ओडिशा के बोंडा जनजाति का बेटा गरीबी और चुनौतियों को पार कर NEET परीक्षा में सफल होकर बना डॉक्टर
Mangala Muduli NEET Exam: 19 वर्षीय बोंडा आदिवासी लड़के मंगला मुदुली ने NEET परीक्षा में आदिवासी उम्मीदवारों में 261वीं रैंक हासिल की है. मंगला मुदुली एक ऐसी जनजाति से आते हैं जिसकी साक्षरता दर ओडिशा की सभी 62 जनजातियों में सबसे कम है. मंगला ने NEET परीक्षा पास करने वाले समुदाय के पहले व्यक्ति बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है.
Mangala Muduli NEET Exam: हाल ही में नीट परीक्षा का परिणाम आया है जिसमें देशभर के विभिन्न शहरों से कई टॉपर्स ने अपना नाम दर्ज कराया है, लेकिन इस बार नीट 2024 परीक्षा टॉपर्स में सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि ओडिशा के मलकानगिरी जिले से आई है, जहां बोंडा जनजाति की 19 वर्षीय मंगला मुदुली ने अपने समुदाय से नीट परीक्षा सफलतापूर्वक पास करने वाली पहली व्यक्ति बनकर इतिहास रच दिया है.
जनजाति के लिए यह ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत दृढ़ संकल्प को दर्शाती है, बल्कि बोंडा जनजाति के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो अपनी कम साक्षरता दर और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के लिए जानी जाती है और यह परिणाम उन्हें गौरवान्वित महसूस कराता है.
बोंडा जनजाति की क्या रही है पृष्ठभूमि
बोंडा जनजाति की पृष्ठभूमि यह है कि यह जनजाति ओडिशा में सबसे अलग-थलग और कमज़ोर आदिवासी समूहों में से एक है, जिसकी साक्षरता दर 2011 की जनगणना के अनुसार केवल 36.61% है. इस जनजाति के ज़्यादातर लोग मलकानगिरी ज़िले के इलाके में हैं जहां उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुंच समेत कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
लेकिन इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए, ब्रह्मपुर से 400 किलोमीटर दूर स्थित सुदूर क्षेत्र मुदुलीपाड़ा पंचायत के बडबेल गांव की रहने वाला मंगला को अब एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एमबीबीएस कार्यक्रम में प्रवेश मिल गया है.
मंगला की NEET की तैयारी की प्रेरणा उनके गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से मिली
मंगला की प्रारंभिक शिक्षा के बारे में बात करें तो, उनकी यात्रा मुदुलीपाड़ा एसएसडी हाई स्कूल से शुरू हुई, इसके बाद मुदुली एसएसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की, दोनों ही संस्थान इन समुदायों के लिए एससी और एसटी विकास विभाग द्वारा समर्थित हैं.
मुदुली एक किसान परिवार से थे और आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे थे, मंगला ने अपने बड़े भाई को स्कूल छोड़ते देखा और उसने भी स्कूल छोड़ने का फैसला किया, लेकिन मंगला की क्षमता को उसके विज्ञान शिक्षक उत्कल केशरी दास ने पहचाना और अपने शिक्षक की वजह से वह आज टॉपर बना.
इसके बाद मंगला ने मन बनाया और अपने शिक्षक से प्रोत्साहित होकर डॉक्टर बनने का लक्ष्य तय किया. मंगला ने अपने गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से प्रेरित होकर कहा, “मैंने अपने गांव में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं पाने के लिए संघर्ष करते देखा है। अगर कोई बीमार पड़ जाता है, तो उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता है.”
NEET परीक्षा की तैयारी के दौरान, अपने शिक्षक दास से मार्गदर्शन मिला, जिन्होंने उसे आवश्यकताओं को समझने में मदद की और यहां तक कि अध्ययन सामग्री तक पहुंचने के लिए उसे एक मोबाइल फोन भी उपलब्ध कराया.
Mangala Muduli NEET Exam: आदिवासी उम्मीदवारों के बीच 261वीं रैंक हासिल की
तमाम चुनौतियों को पार करते हुए मंगला की मेहनत रंग लाई और इस साल की NEET परीक्षा में आदिवासी उम्मीदवारों में उन्हें 261वीं रैंक मिली. उन्होंने यह उपलब्धि अपने पहले प्रयास में ही हासिल की. मंगला के अथक प्रयासों का श्रेय उनके शिक्षक को जाता है, जिन्होंने उन्हें बालासोर के एक कोचिंग संस्थान में दाखिला दिलाया और अन्य छात्रों को दी जाने वाली 1.2 लाख रुपये की भारी फीस माफ कर दी.
समुदाय और सरकार ने कहा कि मंगला की सफलता उसकी कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति का परिणाम है
समुदाय और सरकार ने कहा कि मंगला की सफलता उसकी कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति का नतीजा है. ओडिशा सरकार के एसटी/एससी विभाग ने मंगला को बधाई दी है और उसे अपने समुदाय के लिए उम्मीद की किरण बताया है. साथ ही कहा है कि उसकी कहानी प्रेरणा का काम करती है, जो दिखाती है कि शिक्षा और दृढ़ता से बड़ी-बड़ी बाधाओं को पार किया जा सकता है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी मंगला की उपलब्धि की प्रशंसा की है और कहा है कि उन्हें उनके दृढ़ संकल्प पर गर्व है. ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी मंगला की सफलता की प्रशंसा की है और कहा है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति बहुत जरूरी है.
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