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11 नवंबर को भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती
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अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया
National Education Day 2023, Maulana Abul Kalam Azad Jayanti: आज यानी 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. यह दिवस भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. वे स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे. उस समय शिक्षा मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय था.
2008 में लिया गया राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का फैसला
शिक्षा के क्षेत्र में उनके समर्पण को ध्यान में रखते हुए, 11 नवंबर, 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. आजाद को 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 1958 में अंतिम सांस ली.
कौन थे अबुल कलाम आजाद (Who Was Abul Kalam Azad)
अबुल कलाम आजाद के आजादी से पहले एक स्वतंत्रता सेनानी थे, वह विद्वान और फेमस एकेडमिशियन भी थे. आजादी के बाद उन्हें देश का पहला शिक्षा मंत्री बनाया गया, वह देश के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे. AICTE (All India Council for Technical Education) और इसी तरह के कई टेक्निकल संस्थानों की स्थापना में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
National Education Day 2023 Theme : क्या है इस बार की थीम
इस बार की थीम है – Embracing Innovation यानी नवाचार को अपनाना. यह थीम पढ़ने पढ़ाने के लिए क्रिएटिव, अध्यापन के एडवांस तरीकों को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर देती है.
‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ का महत्त्व
देशवासियों द्वारा इस दिन राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले नेता मौलाना आजाद को याद किया जाता है. इसी दिन स्कूलों में तरह-तरह के सेमिनार, कार्यक्रम और निबंध लेखन जैसे प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं. स्टूडेंट्स और टीचर्स मिलकर इस दिन पढ़ाई व शिक्षा के महत्त्व के हर पहलू पर डिस्कशन करते हैं.
कई कार्यक्रम होते हैं आयोजित
11 नवंबर के दिन हर साल सभी स्कूलों व कॉलेजों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस दिन छात्र और शिक्षक साक्षरता के महत्व और शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के प्रति अपने विचार साझा करते हैं. कई तरह के सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन होता है. विभिन्न स्कूलों में निबंध, भाषण, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है.
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अबुल कलाम की ही देन हैं आइआइटी और यूजीसी जैसे संस्थान
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1916 से 1920 तक रांची में थे मौलाना अबुल कलाम
अबुल कलाम आजाद 1916 से 1920 के बीच लगभग पौने चार साल रांची में रहे. अधिकांश समय वे ब्रिटिश शासन के नजरबंद थे. इस अवधि में उन्होंने रांची में अंजुमन इस्लामिया और मदरसा इस्लामिया की स्थापना की. मदरसा इस्लामिया मौलाना द्वारा बनायी गयी इकलौती इमारत है. इसके निर्माण में हिंदू भाइयों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.
तेरह साल में ही शुरू किया संपादन का कार्य : मौलाना कलाम को उर्दू, हिंदी, फारसी, बंगाली, अरबी और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में महारत हासिल थी. कोलकाता में उन्होंने ‘लिसान-उल-सिद’ नामक पत्रिका प्रारंभ की. तेरह से अठारह साल की उम्र के बीच उन्होंने बहुत सी पत्रिकाओं का संपादन किया. 1912 में उन्होंने ‘अल हिलाल’ नामक एक उर्दू अखबार का प्रकाशन प्रारंभ किया.
ग्यारह वर्षों तक किया राष्ट्रनीति का मार्गदर्शन
अबुल कलाम ने ग्यारह वर्षों तक उन्होंने राष्ट्रनीति का मार्गदर्शन किया. शिक्षामंत्री रहते हुए उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की. आइआइटी और यूजीसी की स्थापना का श्रेय उन्हीं को जाता है.
संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी और ललित कला अकादमी की स्थापना उन्हीं के कार्यकाल में की गयी. उनके द्वारा स्थापित भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् कला, संस्कृति और साहित्य के विकास और संवर्धन के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान है.