Swami Vivekananda Death Anniversary 2024: आज 4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि है. साल 1902 कि 4 जुलाई को मात्र 39 साल की उम्र में स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु हो गई थी. आज हम यहां आपको बताने जा रहे हैं स्वामी विवेकानंद कि जीवनी और उनसे जुड़ी रोचक बातें
स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी
जन्म तिथि: 12 जनवरी, 1863
जन्म स्थान: कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी
माता-पिता: भुवनेश्वरी देवी (माता) और विश्वनाथ दत्ता (पिता)
शिक्षा: कलकत्ता मेट्रोपॉलिटन स्कूल; प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता
संस्थान: रामकृष्ण मठ; रामकृष्ण मिशन; न्यूयॉर्क की वेदांत सोसाइटी
धार्मिक दृष्टिकोण: हिंदू धर्म
दर्शन: अद्वैत वेदांत
प्रकाशन: कर्म योग (1896); राज योग (1896); कोलंबो से अल्मोड़ा तक व्याख्यान (1897); माई मास्टर (1901)
मृत्यु: 4 जुलाई, 1902
मृत्यु स्थान: बेलूर मठ, बेलूर, बंगाल
स्मारक: बेलूर मठ, बेलूर, पश्चिम बंगाल
पढ़ाई में कुछ ऐसे थे स्वामी विवेकानंद
वैसे तो स्वामी विवेकानंद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, पर पढ़ाई लिखाई में उनका प्रदर्शन औसत था. उनको यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी अंक पाए थे, हाईस्कूल परीक्षा पास करने के बाद कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया.
प्रेसिडेंसी कॉलेज को साल भर के बाद छोड़कर स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दाखिला लेकर उन्होंने फिलॉस्फी की पढ़ाई की और 1881 में एफए परीक्षा पास की. एफए में 46 फीसदी और बीए में 56 फीसदी अंक मिले थे. 1885 में इसी कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की.
चाय के शौकीन थे स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद चाय पीने का शौक रखते थे. स्वामी विवेकानंद को अलग-अलग तरह की चाय पीने का शौक था. आपको बता दें स्वामी जी ने उस वक्त अपने बेलूर मठ में चाय की एंट्री कराई थी. इसके अलावा स्वामी जी को तले हुए आलू को कुछ मसालों के साथ मिलाकर खाना पसंद था.
अपनी वेशभूषा को लेकर करना पड़ा था सवालों का सामना
स्वामी विवेकानंद को विदेश के अलावा भारत में भी अपनी वेशभूषा के लिए सवालों का सामना करना पड़ा था. 1897 में शिकागो की विश्व धर्म संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण के बाद भी उनकी काफी चर्चा हुई थी. उस वक्त कहा गया था कि समुद्र पार करने और गैर हिंदू खाना खाने के कारण वह भ्रष्ट हो गए हैं.
यहां देखें स्वामी विवेकानंद का प्रेरणादायक कोट्स
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप ईश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते.
स्वामी विवेकानंद
कुछ मत मांगो; बदले में कुछ मत चाहो. जो देना है, दे दो; वह तुम्हारे पास वापस आएगा, लेकिन अभी उसके बारे में मत सोचो.
स्वामी विवेकानंद
जब कोई विचार पूरी तरह से मन पर कब्जा कर लेता है, तो वह वास्तविक शारीरिक या मानसिक स्थिति में बदल जाता है.
स्वामी विवेकानंद
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा को उसमें डाल दो, बाकी सब कुछ छोड़कर.
स्वामी विवेकानंद
उठो जागो, और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए.
स्वामी विवेकानंद