Children’s Day 2024 : बच्चों से है प्यार, तो चुनें ये करियर राहें

नवंबर का महीना दुनिया भर के बच्चों के लिए खास होता है. बच्चों के कल्याण एवं अधिकारों की रक्षा के लिए इस महीने की 14 तारीख को भारत एवं 20 को विश्व भर में बाल दिवस मनाया जाता है. बच्चों की देखभाल, शिक्षा, विकास एवं स्वास्थ्य से संबंधित एक बड़ा कार्य क्षेत्र है. आपको छोटे बच्चों का साथ पसंद है, तो उनसे जुड़े करियर चुनकर एक खुशनुमा कल में दाखिल हो सकते हैं...

By Prachi Khare | November 14, 2024 11:25 AM
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Children’s Day 2024 : एक पुरानी कहावत है कि बच्चों का साथ आत्मा को बेहतर बनाता है. आप भी अगर ऐसा महसूस करते हैं, तो बच्चों से जुड़े कार्यक्षेत्रों में अच्छा भविष्य बना सकते हैं. आपमें धैर्य, संवेदनशीलता और भरपूर ऊर्जा है, तो आप अपनी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार अपनी राह चुन सकते हैं. आप स्कूल शिक्षक, स्पीच थेरेपिस्ट, चाइल्ड काउंसलर, बाल साहित्य लेखक, किड्स अपैरल डिजाइनर आदि के तौर पर काम कर सकते हैं. स्वयं का प्ले स्कूल या डे केयर या किंडरगार्टन शुरू कर स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.

आप बन सकते हैं चाइल्ड काउंसलर

पिछले कुछ वर्षों में भारत में चाइल्ड काउंसलर की उपयोगिता बढ़ी है. इसी के मद्देनजर कुछ प्रमुख संस्थानों में चाइल्ड गाइडेंस एवं काउंसलिंग से संबंधित कोर्स शुरू किये गये. चाइल्ड काउंसलर बच्चों की प्रतिभा को पहचानने, उनकी समस्याओं को दूर करने एवं उन्हें व्यापक परामर्श देने का काम करते हैं.
कोर्स के बारे में जानें : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक कोऑपरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट से एडवांस डिप्लोमा इन चाइल्ड गाइडेंस एंड काउंसलिंग कोर्स कर आप चाइल्ड काउंसलर के तौर पर करियर शुरू कर सकते हैं. यह दो वर्षीय कोर्स है, जिसमें दो महीने की इंटर्नशिप भी शामिल है. इस कोर्स के लिए सोशल वर्क/ साइकोलॉजी/ चाइल्ड डेवलपमेंट में मास्टर डिग्री या संबंधित विषय में ग्रेजुएट होना जरूरी है. ग्रेजुएट छात्रों के पास बच्चों के साथ काम करने का कम से कम पांच साल का अनुभव भी होना चाहिए. बीएड के साथ चार वर्ष का अनुभव रखनेवाले यह कोर्स कर सकते हैं. कोर्स में प्रवेश एंट्रेंस टेस्ट एवं इंटरव्यू के माध्यम से मिलता है.
वर्क प्रोफाइल एवं मौके : चाइल्ड काउंसलर को बच्चों के प्रोत्साहन, पुनर्वास कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने से लेकर उनसे संबंधित मुद्दों पर डेटा बेस विकसित करना होता है. ये बच्चों की समस्याओं को समझने के साथ उन्हें और उनके अभिभावकों को परामर्श प्रदान करते हैं. आप चाइल्ड काउंसलर के तौर पर चाइल्ड केयर सेंटर, काउंसलिंग सेंटर एवं चाइल्ड हॉस्पिटल ज्वाइन कर सकते हैं या स्वतंत्र रूप से सेवाएं दे सकते हैं. कई सरकारी विभागों एवं एनजीओ में भी चाइल्ड काउंसलर के लिए जॉब के मौके होते हैं.

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स्पीच थेरेपिस्ट का अच्छा है स्कोप

अपनी उम्र के हिसाब से सभी शिशु धीरे-धीरे अक्षर, शब्द और वाक्य बोलना सीखते हैं. उम्र बढ़ने के साथ ही उनका भाषा ज्ञान बढ़ता है और उनकी बोलचाल साफ और शुद्ध होने लगती है. यह एक साधारण प्रक्रिया है. लेकिन, कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिन्हें बोलने में कठिनाई होती है. स्पीच थेरेपिस्ट ऐसे बच्चों की मदद करते हैं, ताकि उनका भाषाई विकास हो सके. स्पीच थेरेपी और ऑडियोलॉजी हाल के दिनों में बेहतरीन करियर विकल्प बनकर उभरी है.
कोर्स, जिनसे बनेगी राह : स्पीच थेरेपी में डिग्री एवं डिप्लोमा दोनों तरह के कोर्स संचालित होते हैं. इन कोर्सेज में प्रवेश के लिए साइंस से 12वीं पास होना आवश्यक है. आप ऑडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी में चार वर्षीय बैचलर डिग्री, दो वर्षीय मास्टर डिग्री कोर्स कर सकते हैं. इसके अलावा एक वर्षीय डिप्लोमा इन हियरिंग, लैंग्वेज एंड स्पीच या छह माह का पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट कोर्स इन ऑडिटॉरी वर्बल थेरेपी करने के बाद भी इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं.
करियर राहें : कोर्स करने के बाद आप स्पीच थेरेपिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट, स्पीच पैथोलॉजी रीडर, क्लीनिकल सुपरवाइजर, स्पेशल स्कूल में शिक्षक आदि के तौर पर करियर शुरू कर सकते हैं. स्पीच थेरेपिस्ट के रूप में आप गवर्नमेंट हॉस्पिटल, प्राइवेट हॉस्पिटल, एनजीओ, हियरिंग एड इंडस्ट्री में जॉब प्राप्त कर सकते हैं.

