Lok Sabha Election 2024 : जानिए आम चुनाव से जुड़ी रोचक बातें, क्यों होती है चुनाव की जरूरत

Lok Sabha Election 2024 देश के संविधान में वोट देने के अधिकार की गारंटी अनुच्छेद 326 के तहत दी गयी है'लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे.

By Vivekanand Singh | March 16, 2024 2:29 PM
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Lok Sabha Election 2024: आने वाले महीने में अपने देश में लोकसभा आम चुनाव, 2024 होने जा रहे हैं. इसी चुनाव के जरिये देश के 95 करोड़ मतदाताओं के द्वारा 543 सांसदों का चुनाव करेंगे.हम सभी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा हैं. यह हम भारतीयों के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि लोकतांत्रिक समाज में देश के नागरिकों को वोट देकर अपनी सरकार चुनने का अधिकार प्राप्त होता है. आम चुनाव के नतीजों के बाद बहुमत के आधार पर सरकार का गठन होता है.

Lok Sabha Election 2024 : क्यों होती है वोटिंग की जरूरत

लोकतंत्र का आशय जनता के शासन से है, लेकिन देश को लेकर कोई भी निर्णय लेने/कानून बनाने के लिए सभी नागरिक सीधे भाग नहीं ले सकते. इस काम के लिए लोग अपनी पसंद के प्रतिनिधि चुनते हैं. यही वजह है कि चुनाव महत्वपूर्ण हो जाता है. चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक प्रतीक माना जाता है. चुने हुए प्रतिनिधि देश के शासन और प्रशासन को चलाने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. इस चुनावी व्यवस्था में जिस प्रत्याशी को अन्य सभी प्रत्याशियों के मुकाबले अधिक वोट मिलता है, उसे ही निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है.

Lok Sabha Election 2024 : देश में वोट देने का अधिकार

अपने देश के संविधान में वोट देने के अधिकार की गारंटी अनुच्छेद 326 के तहत दी गयी है. इस अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. वर्ष 1989 तक 21 वर्ष से ऊपर के भारतीय नागरिकों को वयस्क भारतीय माना जाता था. 1989 के एक संविधान संशोधन के द्वारा इसे घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया. उसके बाद से 18 वर्ष से अधिक आयु का हर भारतीय नागरिक किसी भी चुनाव में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार होगा. इस उम्र को पार कर चुके लोग चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं.देश में वोट देने का अधिकार

Lok Sabha Election 2024: भारतीय संसद का क्या है स्वरूप

हमारे देश का संसद भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक व संविधान का केंद्रीय तत्व है. भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन- राज्यसभा व लोकसभा शामिल होते हैं. भारत के राष्ट्रपति किसी भी सदन के सदस्य नहीं होते और संसद की बैठकों में भाग नहीं लेते, लेकिन वह संसद का एक अभिन्न अंग होते हैं. राज्य सभा संसद का उच्च सदन होता है और यह देश के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं, लोकसभा संसद का निचला सदन होता है और यह भारत के नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है. अपने देश की लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सदस्य और 2 मनोनीत सदस्य होते हैं. ऐसे में बहुमत हासिल करने के लिए किसी भी दल व गठबंधन को कम-से-कम 272 संसद सदस्य चाहिए होते हैं. संसद में बहुमत प्राप्त करने वाले दल या गठबंधन का अंग न होने वाले सभी राजनीतिक दल विपक्षी दल कहलाते हैं. वर्ष 2024 के आम चुनाव में 18वीं लोकसभा का चुनाव होगा, क्योंकि 17वीं लोकसभा का कार्यकाल मई, 2024 में समाप्त हो रहा है.

Lok Sabha Election 2024: सत्ताधारी दल के प्रमुख प्रधानमंत्री

भारत का प्रधानमंत्री लोकसभा में सत्ताधारी दल का प्रमुख होता है. प्रधानमंत्री अपने दल या गठबंधन के सांसदों में से मंत्रियों का चुनाव करता है, जो प्रधानमंत्री के साथ मिलकर फैसलों को लागू करते हैं. ये मंत्री गृह, स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त, विदेश आदि विभिन्न सरकारी कामों का जिम्मा संभालते हैं.

Lok Sabha Election 2024: राज्यसभा की भूमिका भी महत्वपूर्ण

राज्यसभा को संसद का स्थायी सदन भी कहा जाता है, क्योंकि यह कभी भी पूरी तरह से भंग नहीं होती है. संविधान के अनुसार, अपने देश में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या अधिकतम 250 हो सकती है. हालांकि, अभी देश के राज्यसभा सदस्यों की संख्या 245 है. इसमें से 233 निर्वाचित सदस्य होते हैं. वहीं 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनित किये जाते हैं. संसद के पटल पर लाये गये किसी भी विधेयक को कानून के रूप में लागू करने के लिए यह जरूरी होता है कि उसे राज्यसभा से मंजूरी मिल चुकी हो. संसद का यह सदन लोकसभा द्वारा पारित किये गये कानूनों की समीक्षा करता है और अगर जरूरत हो तो उसमें संशोधन भी करता है. यही वजह है कि भारतीय लोकतंत्र में राज्यसभा की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होती है.

Lok Sabha Election 2024: किसके निर्देशन में पूरी होती है चुनाव की प्रक्रिया

देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी ‘भारत निर्वाचन आयोग’ की होती है. इसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है. यह एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है, जो अपने देश और राज्य के चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है. चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुसार की गयी थी. यही वजह है कि 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है. तुम्हें पता होना चाहिए कि इसका राज्यों में पंचायतों और नगरपालिकाओं के चुनावों से कोई संबंध नहीं है. इसके लिए देश का संविधान अलग से राज्य चुनाव आयोग का प्रावधान करता है.

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