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UPSC Preparation Tips: सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए भाषा पर अधिकार जरूरी

UPSC Preparation Tips: भाषा पर पकड़ और नियंत्रण न हो, तो व्यक्ति अपने जीवन के हर मोड़ पर असहाय महसूस करेगा और सफलता उससे दूर रहेगी. एक दौर था, जब सिर्फ लेखक-रचनाकारों से ही अच्छी भाषा की अपेक्षा की जाती थी, लेकिन आज भाषा पर अधिकार सफलता का अहम कारक माना जाता है. आगे पढ़ें एक्सपर्ट टिप्स.

अजय अनुराग, डायरेक्टर, विजडम आईएएस, दिल्ली

UPSC Preparation Tips: सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करने में जिन तत्वों की अहम भूमिका है, उनमें से एक है-भाषा. प्रायः ऐसा देखा जाता है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी पढ़ने और ज्ञान अर्जन पर तो बहुत ध्यान देते हैं, लेकिन अपनी भाषा-शैली एवं अभिव्यक्ति को नजरअंदाज करते हैं. नतीजतन उन्हें अपनी मेहनत का अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता. इनमें हिंदी माध्यम वाले अभ्यर्थियों की स्थिति और भी दयनीय है. उन्हें लगता है कि हिंदी तो हमारी अपनी भाषा है और इसे जानने-समझनेे की कोई विशेष जरूरत नहीं है, जबकि एक सशक्त भाषा के अभाव में इस परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन नहीं किया जा सकता. यही कारण है कि असफल होने पर कई बार अभ्यर्थी हिंदी की उपेक्षा का आरोप लगाने लगते हैं. वस्तुतः भाषा पर अच्छी पकड़ सिविल सेवा परीक्षा में ही नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में अहम भूमिका अदा करती है. बैंकिंग, रक्षा सेवा, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, प्रशासकीय अधिकारी आदि सभी सेवाओं की परीक्षा में भाषा की विशिष्ट समझ आवश्यक है. यदि भाषा पर पकड़ और नियंत्रण न हो, तो व्यक्ति अपने जीवन के हर मोड़ पर असहाय महसूस करेगा और सफलता उससे दूर रहेगी. एक दौर था, जब सिर्फ लेखक-रचनाकारों से ही अच्छी भाषा की अपेक्षा की जाती थी, लेकिन आज भाषा पर अधिकार सफलता का अहम कारक माना जाता है. कोई परीक्षा हो या नौकरी में पदोन्नति भाषा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

सिविल सेवा परीक्षा में भाषा की भूमिका

सिविल सेवा परीक्षा के तीनों चरणों में भाषा की अहम भूमिका है. बेशक प्रारंभिक परीक्षा में लिखने की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि यहां सभी प्रश्न बहु-विकल्पीय होते हैं, जिनमें से किसी एक सही उत्तर का चुनाव करना होता है. लेकिन फिर भी सामान्य अध्ययन और सीसैट पेपर में कॉम्प्रीहेंशन के प्रश्न ऐसे होते हैं, जिन्हें समझने में अगर थोड़ी भी गलतफहमी हुई, तो आपका उत्तर गलत हो जायेगा. तार्किक-योग्यता से संबंधित ज्यादातर प्रश्नों के सही उत्तर देने के लिए उन्हें पूर्ण रूप से समझना आवश्यक है. इसके अलावा जो प्रश्न किंतु, परंतु, अगर, यद्यपि, इत्यादि शब्दों से आरंभ होते हैं, उन्हें समझना भी जरा कठिन होता है. ऐसे प्रश्नों को हल करते समय सतर्क रहना पड़ेगा. अगर भाषा पर पकड़ है, तो ऐसे प्रश्नों को आसानी से हल किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि इस वर्ष की प्रारंभिक परीक्षा में हिंदी कॉम्प्रीहेंशन के प्रश्न भाषा की दृष्टि से इतने जटिल थे कि उन्हें हल करना अंग्रेजी कॉम्प्रीहेंशन से अधिक मुश्किल था.

