Why DU first choice of students: नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क रिपोर्ट (NIRF) की लेटेस्ट रिपोर्ट विशेष रूप से इस बात पर केंद्रित है कि स्टूडेंट्स अपने राज्य के कॉलेजों की तुलना में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) को क्यों पसंद करते हैं. एनआईआरएफ 2023 में 9वें स्थान पर रहे किरोड़ीमल कॉलेज के छात्र विकास सिंह समेत अन्य छात्रों ने डीयू के लिए अपनी प्राथमिकता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षा की क्षमता और गुणवत्ता की कमी है. उन्होंने राज्य विश्वविद्यालयों में प्रयोगशालाओं, तकनीकी संसाधनों, अनुसंधान सुविधाओं और पुरानी शिक्षण विधियों की कमी पर प्रकाश डाला, जो बदलते जॉब मार्केट की अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार, पूरे देश में कुल 5,402,238 स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन के लिए दूसरे राज्यों से आये. इनमें 60.34% पुरुष और 65.72% महिलाएं थीं. 2001 की जनगणना से इसकी तुलना करें तो 3,318,176 स्टूडेंट्स माइग्रेटेड दर्ज किए गए थे. नई रिपोर्ट के अनुसार महिला प्रवासियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर का सुझाव है कि डीयू द्वारा पेश किए जाने वाले अनूठे कोर्स और नियमित कक्षाएं, इसकी स्थापित प्रतिष्ठा के साथ, देश भर के छात्रों को आकर्षित करती हैं.
बिहार के पटना से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की तलाश में डीयू पहुंचे अभिषेक रंजन इस बात पर जोर देते हैं कि केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते डीयू राज्य विश्वविद्यालयों की तुलना में अधिक संख्या में सीटें प्रदान करता है.
एनआईआरएफ 2023 में दूसरे स्थान पर रहे हिंदू कॉलेज में स्नातक के लिए 3,229 और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए 627 छात्रों का माइग्रेशन हुआ. इसी तरह, नंबर 1 स्थान पर रहे मिरांडा हाउस में 4,038 छात्र तीन साल के स्नातक पाठ्यक्रम के लिए और 519 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए अन्य राज्यों से पलायन कर रहे थे.
डीयू के कोर्स का किफायतीपन और नवीनतम पाठ्यक्रम भी प्रमुख कारक हैं जो छात्रों को डीयू की ओर आकर्षित करते हैं. डीयू के एक एसोसिएट प्रोफेसर के अनुसार राज्य संस्थानों में पारंपरिक पाठ्यक्रम अक्सर इंडस्ट्रीज स्टैंडर्ड के संदर्भ में अप्रचलित हो जाते हैं. परिणामस्वरूप, छात्र राज्य के निजी या डीम्ड विश्वविद्यालयों की ओर रुख करते हैं, जो अक्सर कई लोगों के लिए अनअफोर्डेबल होते हैं. इसकी तुलना में, डीयू सस्ती शिक्षा और बेहतर शोध सुविधाएं प्रदान करता है.
डीयू के छात्रों को बजट, शिक्षा, घरेलू काम और अनुशासित स्वतंत्रता सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं के संपर्क से भी लाभ मिलता है. वे पैसे का मूल्य सीखते हैं और ऐसे कौशल हासिल करते हैं जो उनके ओवर ऑल डेवलपमेंट में योगदान करते हैं. एक्सपर्ट डीयू के लिए प्राथमिकता को स्वीकार करते हैं, खासकर हिंदू, सेंट स्टीफन, एसआरसीसी और मिरांडा जैसे टॉप कॉलेजों का लक्ष्य रखने वाले छात्रों के बीच, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं.
मेट्रो शहरों में नौकरी की संभावनाएं भी छात्रों को डीयू की ओर आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. दिल्ली का प्रतिस्पर्धी माहौल रोजगार के असंख्य अवसर प्रदान करता है. छात्रों का मानना है कि दिल्ली में रहने से अच्छे पैकेज के साथ अच्छी नौकरियां हासिल करने की उनकी संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा, देश भर के छात्र महानगरों के नजदीक ऐसे संस्थानों, कॉलेजों या विश्वविद्यालयों को पसंद करते हैं जो तकनीकी रूप से अधिक उन्नत हैं. शैक्षणिक और अनुसंधान सुविधाओं की उपलब्धता, रोजगार के अवसर और एक संपन्न स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र ऐसे संस्थानों की अपील में योगदान करते हैं.
कुछ लोग इस अंतर-राज्य प्रवास को (inter-state migration) “आंतरिक प्रतिभा पलायन” (“internal brain drain”) के रूप में देखते हैं जो मूल राज्य के बजाय मेजबान राज्य की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. माता-पिता यह जानकर अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं कि उनके बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और पेशेवर कौशल प्राप्त कर रहे हैं, जिससे नौकरी के बेहतर अवसर और जीवन स्तर में सुधार हो रहा है.
दिल्ली में मुद्रास्फीति और हाई लिविंग एक्सपेंसेज जैसी खामियों के बावजूद, डीयू के सोशल साइंस डिपार्टमेंट के पहले वर्ष के छात्र राकेश परिहार अपने गृहनगर में सीमित संभावनाओं के कारण डीयू से शिक्षा अर्जित करने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं. हालांकि, उत्तर भारत, विशेष रूप से दिल्ली, यूपीएससी की तैयारी के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है और यहां प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान हैं.
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