जेईई 2023 परीक्षा में ऋषि कालरा को मैथ्स में 120 में से 113 अंक मिले हैं, जो सभी छात्रों में सबसे ज्यादा स्कोर है. उन्होंने फिजिक्स में 114 और केमिस्ट्री में 109 अंक प्राप्त किये हैं. इससे पहले जेईई मेन में उनकी 19वीं रैंक थी. वे आईआईटी मुंबई या दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने के बाद खुद का स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं. आइये जानते हैं जेईई के लिए उन्होंने अपनी तैयारी को कैसे मजबूती दी…
मैंने जेईई की तैयारी 9वीं-10वीं कक्षा से ही शुरू कर दी थी. पहले मैं ओलंपियाड के लिए पढ़ता था, लेकिन 11वीं व 12वीं कक्षा में मैंने जेईई एडवांस को ध्यान में रखकर ही पढ़ाई की. मैं दिन में 7 से 8 घंटे पढ़ाई को देता था और सोने, जागने, खेलने आदि के लिए एक निर्धारित शेड्यूल फॉलो करता था. मुझे लगता है कि किसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक फिक्स रूटीन को अपनाना बेहद जरूरी है.
आप किसी भी विषय को मुश्किल या आसान नहीं कह सकते. किसी भी विषय में मुश्किल प्रश्न बन सकते हैं. कई बार आसान लगनेवाले विषय से भी ऐसे प्रश्न पूछ लिये जाते हैं, जो समझ में नहीं आते. ऐसे में आसान विषय मुश्किल बन जाता है. मैं अपनी बात करूं तो मुझे रटने वाले विषय मुश्किल लगते हैं जैसे- इनऑर्गेनिक केमिस्ट्री. लॉजिकल क्वेश्चन से संबंधित विषय मुझे ज्यादा पसंद हैं. प्रश्नपत्र में सभी विषयों की वेटेज बराबर होती है, इसलिए मैंने सभी विषयों को बराबर समय दिया.
मैं स्टूडेंट्स से यह कहना चाहूंगा कि तनाव लेने से कुछ नहीं होता. स्ट्रेस से आपकी परफॉर्मेंस हमेशा नीचे ही जाती है, कभी ऊपर नहीं आती. आप पर अगर पियर प्रेशर है, तो आप उसे भी सकारात्मकता से अपना सकते हैं. आपके आस-पास के लोग अच्छा कर रहे हैं, तो उनसे अच्छी चीजें सीखें. ऐसे लोगों से आप मार्गदर्शन भी ले सकते हैं.
मैं यह नहीं कहूंगा कि कोचिंग के बिना छात्र इस परीक्षा में सफल नहीं होते, लेकिन कोचिंग का मार्गदर्शन सफलता के मुश्किल सफर को आसान बना देता है. जेईई एडवांस एक हाई लेवल परीक्षा है. मुझे अपनी तैयारी को पुख्ता बनाने में फिटजी से काफी अच्छा गाइडेंस मिला है.
मुझे ऑफलाइन का विकल्प ज्यादा बेहतर लगता है. ऑनलाइन आप कई बार अपनी समस्याओं को ठीक तरह से बता नहीं पाते. ऑफलाइन आप टीचर से अपनी मुश्किलों को आमने-सामने बैठ कर बता सकते हैं और बेहतर तरीके से उन्हें हल करने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं.
मेरे पिता डॉ राजेश कालरा और मां दीपा कालरा दोनों डॉक्टर हैं. बड़े भाई रोहन कालरा भी आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर रहे हैं और उन्हीं से मुझे जेईई की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली. छात्र की सफलता में परिवार के सहयोग का महत्वपूर्ण रोल होता है. मेरे माता-पिता ने मेरी छोटी-बड़ी हर समस्या को गंभीरता से लिया और उसे दूर करने की कोशिश की. छात्र सही दिशा में आगे बढ़े और सही निर्णय ले, इसमें अभिभावक बड़ी भूमिका निभाते हैं. छात्र की जरूरत के अनुसार मार्गदर्शन के लिए सही कोचिंग का चयन इन फैसलों में से एक है. तनाव से दूर रहने में भी मेरे माता-पिता ने मेरी काफी मदद की.