Essay on Bhagat Singh in Hindi: भगत सिंह पर निबंध ऐसे लिखें छात्र
स्कूल की परीक्षाओं या बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों को भगत सिंह पर निबंध लिखने के लिए दिया जा सकता है, इसलिए इस लेख में आप भगत सिंह पर निबंध (Essay on Bhagat Singh in Hindi) 150 शब्दों और 400 शब्दों में लिखना सीखेंगे.

Essay on Bhagat Singh in Hindi: शहीद भगत सिंह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने हंसते-हंसते देश के लिए अपनी जान दे दी थी. 23 मार्च को उनकी पुण्यतिथि है और इस मौके पर पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर उन्हें और उनके बलिदान को याद करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यह दिन छात्रों और युवाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. स्कूल की परीक्षाओं या बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों को भगत सिंह पर निबंध लिखने के लिए दिया जा सकता है, इसलिए इस लेख में आप भगत सिंह पर निबंध (Essay on Bhagat Singh in Hindi) 150 शब्दों और 400 शब्दों में लिखना सीखेंगे.
भगत सिंह पर निबंध (Essay on Bhagat Singh in Hindi)
150 शब्दों में भगत सिंह पर निबंध (Essay on Bhagat Singh in Hindi) इस प्रकार है-
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायपुर जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था. भगत सिंह अकेले नहीं, उनके पिता और चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह भी प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे.
भगत सिंह ने अपनी पढ़ाई डीएवी हाई स्कूल, लाहौर से की थी।.13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हुए हत्याकांड का गहरा असर 12 साल के भगत सिंह पर पड़ा. इसी घटना ने उन्हें अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा दी.
इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और “नौजवान भारत सभा” बनाई. भगत सिंह ने राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर काकोरी कांड को अंजाम दिया. 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश संसद में बम और पर्चे फेंके, ताकि अंग्रेजी शासन को जागरूक किया जा सके. उनका “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा बहुत प्रसिद्ध हुआ.
7 अक्टूबर 1930 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी, जो 24 मार्च 1931 को दी जानी थी लेकिन अंग्रेजी सरकार इतनी डर गई थी कि उन्होंने 23 मार्च 1931 को तय तारीख से 11 घंटे पहले ही उन्हें फांसी दे दी.
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भगत सिंह पर निबंध (Essay on Bhagat Singh in Hindi)
400 शब्दों में भगत सिंह पर निबंध (Essay on Bhagat Singh in Hindi) इस प्रकार है-
प्रस्तावना
भगत सिंह भारतीय इतिहास के सबसे साहसी और प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. उन्हें उनकी बहादुरी, क्रांतिकारी विचारों और देश की आजादी के लिए सर्वोच्च बलिदान के लिए याद किया जाता है. 28 सितंबर 1907 को बंगा (अब पाकिस्तान में) में जन्मे भगत सिंह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक बन गए.
भगत सिंह का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Bhagat Singh Essay in Hindi)
भगत सिंह का जन्म एक सिख परिवार में किशन सिंह संधू और विद्यावती कौर के घर हुआ था. छोटी उम्र से ही वे देशभक्ति की कहानियों और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों से बहुत प्रभावित थे. वे एक बुद्धिमान छात्र थे और उन्होंने शुरुआत में लाहौर के दयानंद एंग्लो-वैदिक (डीएवी) स्कूल में पढ़ाई की. एक युवा लड़के के रूप में वे 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड से स्तब्ध थे और इसने उन पर एक स्थायी प्रभाव डाला और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के उनके दृढ़ संकल्प को बढ़ावा दिया.
क्रांतिकारी आदर्श भगत सिंह (Bhagat Singh in Hindi)
भगत सिंह की क्रांतिकारी यात्रा तब शुरू हुई जब वे “हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” (HSRA) के सदस्य बने. वे चंद्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के विचारों से बहुत प्रेरित थे, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ रहे थे. 1928 में भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या की योजना बनाई. असेंबली बम विस्फोट 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में दिल्ली में केंद्रीय विधान सभा में बम फेंके. इसका उद्देश्य हत्या करना नहीं था, बल्कि सरकार को युवाओं के गुस्से से अवगत कराना था. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उनका मुकदमा उनके लिए स्वतंत्रता संग्राम पर अपने विचार व्यक्त करने का एक मंच बन गया.
भगत सिंह की शहादत और विरासत
अपने वीरतापूर्ण कार्यों के बावजूद, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या में शामिल होने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को 23 वर्ष की छोटी उम्र में फांसी दे दी गई थी. ब्रिटिश सरकार ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों से बचने के लिए उनकी फांसी की सजा को कई घंटे पहले ही तय कर दिया था. उनका साहस आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करता है.
उपसंहार
भगत सिंह की बहादुरी, बलिदान और स्वतंत्र भारत के लिए उनके सपने ने देश पर हमेशा के लिए प्रभाव छोड़ा है. उनकी विरासत उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए लड़ना जारी रखते हैं. भगत सिंह भारतीय इतिहास के सबसे महान शहीदों में से एक हैं.
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