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Children’s Day 2024 : चाचा नेहरू की प्रमुख किताबें, जिनमें छात्रों के लिए हैं अहम सबक

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें बच्चे प्यार से 'चाचा नेहरू' कहते थे, आज उनका जन्मदिन है और भारत में उनके जन्मदिन को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. आज पंडित नेहरू के जन्मदिन पर जानें उनकी ऐसी किताबों के बारे में, जिन्हें पढ़कर छात्र अपने जीवन में बहुत सी सकारात्मक सीख हासिल कर सकते हैं...

Children’s Day 2024 : पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जेल से अपनी बेटी इंदिरा को लिखी अपनी एक चिट्ठी में लिखा था, ”मैं लिखने वाला व्यक्ति नहीं हूं.’ लेकिन उन्होंने लिखने का कोई अवसर नहीं खोया. नेहरू केवल स्वतंत्रता आंदोलन के नेता और भारत के पहले प्रधानमंत्री ही नहीं थे, बल्कि एक कुशल लेखक भी थे. उनकी पुस्तकों में विश्व इतिहास की झलक, भारत की खोज और एक आत्मकथा के साथ-साथ निबंधों के संग्रह और उनके हजारों पत्र और भाषण शामिल हैं. एक बेहतरीन लेखक होने के साथ नेहरू एक उत्साही पाठक भी थे और उन्होंने 21 मई, 1922 से 29 जनवरी, 1923 तक अकेले 55 किताबें पढ़ीं थीं. उन्होंने दर्शनशास्त्र में गहराई से प्रवेश किया, विचारों और आंदोलनों की अपनी समझ को उजागर करने के लिए इतिहास के पन्ने पलटे. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, नेहरू को ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा नौ साल से अधिक समय तक कैद में रखा गया था. राजनीतिक गतिविधि से इस अलगाव में उन्हें सोचने, प्रतिबिंबित करने और लिखने का समय मिला. उनका लेखन एक अनूठी शैली से चिह्नित है और छात्र उनके लेखन से लाभान्वित हो सकते हैं. जानें उनकी प्रमुख किताबों के बारे में.

विश्व इतिहास की झलक

विश्व इतिहास की झलक (Glimpses of World History) पुस्तक अंतरराष्ट्रीय राजनीति, संस्कृति और कला तथा सभ्यताओं के उतार- चढ़ाव के इतिहास की गहरी समझ प्रदान करती है. नेहरू लिखित यह किताब एक तरह से दुनिया के अतीत को जानने की एक कुंजी है. इसका हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध है, जिसके संपादक च्रदगुप्त वार्ष्णेय हैं और इस किताब को आप सस्ता साहित्य मंडल, नयी दिल्ली से ले सकते हैं. जेल में लिखी गयी इस किताब की भूमिका में नेहरू ने लिखा है- ‘दुनिया के इतिहास पर किसी का भी कुछ लिखना हिम्मत का काम है.  मेरे लिए यह जुर्रत करना तो एक अजीब बात थी, क्योंकि मैं न लेखक हूं और न इतिहास के जाननेवालों में गिना जाता हूं. कोई बड़ी पुस्तक लिखने का तो मेरा ख्याल भी न था. लेकिन जेल के लंबे और अकेले दिनों में मैं कुछ करना चाहता था और मेरा ध्यान आजकल की दुनिया और उसके कठिन सवालों से भटककर पुराने जमाने में दौड़ता फिरता था. क्या-क्या सबक यह पुराना इतिहास हमे सिखाता है, क्या रोशनी आजकल के अंधेरे में डालता है? क्या यह सब कोई सिलसिला है, कोई माने रखता है या यह एक बेमानी खेल है, जिसमें कोई कायदा कानून नहीं और सब बातें यों ही इत्तेफाक से होती हैं? ये खयाल मेरे दिमाग को परेशान करते थे और इस परेशानी को दूर करने के लिए मैंने इतिहास को पढ़ा और आजकल के हालात को समझने की कोशिश की. दिमाग में बहते हुए विचारों को पकड़कर कागज पर लिखने से सोचने में भी आसानी होती है और उसके नये-नये पहलू निकलते हैं. इसलिए मैंने लिखना शुरू किया. ‘

पिता के पत्र पुत्री के नाम

यह नेहरू द्वारा बेटी इंदिरा प्रियदर्शिनी को लिखे पत्रों का संग्रह है. पिता के पत्र पुत्री के नाम (Letters from a Father to His Daughter)से प्रकाशित यह इस पुस्तक में शामिल पत्र उन्होंने तब लिखे थे, जब इंदिरा दस साल की थीं.  हिंदी के प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद ने मूल रूप से अंग्रेजी में लिखे गये इन पत्रों का हिंदी में अनुवाद किया था, जो पुस्तक के रूप में उपलब्ध है.  

भारत की खोज 

नेहरू ने भारत की खोज  (Discovery of India) महाराष्ट्र के अहमदनगर किले में लिखी थी, जहां उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त, 1942 से से 28 मार्च, 1945 तक कैद में रखा गया था. कहते हैं इतिहास के छात्रों के लिए यह किताब बेहद उपयोगी है, लेकिन कोई भी छात्र जिसे भारतीय इतिहास, दर्शन और संस्कृति की एक बेहतर समझ हासिल करना हो, तो उसे यह किताब जरूर पढ़ना चाहिए. यह किताब एक टाइम मशीन की तरह है. इंग्लिश में लिखी गयी इस किताब का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और फिल्मकार श्याम बेनेगल ने इस किताब पर केंद्रित  ‘भारत एक खोज’ नाम से दूरदर्शन के लिए एक धारावाहिक भी बनाया था. 

लेटर्स फॉर अ नेशन

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बनने के दो महीने बाद, अक्तूबर 1947 में जवाहरलाल नेहरू ने देश की प्रांतीय सरकारों के प्रमुखों को अपना पहला पाक्षिक पत्र लिखा और पत्र लिखने की यह परंपरा उन्होंने अपनी मृत्यु से कुछ महीने पहले तक कायम रखी. सावधानीपूर्वक चयनित इस संग्रह में नागरिकता, युद्ध और शांति, कानून और व्यवस्था, शासन और भ्रष्टाचार और दुनिया में भारत का स्थान सहित कई विषयों पर केंद्रित पत्र शामिल हैं. किताब में लिए गये पत्रों में विश्व की महत्वपूर्ण घटनाओं और स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती सोलह वर्षों में देश ने जिन संकटों का सामना किया, उनका भी जिक्र है. 

एन ऑटोबायोग्राफी (नेहरू)

नेहरू की आत्मकथा संभवतः उनकी सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब है. उन्होंने इसे 1934 और 1935 में जेल में रहने के दौरान लिखा था. किताब में उन्होंने अपने बचपन, अपने पालन-पोषण और शिक्षा के बारे में लिखा है, लेकिन किताब का अधिकांश हिस्सा उस भारत में राजनीतिक अशांति की तस्वीर चित्रित करता है, जिसमें वे बड़े हुए थे. इस पुस्तक को पढ़ना वास्तव में इतिहास की यात्रा करने जैसा है.

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