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Educational motivation : इमोशनल इंटेलिजेंस के साथ जीवन की जटिलताओं को करें पार 

इमोशनल इंटेलिजेंस यानी भावनात्मक बुद्धिमत्ता, किसी व्यक्ति की अपनी भावनाओं और दूसरों की भावनाओं को समझने और प्रबंधित करने की क्षमता को संदर्भित करती है. विभिन्न शोधों से पता चलता है कि यह वर्क लाइफ, रिलेशनशिप, एजुकेशन और मेंटल एवं फिजिकल वेल बीइंग को व्यक्त करने का एक प्रभावी माध्यम है. कॉलेज छात्रों के संदर्भ में शैक्षणिक जीवन की जटिलताओं को पार करने, अर्थपूर्ण रिश्ते बनाने और भविष्य की राह में बढ़ने के लिए भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करना महत्वपूर्ण है.

By Prachi Khare | July 22, 2024 3:00 PM
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Educational motivation : कॉलेज लाइफ में जोश व उत्साह के साथ छात्रों को कभी-कभी तनाव व दबाव का सामना भी करना पड़ता है. भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करके छात्र कॉलेज में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं. ऐसा करने से उनका सामाजिक संपर्क बेहतर होता है, उन्हें व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को निभाने में मदद मिलती है, उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उन्हें करियर की दिशा में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलता है.   

शैक्षणिक सफलता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता  

अध्ययनों ने लगातार भावनात्मक बुद्धिमत्ता और शैक्षणिक प्रदर्शन के बीच सकारात्मक संबंध काे दर्शाया है. दिल्ली विश्वविद्यालय में 2020 में किये गये अध्ययन से पता चला है कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता रखनेवाले छात्र अन्य छात्रों की तुलना में शैक्षणिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करते हैं. इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि ये छात्र शैक्षणिक दबावों को संभालने, लक्ष्यों पर फोकस बनाये रखने और चुनौतियों का सामना करने में बेहतर होते हैं. 

मानसिक स्वास्थ्य पर असर

भारत में कॉलेज छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आम हैं.  ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) द्वारा 2021 में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 42 फीसदी भारतीय कॉलेज छात्रों में चिंता और अवसाद के लक्षण देखने को मिलते हैं. भावनात्मक बुद्धिमत्ता छात्रों में भावनात्मक अवस्थाओं को पहचानने और उनका समाधान करके मानसिक स्वास्थ्य के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भावनात्मक बुद्धिमत्ता रखनेवाले छात्रों में गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के विकसित होने की आशंका कम हो जाती है. उच्च स्तर की भावनात्मक बुद्धिमत्ता किसी व्यक्ति के शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर उन्हें तनाव के प्रति अधिक लचीला बनाती है. 

आप इन बातों पर ध्यान देकर खुद में इमोशनल इंटेलिजेंस की खूबी को विकसित कर सकते हैं –

अपने प्रति जागरूक बनें : स्व-जागरूकता में अपनी भावनाओं को पहचानना और उनके व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना शामिल है. यह भावनात्मक बुद्धिमत्ता की नींव है. छात्र ध्यान (मेडिटेशन) के माध्यम से स्व-जागरूकता विकसित कर सकते हैं. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा 2018 में किये गये एक अध्ययन में पाया गया कि ध्यान लगाने की प्रक्रिया ने छात्रों में तनाव को काफी कम किया है और नियमित रूप से ध्यान करनेवाले छात्रों के समग्र भावनात्मक कल्याण में सुधार देखा गया है. 

खुद को मोटिवेट करें : आंतरिक प्रेरणा, इमोशनल इंटेलिजेंस का एक प्रमुख पहलू है. मुश्किलों का सामना करने के लिए खुद को प्रेरित करने वाले छात्र व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने और उन्हें प्राप्त करने में अधिक सफल रहते हैं. ऐसे छात्रों में अपने साथियों की तुलना में अधिक दृढ़ता, रचनात्मकता और समग्र कल्याण का प्रदर्शन देखने को मिलता है. 

दूसरों से बिठाएं तालमेल : मित्रों के साथ अच्छे संबंध बनाने के साथ-साथ तालमेल बैठा कर चलने का गुण छात्रों को नये माहौल में जल्द सहज होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऐसे छात्र कॉलेज के बाद प्रोफेशनल लाइफ में भी टीम स्पिरिट के साथ आगे बढ़ने में सफल होते हैं. इनमें अपने साथ-साथ दूसरों को मोटिवेट करने की खूबी भी होती है. 

सोशल स्किल्स : व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों तरह के रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए सोशल स्किल्स आवश्यक हैं. मजबूत पारस्परिक कौशल का प्रदर्शन करियर के लक्ष्यों को पूरा करने, कंपनी की उपलब्धियों में योगदान देने, भर्ती प्रक्रिया के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने और अपने पेशेवर नेटवर्क का विस्तार करने में मदद कर सकता है. अपने सोशल स्किल्स को समझना और सुधारना छात्रों को जीवन के हर क्षेत्र में लाभ पहुंचा सकता है. 

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