DUSU Election: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव संपन्न हो चुका है. लेकिन चुनाव के दौरान हुड़दंग और सार्वजनिक संपत्ति को गंदा करने के मामले में सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में मतगणना पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 21 अक्टूबर को होनी है. हाईकोर्ट के मतगणना पर रोक लगाने के फैसले पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) ने शनिवार को कहा कि मतगणना तत्काल होनी चाहिए. छात्रसंघ शिक्षा और युवाओं के मुद्दों को उठाने का सशक्त माध्यम रहे हैं और ऐसे में छात्रसंघ का तत्काल गठन जरूरी है.
एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रसंघ चुनाव संबंधी हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान छात्रसंघों को पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव के दौरान पैसे के इस्तेमाल पर हैरानी जताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि इसमें करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. छात्रसंघ चुनाव में पैसे के प्रयोग को रोकना होगा ताकि राजनीति के शुरुआती स्तर पर ही छात्रों को भ्रष्ट होने से रोका जा सके.
छात्र संघ चुनाव के लिए तय की गयी खर्च की सीमा व्यवहारिक नहीं
याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि मौजूदा जरूरतों को देखते हुए छात्रसंघ चुनाव के लिए तय नियमों और खर्च की सीमा में बदलाव की जरूरत है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में लगभग डेढ़ लाख वोटर हैं, वहां पांच हजार रुपए में चुनाव लड़ने का नियम तर्कसंगत नहीं है. साथ ही चुनाव के लिए तय अन्य नियमों में भी बदलाव होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी का छात्र संगठन दो बार छात्र संघ चुनाव लड़कर बुरी तरह हार चुका है. ऐसे में चुनाव को बदनाम करने की साजिश कर रहा है.
एबीवीपी की राष्ट्रीय मंत्री शिवांगी खरवाल ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव में जो सुधार के लिए पूर्व कुलपतियों, शिक्षाविद, छात्रसंघ के पदाधिकारियों, छात्र संगठनों के प्रतिनिधि व अन्य विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जानी चाहिए. छात्रसंघ चुनाव में धनबल पर रोक लगाने और पारदर्शिता लाने के लिए लिंगदोह कमेटी ने कई सिफारिशें की थी. लिंगदोह कमेटी में छात्रसंघ चुनाव में खर्च की सीमा पांच हजार रुपये निर्धारित करने के अलावा प्रचार के लिए हाथ से लिखे बैनर और पोस्टर का प्रयोग करने को कहा था.