National Herbs And Spices Day 2024: राष्ट्रीय जड़ी-बूटी और मसाला दिवस यानी नेशनल हर्ब्स और स्पाइसेज डे आज यानी 10 जून को विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है. राष्ट्रीय जड़ी-बूटी और मसाला दिवस पहली बार आधिकारिक तौर पर वर्ष 2015 में मनाया गया था, जिसमें ताजी और सूखी जड़ी-बूटियों और मसालों की विविधता और गुणवत्ता को मान्यता दी गई थी. आपको बता दें ये दिन अमेरिका में काफी प्रसिद्ध है.
जानें नेशनल हर्ब्स और स्पाइसेज डे का इतिहास
राष्ट्रीय जड़ी-बूटियाँ और मसाले दिवस आधिकारिक तौर पर वर्ष 2015 से मनाया जा रहा है. रसोई में जड़ी-बूटियाँ और मसाले न केवल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उनमें से कई का औषधीय महत्व भी है, यही वजह है कि इस तरह का दिन अस्तित्व में आया होगा. 2015 में ‘राष्ट्रीय’ और ‘मसाले’ शब्द जोड़े जाने से पहले, इस छुट्टी का सबसे पुराना संदर्भ 1999 में ‘हर्ब डे’ था.
मसालों और जड़ी-बूटियों के सबसे शुरुआती प्रशंसकों में से एक सम्राट शारलेमेन (742-814 ई.) थे. जाहिर तौर पर उन्हें उनके बारे में इतना जुनून था कि उन्होंने 74 अलग-अलग जड़ी-बूटियों की एक सूची बनाई और उन्हें अपने बगीचों में लगाया. हालाँकि, हमारे शब्दों पर भरोसा न करें, देखें कि सम्राट शारलेमेन ने खुद क्या कहा था: “जड़ी-बूटियाँ चिकित्सकों की मित्र और रसोइयों की प्रशंसा हैं.” मध्य युग तक, खाना पकाने और दवा दोनों में जड़ी-बूटियों और मसालों का उपयोग आम हो गया था. “द फॉर्म ऑफ क्यूरी” (“द मेथड ऑफ कुकिंग”) जैसी किताबें सामने आने लगीं, जिसने जड़ी-बूटियों के व्यापक उपयोग को बढ़ावा दिया. आधुनिक समय की एलोपैथी की जड़ें भी आम बीमारियों को ठीक करने के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों के मिश्रण में हैं.
भारत में मसालों का इतिहास
आपको बता दें भारत के मसालों का इतिहास हजारों साल पुराना है. जड़ी-बूटियों और मसालों का इस्तेमाल भारतीय जनजातियों द्वारा लगभग ‘मसालों की मानव सभ्यता’ के समय से ही किया जाता रहा है. ऋग्वेद (लगभग 6000 ईसा पूर्व) और यजुर्वेद, सामवेद और अथर्वेद भारत में मसालों का लिखित रिकॉर्ड प्रदान करते हैं. इसके अलावा साल 1498 में वास्को डी गामा ने भारतीय मसालों के यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच व्यापार की शुरुआत की थी.
भारत ऐसे बना मसालों का हब
भारत को मसालों का हब कहा जाता है आपको बता दें भारत का वातावरण मसाले उगाने के लिए काफी उपयुक्त है. यहां पर उच्च आर्द्रता और विभिन्न प्रकार की जलवायु परिस्थितियां विभिन्न प्रकार की मसाला फसलों की खेती के लिए आदर्श स्थितियां पैदा करती हैं. जैसे-जैसे विदेशी यात्री भारत से यात्रा करते गए, ये मसाले धीरे-धीरे पूरे महाद्वीप में अपनी जगह बनाते गए. भारतीय मसालों में इस बढ़ती रुचि के कारण ही भारत अब मसाला हब के नाम से पहचाना जाने लगा है.