राजस्थान के हनुमानगढ़ के रहने वाले हेमंत ने सिविल सेवा-2023 में 884वीं रैंक हासिल की है, आपको बता दें हेमंत की संघर्ष से सफलता की कहानी काफी प्रेरणादायक है. राजस्थान के हनुमानगढ़ के छोटे से गांव बीरन के रहने वाले हेमंत की मां मनरेगा के तहत काम करती हैं. उनके पिता गांव के पुरोहित हैं. हेमंत को दिव्यांगता की चुनौती का भी सामना करना पड़ा. हेमंत बताते हैं कि एक बार उनकी मां को उचित मजदूरी देने से इंकार कर दिया गया था.
ऐसे किया सिविल सेवक बनने का दृढ़ निश्चय
इसके बाद स्थानीय ठेकेदारों और सरकारी कार्यालयों के वह चक्कर काटते रहे लेकिन न्याय नहीं मिला. उल्टा उनका मजाक बनाया गया. एक ठेकेदार द्वारा कहे एक वाक्य- ‘तू कहीं का कलेक्टर है क्या?’ को हेमंत ने दिल से लगा लिया. हेमंत को तब तक यह भी नहीं पता था कि कलेक्टर कौन होता है? हेमंत ने कलेक्टर कार्यालय के बारे में जानने का प्रयास किया और सिविल सेवक बनने का दृढ़ निश्चय किया.
पुस्तकालय में आधी रात तक अध्ययन करने के लिए रुकते थे
वे अपने कॉलेज के पुस्तकालय में हर दिन आधी रात तक अध्ययन करने के लिए रुकते थे. उनके जुनून और समर्पण को देखते हुए उनके समुदाय ने उन्हें इस यात्रा में दिल्ली के पटेल नगर तक भेजने के लिए वित्तीय समर्थन प्रदान किया. यहां उनको यूट्यूब पर राऊ आईएएस स्टडी सर्किल के अंतर्गत डेली न्यूज सिम्पलीफाइड (डीएनएस) कक्षाओं के बारे में जानकारी मिली.
यूपीएससी बोर्ड के सदस्यों ने भी सराहना की
डेली न्यूज सिम्पलीफाइड देश भर में यूपीएससी उम्मीदवारों को करेंट अफेयर्स की तैयारी में मदद करने के लिए निशुल्क संचालित होती है. इसके सहयोग से हेमंत को इस परीक्षा में सफलता मिली. उनका कहना है कि संस्थान द्वारा संचालित डीएनएस की कक्षाएं एवं कंपास मैगज़ीन सिविल सेवा की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए रामबाण का कार्य करती हैं. टीम के प्रयासों की यूपीएससी बोर्ड के सदस्यों ने भी सराहना की.