CBSE Exam: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा राज्य की एक महत्वपूर्ण जनजातीय भाषा कोकबोरोक के लिए रोमन लिपि को अपनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं. इस कदम का उद्देश्य सीबीएसई परीक्षाओं में छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है.
मुख्यमंत्री साहा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को पत्र लिखकर छात्रों को कोकबोरोक पेपर के लिए रोमन लिपि का उपयोग करने की अनुमति देने का आग्रह करना चाहते हैं.
आपको बता दें त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि उनकी सरकार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को पत्र लिखकर छात्रों को रोमन लिपि में कोकबोरोक पेपर लिखने की अनुमति देने का आग्रह करेगी. उन्होंने विधानसभा में शून्यकाल के दौरान राज्य की प्रमुख आदिवासी भाषा कोकबोरोक के लिए रोमन लिपि की शुरूआत पर सरकार के रुख की विपक्ष के नेता अनिमेष देबबर्मा की मांग का जवाब देते हुए यह आश्वासन दिया.
क्या है कोकबोरोक भाषा
कोकबोरोक भाषा पूर्वोत्तर राज्य की अधिकतर मूल जनजातियों की मातृभाषा है. वर्तमान में, राज्य सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में बंगाली लिपि में कोकबोरोक की पढ़ाई होती है. इनमें 97 विद्याज्योति स्कूल भी शामिल हैं, जिनमें सीबीएसई पाठ्यक्रम शुरू किया गया है. कोकबोरोक के लिए रोमन लिपि अपनाने की यह मांग नई नहीं है. त्रिपुरा में स्वदेशी समुदाय पांच दशकों से अधिक समय से इस बदलाव की वकालत कर रहे हैं.
कोकबोरोक त्रिपुरा के स्वदेशी समुदाय की भाषा है, जो राज्य की लगभग एक-तिहाई आबादी द्वारा बोली जाती है. त्रिपुरा के लोगों के लिए इसके सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व को कम करके आंका नहीं जा सकता. कोकबोरोक के लिए रोमन लिपि की मांग बढ़ती डिजिटल और परस्पर जुड़ी दुनिया में इसके अस्तित्व और पहुंच को सुनिश्चित करने की आवश्यकता से उपजी है.