Paper Leak: झारखंड में परीक्षाओं में धांधली को लेकर केंद्र से भी सख्त कानून, फिर भी थमने का नाम नहीं ले रहे पेपर लीक के मामले

Paper Leak In Jharkhand: पेपर लीक जैसे मामले छात्रों को दिन प्रति दिन और हताश और निराश करते जा रहे हैं, आज हम आपको बतायेंगे झारखंड राज्य की कहानी जहां इस मामले में कानून इतना सख्त है जिसे जानकर आप हैरान रह जायेंगे लेकिन फिर भी यहां आए दिन परीक्षाओं में धांधली के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे.

By Pushpanjali | January 26, 2025 5:30 PM

Paper Leak In Jharkhand: “सरकारी नौकरी”, ये शब्द सुनते ही लोगों के मन में कई तरह के विचार आने लगते हैं. किसी को सरकारी नौकरी अभिमान के लिए चाहिए होती है तो किसी को अपने परिवार की जिम्मेदारियों के लिए. बच्चे जब स्कूल खत्म ही करते हैं तभी वो किसी बड़े सरकारी अफ़सर को देखकर या उनसे प्रेरित होकर ये ठान लेते हैं कि इस औधे के लिए, इस रूतबे के लिए उन्हें जितनी भी मेहनत करनी पड़े वो करेंगे और एक दिन आयेगा जब वह अपनी मनपसंद सरकारी नौकरी हासिल कर के रहेंगे. सालों की मेहनत, दिन में मुश्किल से एक या दो वक्त खाना, अपनी नींद क़ुर्बान करना, दुनिया भर की मौज मस्ती को छोड़ कर एक बंद कमरे में अपना अधिकतम समय किताबों के बीच बिता देते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि बच्चे सरकारी नौकरी पाने की मेहनत में इतने लीन हो जाते हैं कि वे सालों तक अपने परिवार से भी नहीं मिलते. लेकिन इतना करने के बाद जब वह पूरी तरह से तैयार होकर एग्जाम देते हैं लेकिन परिणामों में उन्हें कुछ और ही देखने को मिलता है तो वे निराश हो जाते हैं, हताश हो जाते हैं और कई बार तो आक्रोशित हो जाते हैं. कभी मामला पेपर लीक का होता है तो कभी यूं होता है कि अच्छे अंक लाने के बाद भी उनका सिलेक्शन नहीं हो पाता क्यूंकि उस परीक्षा में हो जाती है धांधली. “पेपर लीक “, इस नाम से तो आज के समय में बच्चा बच्चा अवगत है, और हो भी क्यों न, बीते कुछ सालों में पेपर लीक के मामले इतने आए हैं जिन्हें आप अपने उँगलियों पर गिन भी नहीं सकते. ग्रुप डी लेवल की नौकरियों से लेकर नेशनल लेवल के कम्पेटिटिव एग्जाम्स तक, धांधली और सेटिंग इन चीजों ने हर जगह अपनी जगह बना ली है. इन चीजों के वजह से अक्सर छात्रों का मनोबल भी टूट जाता है. पेपर लीक के एक बड़े मुद्दे के बारे में बात करें तो बीते एक साल से ट्रेंड कर रहा झारखंड सीजीएल पेपर लीक मामला ऐसा है जो पूरे नेशनल मीडिया में दिखाया जा रहा है और मजे की बात तो ये है कि झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां पेपर लीक को लेकर पूरे देश से ज़्यादा सख्त कानून है लेकिन फिर भी यहां धांधली बीते 2 दशकों से जारी है.

झारखंड में परीक्षाओं में नकल के खिलाफ सबसे सख्त कानून 

आपको ये जानकर काफी हैरानी होगी कि झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां पेपर लीक के ख़िलाफ़ इतना सख़्त क़ानून है जितना किसी और राज्य में नहीं है. केंद्र सरकार ने जब 2024 के बजट में नकल को रोकने के लिए एक कठोर विधेयक पेश किया था तो उसमें ये था कि परीक्षाओं में नकल के मामले पर अगर कोई व्यक्ति दोषी करार होता है तो उसे 10 साल की जेल होगी और साथ ही उसपर 1 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, लेकिन झारखंड राज्य में इससे एक साल पहले यानी 2023 में ही नक़ल को रोकने के लिए एक कानून लागू किया है जो केंद्र के कानून से काफी जयादा सख्त है. इस क़ानून के तहत झारखंड में अगर कोई व्यक्ति परीक्षा में नकल या धांधली या पेपर लीक जैसे किन्हीं भी आरोपों में दोषी करार होगा है तो उन्हें आजीवन कारावास और साथ ही 10 करोड़ तक का जुर्माना देना पड़ेगा. लेकिन इतने सख्त कानून के बावजूद झारखंड में पेपर लीक और परीक्षाओं में गड़बड़ी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

