PV Narasimha Rao की जयंती पर आज यहां देखें उनके प्रेरणादायक कोट्स

PV Narasimha Rao: पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए, ताकि देश गरीबी से बाहर आ सके, आज उनकी 103वीं जयंती पर तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है और उन्हें याद कर रहे हैं.

By Pranav Aditya | June 28, 2024 2:55 PM
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PV Narasimha Rao: पामुलपर्थी वेंकट नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को हुआ था. वे 1991 से 1996 के दौरान भारत के नौवें प्रधान मंत्री रहे.प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव को 30 मार्च 2024 को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

PV Narasimha Rao: पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव ने लिये थे कई अहम फैसले

1991 में उनके पीएम बनते ही भारत पर दुनिया में छाई आर्थिक मंदी का असर दिखने लगा था.भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कम होने की वजह से नरसिम्हा राव की सरकार ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया, और दोनों ने मिलकर ग्लोबलाइजेशन, लिब्रलाइजेशन और प्राइवेटाइजेशन जैसे तीन आर्थिक सुधारों के जरिए देश को इस संकट से बाहर निकाला था.

पीएम नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने पीवी. नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि दी

भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी. नरसिम्हा राव को आज उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी.

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PV Narasimha Rao: पी वी नरसिम्हा राव के जन्मदिन के अवसर पर आज उन्हें पूरा देश याद कर रहा है,आइए देखते है उनके प्रेरणादायक कोट्स

●मेरा मानना है कि मनुष्य का सबसे पवित्र अधिकार खुश रहना है.इसलिए मैं धन-संपत्ति की उतनी परवाह नहीं करता, जितना कि मैं मानता हूं की मूल आवश्यकता खुशी है, और मैं उस व्यवस्था से लड़ूंगा जो खुशी को धन-संपत्ति के बराबर मानती है और उस बेतुके प्रस्ताव के आधार पर सामाजिक संबंध बनाती है.

●समूह खेल में, कभी-कभी अंत में शामिल होने वाला खिलाड़ी सबसे अधिक मूल्य अर्जित करता है, क्योंकि वह ही अंततः गोल करता है.

●अच्छाई करने के लिए बहुत ज़्यादा मेहनत लगती थी, जैसे पहाड़ को हिलाना, जबकि करना आसान लगता था.इससे भी बुरी बात यह है कि बहुत से लोगों ने बुराई को एक सामान्य बात मान लिया, जब तक कि सत्ता में बैठे व्यक्ति के कामों में इसका सार्वजनिक रूप से पता नहीं चल गया. फिर इसे तब तक लगातार बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता रहा जब तक कि यह वास्तविकता से बिल्कुल अलग न हो जाए. अक्सर, इसमें शामिल व्यक्ति को बेरहमी से हथौड़े के नीचे मक्खी की तरह कुचल दिया जाता था.

●चुनाव युद्ध छेड़ने का अवसर बन गए, समूहों और व्यक्तियों दोनों के लिए हिसाब बराबर करने का अवसर.कोई भी अपनी मर्जी से अपनी पार्टी बदल सकता था. कोई भी किसी भी पार्टी को कभी भी छोड़ सकता था और बाद में अपनी सुविधानुसार उसमें फिर से शामिल हो सकता था.

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