प्री स्कूल टीचर की है डिमांड

छोट बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं, लेकिन रोचक व खुशनुमा जरूर है. आप अगर नर्सरी स्कूल, प्राइमरी/ एलिमेंट्री स्कूल टीचर बनना चाहते हैं, तो 10+2 के बाद नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी) कर आगे की राह बना सकते हैं. एनटीटी दो साल का कोर्स है. कुछ संस्थान 12वीं के अंकों एवं कई प्रवेश परीक्षा के आधार पर इस कोर्स में एडमिशन देते हैं. प्रवेश परीक्षा में करेंट अफेयर्स, जनरल स्टडीज, हिंदी, रीजनिंग, टीचिंग एप्टीट्यूड और अंग्रेजी के प्रश्न पूछे जाते हैं. प्राइमरी टीचर बनने के लिए डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड), जूनियर टीचर ट्रेनिंग (जेबीटी) कोर्स भी अहम हैं. इन कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं है और इस कोर्स में प्रवेश कहीं मेरिट के आधार पर, तो कहीं प्रवेश परीक्षा के आधार पर मिलता है. वहीं मिडिल स्कूल की कक्षाओं में पढ़ाने के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 और टीचर्स ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (टीटीसी) एवं ग्रेजुएशन के साथ बीएड है.
स्वरोजगार का है विकल्प : आप चाहें तो एक वर्षीय फुल टाइम डिप्लोमा इन अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन करके अपना प्री स्कूल, किंडरगार्टन, क्रच, डे केयर सेंटर खोल सकते हैं या इनमें जॉब कर सकते हैं. यह कोर्स छोटे बच्चों के साथ काम करने के लिए आपके दृष्टिकोण, ज्ञान और कौशल को विकसित करने में मदद करेगा.  

चुनें बाल साहित्य का क्षेत्र

बच्चों से संबंधित लेखन एवं बाल साहित्य के प्रकाशन के क्षेत्र में भी अच्छा करियर मौजूद है. दुनिया की हर भाषा में बाल साहित्य रचा जाता है और उसे बहुत महत्वपूर्ण दर्जा हासिल है. आप बच्चों के लिए कविता, कहानी, कार्टून कहानियां लिखनें में रुचि रखते हैं, तो स्वतंत्र बाल साहित्य लेखक बन सकते हैं या बच्चों के प्रकाशनों के साथ जुड़ कर काम कर सकते हैं. बच्चों के संज्ञानात्मक विकास, भाषा कौशल और शैक्षणिक विकास के लिए तैयार की जानेवाली किताबों और खिलौनों के निर्माण क्षेत्र में अच्छे मौके हैं. इसके लिए कोई डिग्री नहीं चाहिए, लेकिन शब्दों को रचने का कौशल, पढ़ने से प्यार और रचनात्मकता जरूरी है. अच्छा संचार और व्यावसायिक कौशल आगे बढ़ने में मदद करता है.

किड्स अपैरल डिजाइनर

आप यदि बच्चों के परिधानों व फैशन में रुचि रखते हैं, तो किड्स अपैरल डिजाइनर के रूप में करियर को विस्तार दे सकते हैं. इस प्रोफेशन में आपको नवजात शिशु, टॉड्लर्स व बड़े होते बच्चों के लिए ड्रेस व एसेसरीज डिजाइन करने होंगे.
कर सकते हैं ये कोर्स : किड्स फैशन डिजाइनर बनने के लिए किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास करने के बाद आप बैचलर ऑफ डिजाइन (बीडेस), बैचलर ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (बीएफ टेक), बैचलर ऑफ साइंस (टेक्सटाइल एंड क्लोदिंग) और ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम इन डिजाइन के लिए आवेदन कर सकते हैं. आप चाहें तो एआइइइडी, सीइइडी, निफ्ट व एनआइडी परीक्षाओं के माध्यम से डिजाइनिंग के प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश प्राप्त कर करियर की मुकम्मल राह तलाश सकते हैं.
आगे बढ़ने के मौके हैं यहां : एक किड्स अपैरल डिजाइनर के रूप में आपको एक्सपोर्ट हाउसेज, गारमेंट स्टोर चेन, टेक्सटाइल मील एवं लेदर कंपनियों में काम करने के ढेरों मौके मिलेंगे. आप यहां कॉस्ट्यूम डिजाइनर, फैशन कंसल्टेंट, टेक्निकल डिजाइनर, फैशन मर्चेंडाइजर, फैशन स्टाइलिस्ट, एक्सेसरी डिजाइनर, ग्राफिक डिजाइनर, प्रोडक्शन पैटर्न मेकर आदि के रूप में अपनी पहचान बना सकते हैं. आप चाहें तो एंटरप्रेन्योर बनकर खुद का डिजाइनर स्टोर और बूटीक भी शुरू कर सकते हैं.

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