2000 में स्थापित हुआ झारखंड और 2001 से पेपर लीक के मामले शुरू

झारखंड राज्य की स्थापना 15 नवंबर 2000 को हुई जिसके बाद 2001 में प्रथम जेपीएससी परीक्षा हुई और तभी से ये पेपर लीक के मुद्दे आने शुरू हो गए. प्रथम और द्वितीय झारखंड सिविल सर्विस परीक्षा के बाद से ही बड़े पैमानों पर धांधली के आरोप आने शुरू हो गए. इस मामले पर सीबीआई जांच हुई और यह पाया गया कि कई उम्मीदवार ऐसे थे जो बिना किसी आंसर शीट भरे ही पास हो गए. यह मामला 12 साल तक चला और 70 से अधिक लोगों पर चार्जशीट दाखिल हुई. इसके बाद भी जेपीएससी ने जितनी भी परीक्षाएं कराई लगभग सारी ही विवादों में घिरी रही. इस वजह से 21 वर्षों में 21 बार सिविल सर्विस परीक्षा का आयोजन होना था वहाँ अब तक सिर्फ़ 13 परीक्षाएं ही हो पाई हैं. 

2015 से अब तक सफल नहीं हो पाई JSSC CGL की भर्ती 

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग यानी जेएसएससी द्वारा आयोजित कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल एग्जाम एक ऐसी परीक्षा है जिसका इतिहास जानकर कोई भी दंग रह जाए. इस परीक्षा के लिए सबसे पहला नोटिफिकेशन साल 2015 में आया था जिसके बाद 2016 में 16 अगस्त को प्रीलिम्स परीक्षा हुई और अक्टूबर में इसका परिणाम भी जारी कर दिया गया लेकिन इसके बाद मेंस परीक्षा का आयोजन किसी कारणवर्ष नहीं किया गया. इसके बाद इस भर्ती के लिए फिर से साल 2017 में आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई और परीक्षा 2018 में होने वाली थी लेकिन लगातार इसे टाला गया और 2019 तक यह परीक्षा आयोजित नहीं हो सकी. इसके बाद  साल 2020 कोविड महामारी आ गई जिसके कारण परीक्षाएं नहीं हो पाई. आखिरकार साल 2021 में फिर से इस भर्ती की चर्चा उठी और 2022 में एक बार फिर उम्मीदवारों को इस परीक्षा के लिए आवेदन करने का मौका मिला और सरकार की तरफ से कहा गया कि परीक्षाएं अगस्त में होंगी लेकिन एक बार फिर जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा टल गई. आखिरकार इस लंबे कश्मकश के बाद आखिरकार 2024 में इस परीक्षा का आयोजन हुआ. परीक्षा 2 दिनों में आयोजित होनी थी, 28 जनवरी और 4 फरवरी लेकिन 28 जनवरी की परीक्षा संपन्न होते ही शाम तक ये खबर आ गई कि पेपर लीक हो चुका था और परीक्षा को स्थगित कर दिया गया. इसके बाद एक बार फिर 21 और 22 सितंबर 2024 को इस परीक्षा का आयोजन किया गया और इस बार सरकार ने काफ़ी पुख्ता तैयारी की, यहां कि दोनों ही परीक्षाओं के दिन पूरे राज्य में इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया. इस बार परीक्षाएं तो हो गई लेकिन कई छात्रों ने फिर से पेपर लीक का आरोप लगाया और पूरे राज्य में जमकर हंगामा हुआ, फिलहाल यह मामला हाईकोर्ट में है इसलिए इस परीक्षा का अंतिम परिणाम अब तक प्रकाशित नहीं किया गया है.

क्या 9 सालों की मशक्कत के बाद इस साल भी नहीं जारी होगा JSSC CGL का परिणाम?

जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा इस साल सफलतापूर्वक हो तो गई, इसके बाद इसका प्रोविजनल आंसर की और फाइनल आंसर की भी जारी कर दिया गया. साथ ही डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए चयनित उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी गई. कुछ दिनों बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी पूरा हो गया और इसके बाद सिर्फ फाइनल फाइनल रिजल्ट की बारी थी. इस बार तो सभी ने ये सोच लिया था कि आखिरकार ये भर्ती प्रक्रिया पूरी हो ही जाएगी लेकिन ठीक ऐन मौके पर हाई कोर्ट ने ये आदेश दे दिया कि जब तक कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती तब तक परिणाम प्रकाशित नहीं किया जाएगा. और एक बार फिर हजारों छात्रों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. कई छात्रों का तो ये तक कहना है कि अगर यही हाल रहा तो कोई छात्र कभी झारखंड की परीक्षाओं के लिए तैयारी नहीं करेगा और वे सब अब दूसरे राज्यों में नौकरी के प्रयास में लग जाएँगे क्योंकि झारखंड की सरकार से उन्हें कुछ ख़ास उम्मीद नहीं है.

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