21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

#JusticeForFernanda: जानें भारत में क्या है बलात्कार के खिलाफ कानून

# JusticeForFernanda सरकार महिला के साथ यौन शोषण करने को लेकर लगातार नए प्रावधान बना रही है. गैंगरेप या सामूहिक बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है.

# JusticeForFernanda: झारखंड के दुमका में विदेशी महिला के साथ हुई गैंगरेप की घटना ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं. गैंगरेप या सामूहिक बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. इसे लेकर सरकार लगातार नए कानून भी बना रही है लेकिन इन मामलों में कोई कमी नहीं देखने को मिल रही है.आइए जानते हैं कि आखिर महिला के साथ यौन शोषण करने पर भारत में किस तरह की सजा का प्रावधान है और महिलाओं के क्या हक हैं.

# JusticeForFernanda: फांसी की सजा

पहले रेप के सारे मामलों को धारा 375, 376 के अंतर्गत रखा गया था. अब इसे अलग-अलग अपराधों के हिसाब से बांट दिया गया है. अब धारा 63, 69 को रेप और गैंगरेप के लिए लगाया जाता है. बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए पहले मर्डर 302 था अब 101 हुआ है. 18 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप में आजीवन कारावास और मौत की सजा का प्रावधान है. गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा हो सकती है. धारा 70(2) के तहत, नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक हो सकती है. 16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म के लिए सजा बढ़ाकर 20 साल कर दी गई है. नाबालिग से दुष्कर्म में मौत की सजा का भी प्रावधान है. 12 साल से कम उम्र की नाबालिग से दुष्कर्म पर कम से कम 20 साल जेल की सजा या मौत की सजा होगी. धारा 376 में रेप के लिए सजा का प्रावधान है. बीएनएस में धारा 63 और 64 है. धारा 64 में इन अपराधों के लिए सजा बताई गई है. और कोई बदलाव नहीं किया गया है. रेप के मामलों में दोषी पाए जाने पर कम से कम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.

इतने तरह के होते हैं बलात्कार

गंभीर बलात्कार: गंभीर बलात्कार पीड़िता या अपराधी की विशेष स्थिति के कारण हो सकता है. किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा बलात्कार जो पीड़िता के साथ विश्वास की स्थिति में हो (जैसे अस्पताल कर्मचारी, रिश्तेदार, अभिभावक). हिंसक परिस्थितियों से जुड़ा बलात्कार करने की सज़ा 10 साल से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माना है.

बलात्कार एवं हत्या: बलात्कार के दौरान यदि आरोपी ने महिला को इतनी बुरी तरह से घायल कर दिया कि वह मर जाती है, या बेहोश हो जाती है, तो उसे मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है.

सामूहिक बलात्कार: यदि किसी महिला के साथ एक ही समय में लोगों के समूह द्वारा बलात्कार किया जाता है, तो उनमें से प्रत्येक को अपराध करने के लिए दंडित किया जाएगा. धारा 376 डी आईपीसी के तहत 20 साल या आजीवन कारावास की सजा का कठोर दंड है.

आदतन अपराधी: अगर किसी व्यक्ति को बलात्कार के लिए दूसरी बार दोषी ठहराया जाता है तो कानून (धारा 376ई आईपीसी) मौत की सजा देने की अनुमति देता है.

बलात्कार पीड़िता के अधिकार :

जीरो एफआईआर: जीरो एफआईआर शब्द का अर्थ है कि व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा सकता है, चाहे उसके अधिकार क्षेत्र में घटना का स्थान कुछ भी हो. बाद में उसी एफआईआर को जांच शुरू करने के अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

निजी अस्पताल में मुफ्त चिकित्सा: IPC की धारा 357 सी के अनुसार कोई भी निजी या सरकारी अस्पताल बलात्कार पीड़ितों के इलाज के लिए शुल्क नहीं ले सकता है. सभी अस्पताल चाहे निजी हों या सरकारी पीड़ितों को तुरंत निःशुल्क प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करेंगे.

चिकित्सा परीक्षण: किसी भी डॉक्टर को चिकित्सा परीक्षण करते समय दो उंगलियों से परीक्षण करने का अधिकार नहीं होगा. आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164ए के अनुसार, यह प्रावधान हमें बताता है कि रिपोर्ट कैसे बनाई जाएगी और रिपोर्ट के तहत क्या बातें लिखी जाएंगी. टू फिंगर टेस्ट और इसकी व्याख्या बलात्कार पीड़िताओं की निजता, मानसिक अखंडता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करती है.डॉक्टर का काम सिर्फ यह देखना है कि प्राइवेट पार्ट में कोई चोट तो नहीं है.

रिपोर्ट में होगी ये जानकारी:

  • नाम और पता
  • आयु
  • डीएनए परीक्षण के लिए ली गई सामग्री का विवरण
  • चोट के निशान (यदि कोई हो)
  • सामान्य मानसिक स्थिति
  • अन्य उचित सामग्री (यदि कोई हो)
  • एक पुरुष डॉक्टर परीक्षण करने जा रहा है; उसे ऐसा करने के लिए सहमति लेनी होगी। साथ ही उसे यह भी बताना होगा कि परीक्षा के समय उसने किन वस्तुओं का उपयोग किया, वह कौन सी प्रक्रिया अपनाएगा

हरासमेंट फ्री पुलिस जांच: सीआरपीसी की धारा 154(1) के अनुसार, बयान एक महिला पुलिस अधिकारी या किसी अन्य अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाएगा. अधिकारी आपके द्वारा तय किये गये या आपके अनुकूल समय के अनुसार आयेगा और वे आपकी सुविधा के अनुसार जगह तय कर देंगे. महिला अधिकारी पीड़ित के माता-पिता या अभिभावक की उपस्थिति में बयान दर्ज करेगी.धारा 164(5ए) के अनुसार एक मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करेगा, महिला पुलिस अधिकारी पीड़िता को अदालत में ले जाएगी और बयान मजिस्ट्रेट के कक्ष में दर्ज किया जाना चाहिए. यदि पीड़िता गूंगी है या स्थिति को समझाने में मानसिक रूप से अक्षम है, तो एनालाइजर एजुकेटर सोशल इंटरप्रिटेशन उस समय मौजूद रहेगा.

# JusticeForFernanda: मुआवजे का अधिकार: आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 357ए के रूप में एक नया प्रावधान पेश किया गया है, जो पीड़ित मुआवजा योजना बताता है. सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण ने महिला पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना के नियम बनाए हैं.

Also Read: JEE: नहीं क्लियर हुई आईआईटी परीक्षा तो दें ये इंट्रेस एग्जाम, बनेगा इंजीनियरिंग में करियर

Also Read: Delhi Budget 2024: दिल्ली सरकार का शिक्षा पर फोकस, इस बार मिले 16 हजार 396 करोड़

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें