डीपीआर तैयार कर विभाग को भेजे जा रहे हैं, जिससे 10 हजार परिवार लाभान्वित होंगे, तो 39 बहु ग्रामीण योजनाओं से 60 हजार और परिवारों तक हम नल से जल पहुंचा पाने में सफल होंगे. शिकारीपाड़ा- गोपीकांदर में जलापूर्ति से संबंधित गंभीर समस्या है. इसलिए वहां मेगा प्रोजेक्ट से ही घर- घर शुद्ध जल पहुंचाएं जाने की दिशा में हमलोग काम कर रहे हैं.
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Posted By : Samir Ranjan.