DU: नये शैक्षणिक सत्र का हुआ आगाज, एबीवीपी छात्रों की मदद के लिए आया आगे
एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले नए छात्रों का कॉलेज गेट पर स्वागत किया. रामजस, हिंदू, किरोड़ीमल, मोतीलाल नेहरू, अदिति, श्यामलाल कॉलेज सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के 50 अन्य कॉलेजों में छात्रों की मदद के लिए लगाया कैंप.
DU: दिल्ली विश्वविद्यालय में नये सत्र का आगाज गुरुवार से शुरू हो गया. कॉलेज के बाहर छात्र-छात्राओं की पहले दिन काफी उत्साह देखा गया. दिल्ली विश्वविद्यालय में बहुत कम कॉलेजों में हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध है. अधिकांश छात्रों को कैंपस के बाहर रहना पड़ता है. ऐसे में विभिन्न पार्टियों से जुड़े छात्रसंघ छात्रों की मदद करने का काम करते हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले नए छात्रों का कॉलेज गेट पर तिलक लगाकर व मिठाई खिलाकर स्वागत किया. एबीवीपी ने रामजस, हिंदू, किरोड़ीमल, मोतीलाल नेहरू, अदिति, श्यामलाल कॉलेज सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के 50 अन्य कॉलेजों में नये छात्रों की मदद के लिए कैंप लगाया. विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन पर वेलकम फ्रेशर्स की एक सुंदर रंगोली भी एबीवीपी द्वारा बनायी गयी. एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले हर एक छात्र एवं छात्राओं का हार्दिक स्वागत है. छात्रों के सर्वांगीण विकास एवं उनकी हर एक समस्याओं के समाधान के लिए कैंपस परिसर में 365 दिन उपस्थित रहेगी. इस दौरान एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने छात्रों को पीजी हॉस्टल, कॉलेज के संबंध में जानकारी मुहैया करायी.
छात्र संघ चुनाव के लिए पैठ बनाने की पहल
शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होने पर एनएसयूआई और एबीवीपी नये छात्रों के मदद लिए कई कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. इस कड़ी में गुरुवार को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने नये छात्रों का स्वागत किया और उन्हें कई तरह की जानकारी दी. इस तरह के आयोजन के जरिये छात्रसंघ की कोशिश छात्रों के बीच अपनी पहचान बनाने की होती है. ताकि जब छात्र संघ के चुनाव हों तो अधिक से अधिक छात्रों का समर्थन हासिल हो सके. अमूमन दिल्ली विश्वविद्यालय में सितंबर में छात्रसंघ का चुनाव होता है. इन चुनाव में मुख्य मुकाबला एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच ही होता रहा है. वैसे वामपंथी छात्रसंघ भी चुनाव लड़ते हैं, लेकिन उन्हें अब तक खास कामयाबी नहीं मिल सकी है.