History Of Chess: माना जाता है कि शतरंज के खेल का आविष्कार भारत में होने के बाद यह पारसी देशों में प्रचलित हुआ, इसके बाद पूरे विश्व में पहुंचा. भारत में शतरंज खेलने की शुरुआत भी पांचवी-छठी शताब्दी के समय से मानी जाती है. यहां जानें कैसे हुई थी शतरंज खेलने की शुरुआत
शतरंज के खेल की जब भारत में शुरुआत हुई थी तब इसका ये नाम नहीं था. उस वक्त इसे ‘चतुरंग’ के नाम से जाना जाता था. लेकिन समय के साथ इसका नाम बदल गया और वर्तमान में इसे हिंदी में ‘शतरंज’ बुलाया जाता है.हालांकि इसे दुनियाभर में इसे ‘चेस’ के नाम से जाना जाता है. जो कि भारत से ईरान होते हुए दुनिया में फैलने के बाद इसे यूरोपीय देशों से द्वारा दिया गया नाम है.
माना जाता है कि 1500 साल पहले गुप्त साम्राज्य के दौरान शतरंज या चतुरंगा का खेल अस्तित्व में आया. यह खेल 6वीं शताब्दी के दौरान भभारत में फला-फूला, जो सेना के चार डिवीजन – पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी और रथ या आधुनिक दिन के मोहरे, शूरवीर, किश्ती और बिशप पर आधारित था. तब इस खेल को चतुरंग कहा जाता था. ये खेल असल में एक युद्ध वाले फॉर्मेट का खेल खेल था. मध्ययुगीन काल में जैसे अगर राजा ने आत्मसमर्पण कर दिया, तो यह उसके राज्य के नुकसान का प्रतीक होता था, ठीक उसी तरह जैसे राजा के पकड़े जाने पर शतरंज के खेल में खिलाड़ी हार जाता है.
शतरंज के खेल के उद्भव के बारे में इसकी प्राचीनता को महाभारत के समय से भी जोड़ा जाता है. हालांकि इसकी अधिक लोकप्रियता गुप्तकाल में हुई थी. यही नहीं भारत में इस तरह के और भी कई खेलों का उद्भव प्राचीन समय में हुआ है.शतरंज भारत की ओर से दुनिया को खेल के तौर पर एक महान उपहार है.