20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस, रिन्यूएबल एनर्जी में बनाएं संभावनाएं
भारत में हर साल 20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस मनाया जाता है. आज जब सारी दुनिया ऊर्जा संकट से जूझ रही है, अधिकतर देश इस प्रयास में हैं कि अक्षय स्रोतों से हासिल ऊर्जा का उत्पादन कैसे बढ़ाया जाये. भारत इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है, जिससे रिन्यूएबल एनर्जी एक संभावनाओं भरा करियर क्षेत्र बन गया है
प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होनेवाली ऊर्जा को रिन्यूएबल एनर्जी यानी अक्षय या नवीकरणीय ऊर्जा कहते हैं. अक्षय यानी कभी खत्म न होनेवाला, जिसके प्रमुख स्रोत हैं-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलीय या पनबिजली ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा. अभी दुनिया भर में रिन्यूएबल एनर्जी का सबसे बड़ा स्रोत हाइड्रो पावर है. इस प्रक्रिया में पानी से बिजली तैयार होती है. पवनचक्की, पनचक्की और सोलर पैनल के जरिये बीते कई दशकों से बिजली बनायी जा रही है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें इजाफा हुआ है. अनुमान है कि 2026 तक दुनिया की रिन्यूएबल एनर्जी की उत्पादन क्षमता 60 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ जायेगी. इससे लाखों लोगों को इस क्षेत्र में करियर के अवसर प्राप्त करने में मदद मिल सकती है.
क्यों जरूरी है अक्षय ऊर्जा
ऊर्जा निर्वाह का मूलभूत आधार है, जिस पर समाज, उद्योग और वाणिज्य निर्भर करता है. कोयला और ईंधन ऊर्जा का एक अहम स्रोत हैं, लेकिन इनके अधिकतम इस्तेमाल से पर्यावरण को होनेवाले नुकसान में बढ़ोतरी हुई है, यही वजह है कि भारत समेत पूरा विश्व ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल पर जोर दे रहा है. इसलिए देश के कई संस्थान रिन्यूएबल एनर्जी पर केंद्रित कोर्स संचालित करने लगे हैं, ताकि इस क्षेत्र के लिए कुशल पेशेवर तैयार कर सकें.
विकल्प चुन कर बढ़ें आगे
रिन्यूएबल एनर्जी में जॉब के बहुत सारे विकल्प हैं, क्योंकि इसमें कार्य के विभिन्न क्षेत्र हैं. आपको इसमें एक क्षेत्र विशेष को चुनकर उसमें काम करने का प्रशिक्षण हासिल करना होगा. एक बार शुरुआत करने के बाद आप इस क्षेत्र में अपने कौशल और अनुभव के आधार पर अच्छे वेतन वाली नौकरियां पा सकते हैं. इंजीनियर, बिजनेस एनालिस्ट, प्रोजेक्ट मैनेजर, लॉयर और टेक्नोलॉजिस्ट इस क्षेत्र के सामान्य करियर हैं. विंड टर्बाइन टेक्नीशियन, एनर्जी एनालिस्ट, हाइड्रोलॉजिस्ट, सोलर इंजीनियर, सोलर प्लांट टेक्नीशियन, एनर्जी मैनेजर आदि इस क्षेत्र में प्रचलित जॉब हैं. इसमें रिसर्च एवं डेवलपमेंट के क्षेत्र में भी व्यापक मौके हैं. आप अपनी पसंद और योग्यता के अनुरूप इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं.
इंजीनियर्स की है डिमांड
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सभी प्रकार के इंजीनियरों का शानदार करियर है, क्योंकि इंजीनियर हरित ऊर्जा क्षेत्र में उपयोग किये जानेवाले किसी भी उत्पाद या सेवा के अनुसंधान, कार्यान्वयन एवं विकास में बड़े पैमाने पर काम करते हैं. वे सोलर सेल, विंड टर्बाइन, जियोथर्मल प्लांट, हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम आदि डिजाइन करते हैं. इसलिए किसी भी ब्रांच, खासतौर पर इलेक्ट्रिकल, एनवायर्नमेंटल, मेकेनिकल, हाइड्रोलॉजी, सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनेवालों के लिए इस क्षेत्र में अच्छे मौके हैं. देश के कई संस्थान रिन्यूएबल एनर्जी में एमटेक प्रोग्राम संचालित करते हैं. बीटेक बाद रिन्यूएबल एनर्जी में एमटेक करके इस क्षेत्र में तरक्की हासिल कर सकते हैं.
कंसल्टेशन में हैं अच्छे मौके
कंपनियों को पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा के उत्पादन क्षेत्र में निवेश के लिए रिन्यूएबल एनर्जी कंसल्टेंट परामर्श देते हैं. साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा सलाहकार ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला और पर्यावरण से संबंधित विभिन्न मुद्दों का समाधान करते हैं. वे एनर्जी और एनवायर्नमेंट के क्षेत्र में जरूरी तकनीकी अनुसंधान और वैज्ञानिक विशेषज्ञता जानते हैं, इसलिए डेटा एकत्र करते हैं और विभिन्न विश्लेषण करते हैं.पावर मैनेजमेंट, सस्टेनेबल एनर्जी मैनेजमेंट, पावर मैनेजमेंट (ग्रीन एनर्जी एंड ट्रांसमिशन टू सस्टेनेबिलिटी) में एमबीए करनेवाले इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं.
रिन्यूएबल एनर्जी के प्रमुख कोर्स
फरीदाबाद स्थित नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एनपीटीआइ) रिन्यूबल एनर्जी एंड ग्रिड इंटरफेस टेक्नोलॉजी में एक वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स, हाइड्रो पावर प्लांट इंजीनियरिंग में नौ माह का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स संचालित करता है. इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करनेवाले इन कोर्सेज में प्रवेश ले सकते हैं. आइआइटी रुड़की रिन्यूएबल एंड हाइड्रो एनर्जी/ एनवायर्नमेंटल मैनेजमेंट ऑफ रिवर एंड लेक में एमटेक प्रोग्राम संचालित करता है. आइआइटी गुवाहाटी में एनर्जी साइंस एवं इंजीनियरिंग में बीटेक और एमएस पाठ्यक्रम उपलब्ध है. सोलर रिन्यूएबल एनर्जी में पीजी डिप्लोमा, एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग में बीटेक, हाइड्रोलॉजी में एमटेक आदि कोर्स भी इस करियर में प्रवेश की राह बनाते हैं.