Success Story: आसान नहीं था स्वीपर से SBI AGM बनने तक का सफर…ऐसी प्रेरणादायी है प्रतीक्षा टोंडवालकर के संघर्ष और सफलता की कहानी

Pratiksha Tondwalkar Success Story in Hindi: कुछ कहानियां इतनी प्रेरणादायक होती हैं कि वे लोगों के जीवन में एक खास स्थान बना लेती हैं और लंबे समय तक उनके दिलों में ताजा रहती हैं. आज हम एक ऐसी ही प्रेरक कहानी साझा कर रहे हैं जो हमें यह सिखाती है कि मेहनत और संघर्ष से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है.

By Shubham | March 15, 2025 12:44 PM
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Pratiksha Tondwalkar Success Story in Hindi: कुछ कहानियां इतनी प्रेरणादायक होती हैं कि वे लोगों के जीवन में एक खास स्थान बना लेती हैं और लंबे समय तक उनके दिलों में ताजा रहती हैं. आज हम एक ऐसी ही प्रेरक कहानी साझा कर रहे हैं जो हमें यह सिखाती है कि मेहनत और संघर्ष से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है. यह कहानी है प्रतीक्षा टोंडवालकर की जो कभी भारतीय स्टेट बैंक में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करती थीं लेकिन अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने बैंक में सहायक महाप्रबंधक (AGM) का पद हासिल किया. इस यात्रा ने न केवल उन्हें (Pratiksha Tondwalkar Success Story) अपने सपनों को पूरा करने की ताकत दी बल्कि दूसरों को भी यह संदेश दिया कि अगर दिल में आत्मविश्वास हो और मेहनत की जाए तो कोई भी कठिनाई बड़ी नहीं होती.

प्रतीक्षा टोंडवालकर के बारे में (Pratiksha Tondwalkar Success Story)

रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रतीक्षा पुणे की रहने वाली हैं. उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि अपने माता-पिता की आर्थिक तंगी के कारण 17 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास करने से पहले ही सदाशिव कडू से शादी कर ली थी. कडू मुंबई में एसबीआई में बुकबाइंडर के तौर पर काम करते थे. दुखद बात यह है कि जब वे दोनों अपने गांव जा रहे थे तब एक दुर्घटना में कडू की मौत हो गई और इसके बाद प्रतीक्षा को 20 साल की उम्र में जीवनयापन के लिए संघर्ष करना पड़ा.

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सफाई करके हर महीने 60-65 रुपये कमाती थीं प्रतीक्षा

अपने परिवार का भरण-पोषण करने और अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के लिए उन्हें एसबीआई में स्वीपर के रूप में काम करना पड़ा. वह अपने बेटे की देखभाल करने और अन्य छोटे-मोटे काम करने के साथ-साथ शौचालय की सफाई और संपत्ति के फर्नीचर की सफाई करके हर महीने लगभग 60-65 रुपये कमाती थीं

स्वीपर से ऐसे बैंक क्लर्क बनीं प्रतीक्षा (Pratiksha Tondwalkar)

कहा जाता है कि हर सार्थक उपलब्धि में संघर्ष और जीत के अपने चरण होते हैं और प्रतीक्षा की स्थिति भी अलग नहीं थी. उन्होंने मुंबई के विक्रोली में एक नाइट कॉलेज में दाखिला लिया, 12वीं की परीक्षा पास की और दूसरे नाइट कॉलेज में मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की. ​​बाद में उन्होंने स्वीपर से बैंक क्लर्क तक का सफर तय किया.

पति ने किया प्रोत्साहित तो सीजीएम-एजीएम के पद तक पहुंचीं

प्रतीक्षा ने 1993 में दोबारा शादी की. उनके पति प्रमोद टोंडवालकर ने उनका बहुत साथ दिया और उन्हें बैंकिंग परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया. प्रतीक्षा ने स्थिति को बदल दिया और स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव किया. वह पूरी लगन से काम करने लगीं और अपने काम में पूरी तरह से जुट गईं. अपनी प्रतिबद्धता और लगन की वजह से प्रतीक्षा ट्रेनी ऑफिसर के पद तक पहुंचीं. बाद में वह चीफ जनरल मैनेजर (सीजीएम) और फिर असिस्टेंट जनरल मैनेजर (एजीएम) के पद पर पहुंचीं. 

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समर्पण और आत्मविश्वास का फल है प्रतीक्षा की सफलता

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में स्वीपर से एजीएम तक प्रतीक्षा (Pratiksha Tondwalkar in Hindi) का सफर दिखाता है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास का फल कैसे मिलता है. जब आप अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं तब मुश्किलें सिर्फ अस्थायी होती हैं और सही दिशा और प्रयास से सफलता जरूर मिलती है. उनका यह संघर्ष यह बताता है कि जीवन में अगर हम कभी भी हार न मानें और अपने सपनों के प्रति वफादार रहें तो किसी भी स्थिति को बदलने की ताकत हमारे भीतर होती है.

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