How to Become Raw Agent: रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) अपने अधिकारियों और एजेंटों की भर्ती अलग-अलग तरीकों से करता है. भारत में रॉ में शामिल होने का एक तरीका यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (ग्रुप-ए आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और आईएफएस अधिकारी) के माध्यम से किया जाता है. इस लेख में, हम रॉ के संक्षिप्त अवलोकन, रॉ में कैसे शामिल हों, भारत में रॉ एजेंट की पात्रता, चयन प्रक्रिया, वेतन, रैंक और जिम्मेदारियों पर चर्चा करेंगे.
21 सितंबर, 1968 को हुई थी स्थापना
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, जिसे रॉ के नाम से भी जाना जाता है, भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है. आरएक्यू की स्थापना 21 सितंबर, 1968 को हुई थी. इसका प्राथमिक कार्य विदेशी खुफिया जानकारी एकत्र करना, आतंकवाद-विरोधी, प्रसार-विरोधी, भारतीय नीति निर्माताओं को सलाह देना और भारत के विदेशी रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाना है. यह एजेंसी भारत के परमाणु कार्यक्रम की सुरक्षा में भी शामिल है.
इससे पहले, रॉ सीधे तौर पर प्रशिक्षित ख़ुफ़िया अधिकारियों की भर्ती करता था जो इंटेलिजेंस ब्यूरो के बाहरी विंग से संबंधित होते थे. बाद में, रॉ ने विश्वविद्यालयों से ग्रेजुएटस की भर्ती शुरू की. 1983 में, रॉ ने सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के तहत ग्रुप ए सिविल सर्विसेज से प्रतिभा का चयन करने के लिए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (आरएएस) की स्थापना की.
क्लास I/ग्रुप ए अधिकारियों की भर्ती लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में फाउंडेशन कोर्स करने वाले सिविल सेवा अधिकारियों से की जाती है. रॉ सशस्त्र बलों के अधिकारी कोर या समूह ए सिविल सेवा अधिकारियों से पार्श्व प्रतिनियुक्ति के माध्यम से भी भर्ती आयोजित करता है. सचिवों के अधिकांश पद आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस कैडर के अधिकारियों को लेकर भरे गए हैं.
रॉ अधिकारियों की भर्ती कैसे की जाती है
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) भारत में सरकारी विभागों, सशस्त्र बलों, खुफिया एजेंसियों, पुलिस सेवाओं, प्रशासनिक सेवाओं आदि से उम्मीदवारों की भर्ती करता है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि रॉ में चयन केवल इन सेवाओं से होता है.
रॉ एजेंट बनने के लिए योग्यता
रॉ एजेंट बनने के लिए अच्छी शैक्षिक योग्यता और उल्लेखनीय कार्य अनुभव दोनों की आवश्यकता होती है. भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का हिस्सा बनना बहुत मुश्किल है. इस प्रतिष्ठित संगठन में चयनित होने के लिए उम्मीदवार को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना चाहिए. रॉ में नौकरी का अवसर पाने के लिए किसी प्रतिष्ठित संगठन या संस्थान से ग्रेजुएशन की डिग्री होना आवश्यक है. उम्मीदवार को किसी एक विदेशी भाषा पर पकड़ होना जरूरी होता है. उम्मीदवारों के पास तीव्र स्मरण शक्ति और अच्छा संचार कौशल होना चाहिए. इसके अलावा उम्मीदवारों की आयु 56 वर्ष से कम होनी चाहिए. इसके अलावा उम्मीदवार के पास सेवा में 20 वर्ष से अधिक का अनुभव होना चाहिए. उम्मीदवार की भारतीय नागरिक होनी चाहिए. उम्मीदवार की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि या अदालत में कोई लंबित मामला नहीं होना चाहिए अगर एसा नहीं होता है तो आप रॉ एजेंट बनने के लिए योग्य नहीं हो पाएंगे.
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) के माध्यम से रॉ अधिकारी भर्ती
कई बार रॉ अधिकारियों को प्रतिभाशाली उम्मीदवारों के बीच से चुना जाता है, जिन्होंने पहले ही यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और आईपीएस और आईएफएस अधिकारी बनने का विकल्प चुना है. रॉ में चयन तभी होता है जब एक सिविल सेवक लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी से फाउंडेशन कोर्स पूरा कर लेता है. पाठ्यक्रम के अंत में, रॉ इंटरव्यू और मनोवैज्ञानिक परीक्षण आयोजित किया जाता है. शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवार एक वर्ष की अवधि के लिए रॉ में काम करना शुरू करते हैं. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और अन्य संबद्ध सेवाओं सहित भारत की सिविल सेवाओं के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की भर्ती करता है. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में तीन चरण होते हैं यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा, यूपीएससी मुख्य और व्यक्तित्व परीक्षण, या यूपीएससी इंटरव्यू.
रॉ में मिलने वाले रैंक
रॉ में कई प्रकार के रैंक हैं और सभी पद के अपनी अलग अलग महत्व है. पद के हिसाब से अधिकारी के ऊपर कई सारे दायित्व है.
क्लास I/ग्रुप ए अधिकारी
1. सचिव/अपर सचिव (आर)
2. संयुक्त सचिव
3. निदेशक/उप सचिव/अटैच
ग्रुप ए अधिकारी
1. वरिष्ठ क्षेत्र अधिकारी
2. क्षेत्र अधिकारी
3. उप क्षेत्र अधिकारी
4. सहायक क्षेत्र अधिकारी
रॉ एजेंट की जॉब प्रोफाइल
रॉ एजेंट के जॉब प्रोफाइल में भारत के आसपास के देशों में राजनीतिक और सैन्य विकास की निगरानी करना शामिल है. नीचे, हमने भारत में रॉ एजेंट की प्रमुख भूमिकाएं और जिम्मेदारियां सूचीबद्ध की हैं-
1. विदेशी खुफिया जानकारी इकट्ठा करना
2.आतंकवाद विरोधी अभियानों का संचालन करना
3. देश में नीति निर्माताओं को सलाह देना
4. प्रतिप्रसार
5. देश के परमाणु कार्यक्रम को सुरक्षित करना
अनुसंधान एवं विश्लेषण विंग (रॉ) का कार्य तंत्र
रॉ विदेशी धरती पर विभिन्न महत्वपूर्ण अभियानों में खुफिया सहायता प्रदान करता है। यह इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) जैसे भारत के खुफिया संगठनों के साथ मिलकर काम करता है. एजेंसी गुप्त और प्रत्यक्ष अभियानों के माध्यम से सैन्य, आर्थिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक खुफिया जानकारी एकत्र करती है. यह भारत में हथियार और गोला-बारूद पहुंचाने वाले आतंकवादी तत्वों और तस्करी गिरोहों की निगरानी करने का काम भी करता है. रॉ मुख्य रूप से भारत के पड़ोसियों पर केंद्रित है. रॉ द्वारा एकत्रित इनपुट से भारतीय अधिकारियों को भी मदद मिलती है, जिनका उपयोग आगे राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और विदेश नीति को संशोधित करने में किया जाता है. रॉ हमें बताता है की हमारे देश के खिलाफ हमारे पड़ोसी देश किस प्रकार की रणनीति बना रहा है तथा हम अपनी कमियों को किस प्रकार से खत्म कर सकते है. हमारे देश में किस प्रकार की कमियां मौजूद है जिसका हमारे पड़ोसी देश फाइदा उठा कर गुप्त जानकारी प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं.
रिपोर्ट- विकास वैभव
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