Sengol का ये है इतिहास, जानें महत्व

Sengol क्या है: सेंगोल, एक प्राचीन राजदंड जिसका इतिहास चोल साम्राज्य से जुड़ा हुआ है, क्या आप जानते हैं कि सेंगोल क्या है और भारत के इतिहास में क्या महत्व है?

By Govind Jee | June 29, 2024 12:10 PM

Sengol एक प्राचीन राजदंड जिसका इतिहास चोल साम्राज्य से जुड़ा हुआ है, हाल ही में भारत के नए संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित किया गया था. इस ऐतिहासिक क्षण ने सेंगोल के महत्व को एक बार फिर उजागर किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेंगोल क्या है और इसका भारत के इतिहास में क्या महत्व है?

Untitled design 8 3
Sengol

सेंगोल क्या है?

सेंगोल एक स्वर्ण परत वाला राजदंड है जो मुख्य रूप से चांदी से बना होता है. इसका इतिहास चोल साम्राज्य (907-1310 ईस्वी) से जुड़ा हुआ है. नए राजा के राजतिलक के समय सेंगोल भेंट किया जाता था. इसका नाम तमिल शब्द ‘सेम्मई’ (नीतिपरायणता) और ‘कोल’ (छड़ी) से मिलकर बना है. कुछ विद्वानों का मानना है कि यह शब्द संस्कृत के ‘संकु’ (शंख) से भी जुड़ा हो सकता है, क्योंकि सनातन धर्म में शंख पवित्रता का प्रतीक है.

सेंगोल का महत्व

सेंगोल भारत के प्राचीन शासन व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है. यह राजा और राज्य की संप्रुभता का प्रतीक रहा है. इसके अलावा, मुकुट या छत्र और पताका भी राज्य की शक्ति के प्रतीक थे. जहां पताका के जरिए राज्य की सीमा निर्धारित होती थी, वहीं छत्र और मुकुट प्रजा के बीच राजा की मौजूदगी का प्रतीक थे और राजदंड, राजा की आम सभा में न्याय का प्रतीक रहा है. इतिहास के कालखंड से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजदंड का प्रयोग मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) में भी हुआ करता था. मौर्य सम्राटों ने अपने विशाल साम्राज्य पर अपने अधिकार को दर्शाने के लिए राजदंड का इस्तेमाल किया था. चोल साम्राज्य (907-1310 ईस्वी) के अलावा गुप्त साम्राज्य (320-550 ईस्वी), और विजयनगर साम्राज्य (1336-1646 ईस्वी) के इतिहास में भी राजदंड प्रयोग किया गया है.

पढ़ें: JSSC CGL 2024 की कर रहे हैं तैयारी, तो इन GK के प्रश्नों को करें पढ़ाई में शामिल

सेंगोल का पुनरुद्धार

1947 में धार्मिक मठ – अधीनम के प्रतिनिधि ने सैंगोल भारत गणराज्य के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था. लेकिन भारत में लोकतांत्रिक शासन होने के कारण इसे इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया और किसी सरकार ने इसका इस्तेमाल नहीं किया. 28 मई 2023 को नए संसद भवन के लोकार्पण के समय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधि-विधान के साथ सेंगोल की स्थापना की.

Sengol इस ऐतिहासिक क्षण ने सेंगोल के महत्व को एक बार फिर उजागर किया है. यह भारत के लोकतंत्र के प्राचीन प्रतीक के रूप में अपनी अनूठी पहचान को दर्शाता है. सेंगोल का नया संसद भवन में स्थापित होना भारत की प्राचीन शासन परंपराओं और मूल्यों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है.

ये भी पढ़ें: Bihar GK GS: बिहार राज्य की सभी प्रथम उपलब्धियों के बारे में जानें

Exit mobile version