Top 5: कौन से हैं भारत के पांच सबसे बड़े जंगल, जानिए यहां

Top 5: इस पूरे लेख में हम भारत के पांच सबसे बड़े जंगलों के बारे में जान सकेंगे. भारत में वनों की बात करें तो वनों से आच्छादित कुल क्षेत्रफल 7,08,273 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे प्राकृतिक रूप से हरा-भरा बनाता है और ये वन्यजीव का निवास स्थान हैं.

By Govind Jee | July 19, 2024 10:24 PM

Top 5: भारत अपनी संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है और इसके साथ ही इस देश की विविधता जो गांवों, कस्बों और राज्यों को मिलाकर अन्य देशों से अलग बनती है. अगर भारत की बात करें तो इसका क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है, जो बर्फ से ढके हिमालय की ऊंचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के भूमध्यरेखीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है. दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश होने के नाते भारत पूरे एशिया के सभी देशों से अलग दिखता है, जिसकी खासियत पहाड़ और समुद्र इस देश को एक विशिष्ट भौगोलिक पहचान देते हैं. आज इस लेख में हम भारत के पांच सबसे बड़े जंगलों के बारे में बात करेंगे. अगर भारत में जंगलों की बात करें तो वनों से आच्छादित कुल क्षेत्रफल 7,08,273 वर्ग किलोमीटर है और इसमें से अधिकांश वन क्षेत्र मिजोरम में है. अगर वन भूमि की बात करें तो इसमें मध्य प्रदेश आता है और इसका कुल वनों से आच्छादित क्षेत्रफल 77,000 वर्ग किलोमीटर है. तो आइये जानते हैं भारत के Top 5 वनों के बारे में.

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Top 5: भारत के पांच सबसे बड़े जंगल

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पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरवन का जंगल

पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरवन जंगल भारत का सबसे बड़ा और खतरनाक जंगल माना जाता है और यह जंगल गंगा नदी के डेल्टा पर स्थित है. सुंदरवन जंगल का क्षेत्रफल लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर है और यह रॉयल बंगाल टाइगर और खारे पानी के मगरमच्छों के लिए प्रसिद्ध है. यह जंगल भारत और बांग्लादेश दोनों में फैला हुआ है और जंगल की भूमि दलदली है, जो इसे अद्वितीय बनाती है. सुंदरवन में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा बनाता है और यहां गंगा और ब्रह्मपुत्र के अलावा पद्मा और मेघना जैसी नदियां बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं.

गुजरात में स्थित गिर का जंगल

वन राज्य रिपोर्ट (2018) के अनुसार, गुजरात का 11.18% भौगोलिक क्षेत्र वनों से आच्छादित है और यह सुंदरवन के बाद भारत का दूसरा सबसे अधिक वनाच्छादित राज्य है. यह राज्य अपने गिर शेरों के लिए प्रसिद्ध है और एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास है. यहां वनों का क्षेत्रफल 1,412 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 258 वर्ग किलोमीटर पूरी तरह से संरक्षित है.

मेघालय में स्थित खासी का जंगल

भारत के उत्तर पूर्व में स्थित मेघालय का खासी वन देश का तीसरा सबसे बड़ा जंगल है. खासी वन, पहाड़ों में स्थित यह वर्षा वन भारत का तीसरा सबसे बड़ा जंगल है, मेघालय दुनिया में सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान है. मौसिनराम सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान है, यहां इतनी अधिक वर्षा होती है कि इसकी औसत वार्षिक वर्षा 11,871 मिमी तक होती है. यह जंगल चेरापूंजी के भी करीब है, इसलिए मेघालय भारत के तीसरे सबसे बड़े जंगलों में से है और इस जंगल का क्षेत्रफल लगभग 2,741 वर्ग किलोमीटर है. मेघालय राज्य पहाड़ों में स्थित एक राज्य है, जो पूरी तरह से जंगलों से घिरा हुआ है और यह जंगल लगभग 1,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए यहां के जंगल बहुत बड़े और फैले हुए हैं.

अरुणाचल प्रदेश में स्थित नामडाफा का जंगल

अरुणाचल प्रदेश भी भारत के पूर्वोत्तर में स्थित एक राज्य है. यह राज्य अपनी जनजातियों और प्रकृति के साथ-साथ अपनी भौगोलिक विविधताओं, समुद्री जलवायु परिस्थितियों और चट्टानों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है. नामडाफा वन अरुणाचल प्रदेश में स्थित है, यह भारत का चौथा सबसे बड़ा जंगल है, और यहां का वन क्षेत्र 1,985 वर्ग किलोमीटर है. यह अपनी प्रजातियों की विविधता के लिए जाना जाता है, इसलिए यहां लाल पांडा और लाल लोमड़ी जैसी प्रजातियां पाई जाती हैं.

उत्तराखंड में स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का जंगल

उत्तराखंड अपने धार्मिक और कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही भारत की प्रमुख नदियां भी इसी राज्य से निकलती हैं. उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत के पांचवे सबसे बड़े जंगल के लिए जाना जाता है. इस जंगल की स्थापना 1936 में की गई थी. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है. इसका क्षेत्रफल 520 वर्ग किलोमीटर है और यह बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है.

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Top 5: आशा है आप इस लेख से भारत के पांच सबसे बड़े जंगलों के बारे में जान पाएंगे, भारत के ये जंगल न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी सहायक हैं, क्योंकि हाल के दिनों में जलवायु परिवर्तन चिंता का विषय बन गया है, इसलिए इन सभी जंगलों को बचाना महत्वपूर्ण हो जाता है और ये हमारी प्राकृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसका आनंद ले सकें.

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