प्रभावशाली भाषा-शैली का मिलता है लाभ

मुख्य परीक्षा चूंकि एक लिखित परीक्षा है, अतः यहां भाषा का कुशल प्रयोग अपरिहार्य हो जाता है. इस परीक्षा में भाषा की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रश्न पत्र निबंध का होता है. इसमें प्रत्यक्ष रूप से आपके भाषा-ज्ञान का ही परीक्षण किया जाता है. चयन सूची में इस प्रश्न पत्र के अंक भी शामिल किये जाते हैं. अतः यदि आपकी भाषा-शैली प्रभावशाली हो, तो निश्चित तौर पर इसका लाभ आपको यहां मिलेगा. उच्च स्तरीय भाषा क्षमता का लाभ अन्य वैकल्पिक विषयों में भी मिलता है. विषय विशेष की जानकारी तो सभी अभ्यर्थियों को होती है, लेकिन उसके प्रस्तुतीकरण से अंकों में फर्क पड़ जाता है और प्रस्तुति में भाषा की भूमिका अहम है. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि मुख्य परीक्षा में कुछ अभ्यर्थी अनिवार्य हिंदी वाले पेपर में फेल हो जाते हैं, जबकि इसका मूल्यांकन सहज तरीके से होता है.

विशिष्ट मौखिक भाषा शैली का साक्षात्कार में लाभ

भाषा की भूमिका साक्षात्कार में भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. यहां मौखिक भाषा का विशेष महत्व है. यदि आपकी मौखिक भाषा शैली विशिष्ट है, तो आप प्रभावशाली तरीके से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकेंगे. इससे निश्चित तौर पर आपको साक्षात्कार में अच्छे अंक मिलेंगे. साक्षात्कार में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर आप अच्छी तरह जानते हुए भी यदि उसे ठीक तरह से अभिव्यक्त नहीं कर पा रहें हैं, तो आपको निराश होना पड़ सकता है. कई बार प्रश्न सांकेतिक और लाक्षणिक प्रकार के होते हैं, जिन्हें हम तभी समझ सकते हैं, जब भाषा के विविध प्रयोगों से हम अवगत हों. वस्तुतः साक्षात्कार ज्ञान की परीक्षा न होकर आपकी समझ व अभिव्यक्ति का ही मूल्यांकन है. स्पष्ट है कि सिविल सेवा परीक्षा में भाषा-बोध का अपना विशेष महत्व है और परीक्षा के किसी भी चरण में इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

भाषा-क्षमता से आशय

भाषा-क्षमता से आशय है कि आप जो कहना या लिखना चाहते हैं, उसे बिना किसी गलती के अभिव्यक्त करने की क्षमता. इसका अर्थ हुआ, कुछ ऐसे गुणों का होना, जिनकी मदद से हम शुद्ध बोल और लिख सकें. व्याकरण की समझ, पर्याप्त शब्द-संपदा व शब्द-प्रयोग आदि कुछ ऐसे ही गुण हैं, जिनके आधार पर अपनी अभिव्यक्ति को मजबूत और प्रभावशाली बनाया जा सकता है. सफलता की ओर बढ़ते कदमों को भाषा का ज्ञान गति प्रदान करता है. 

कैसे करें भाषा कौशल का विकास?

आप अगर लेखन-कला में निपुण हैं, तो आपका लेख हमेशा प्रभावशाली होगा, चाहे आप सिविल सेवा परीक्षा में लिख रहे हों या जीवन के अन्य क्षेत्र में. लेकिन, लेखन-कला में इस निपुणता का विकास अचानक अथवा कुछ दिनों में नहीं हो सकता. इसके लिए निरंतर अभ्यास के साथ कुछ ऐसे नुस्खे हैं, जिनकी मदद से उत्तर को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है. जैसे-प्रतिदिन अपने शब्दाकोष में नये शब्दों का संग्रह करें.

  • गहन अध्ययन करने व उसे समझने में कठिनाई होती है, तो व्याकरण पर विशेष ध्यान दें.

  • भाषा के माध्यम से अवलोकन क्षमता का विकास करें.

  • किसी तथ्य एवं सूचना को विश्लेषित करने एवं उससे निष्कर्ष निकालने की क्षमता विकसित करें.

  • शब्दों के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष आशय को समझें.

  • भाषा-संरचना, शब्दावली और उसके व्यावहारिक पक्ष का ज्ञान आवश्यक है.

  • लेखन में शब्द-सीमा का उल्लंघन कदापि न करें.

  • अगर न्यूनतम शब्द में अधिकतम भाव व्यक्त करना चाहते हैं, तो बिंदु-शैली को अपनाएं.
    प्रस्तावना और उपसंहार में अधिक समय व्यर्थ न करें.

  • अगर आपसे व्याकरण संबंधी गलतियां अधिक होती हैं, तो सरल वाक्यों का प्रयोग करें.
    आपके पैराग्राफ सारगर्भित हों.

  • पैराग्राफ को जोड़ने के लिए उचित शब्दों का प्रयोग करें.

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