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Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन पर याद करने के लिए आसान है ये निबंध आइडिया

Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के बीच प्यार, देखभाल, स्नेह और रक्षा की भावना को दर्शाता है. रक्षाबंधन को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. इस लेख में आपको ऐसी ही कुछ घटनाओं के बारे में बताया गया है. जिन्हें आप निबंध लिखने के लिए संदर्भ के रूप में ले सकते है.

By Rupali Das | August 18, 2024 2:04 PM

Raksha Bandhan 2024: भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है सावन पूर्णिमा पर मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्यौहार. इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा की कामना करते हुए उनके कलाइयों पर राखी बांधती हैं. भाई भी अपनी बहन की सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें कुछ तोहफे देते हैं. यह त्यौहार प्रेम और स्नेह की भावना को दर्शाता है. रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच मौजूद प्यार की झलक दिखलाता है.

रक्षाबंधन को लेकर कई ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाएं प्रचलित हैं. इनका प्रमाण विभिन्न हिंदू ग्रंथों और इतिहास की पुस्तकों में मिलता है. रक्षाबंधन से जुड़ी ऐसी ही कुछ घटनाएं हैं:

महाभारत काल का करें उल्लेख

रक्षाबंधन का उल्लेख हमें महाभारत काल में मिलता है. पांचाल के राजकुमारी और पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया था.

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कैसे बनी रानी कर्णावती हुमायूं की बहन

मेवाड़ की रानी कर्णावती का नाम इतिहास में दर्ज है. साल 1533 ईस्वी में अपने पति महाराणा सांगा की मृत्यु के बाद रानी कर्णावती ने राज्य का शासन संभाला था. इसी वक्त गुजरात के शासक बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया. बिगड़ते हालात को देखते हुए रानी कर्णावती ने मदद के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को संधि प्रस्ताव के साथ राखी भेजा था. कर्णावती की राखी और संधि प्रस्ताव स्वीकार करते हुए हुमायूं ने उन्हें अपनी बहन का दर्जा दिया. बहरहाल हुमायूं की सेना समय पर मेवाड़ नहीं पहुंच पाई और 1534 ई में रानी कर्णावती ने हजारों राजपूत महिलाओं के साथ मिलकर जौहर कर लिया.

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भगवान विष्णु और राजा बलि का किस्सा

भागवत पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हराकर तीनों लोक जीत लिया था. तब राजा बलि ने श्री हरि से वचन लिया कि वे राजा बलि के निवास स्थान पर ही रुके. यह बात देवी लक्ष्मी को पसंद नहीं आई. भगवान विष्णु को पुनः बैकुंठ वापस ले जाने के लिए देवी लक्ष्मी ने एक बूढी औरत का रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंचकर उन्हें राखी बांधी. इस तरह देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को अपना भाई बना लिया और उन्हें भगवान विष्णु को वापस ले जाने के लिए मना लिया. इसी घटना के बाद से रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार मनाया जाने लगा.

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