World earth day 2024 : धरती को सहेजने वाले विकल्पों के साथ बढ़ें आगे

जलवायु सकंट जैसे-जैसे बढ़ रहा है, दुनिया में इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है. साथ ही ऐसे करियर विकल्पों में संभावनाएं भी बढ़ रही हैं, जो पृथ्वी संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं. पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल के मौके पर जानें ऐसे करियर विकल्पों के बारे में...

By Preeti Singh Parihar | April 20, 2024 12:50 PM

World earth day 2024 : पूरा विश्व 22 अप्रैल काे अर्थ डे मनाने की तैयारी में है. विश्व अर्थ दिवस 2024 की थीम है ‘Planet vs. Plastics’. प्लैनेट बनाम प्लास्टिक थीम का उद्देश्य यह जागरूकता फैलाना है कि पृथ्वी में बढ़ता प्लास्टिक धतरी और मनुष्य की सेहत के लिए कितना घातक है. बीते दशक में पृथ्वी के पर्यावरण, हवा, पानी, भोजन सबके साथ मनुष्य और जीव जंतुओं सभी को प्रदूषण ने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है, इससे दुनिया भर में धरती बचाने को लेकर सजगता बढ़ी है. आप अगर ऐसे किसी करियर की तलाश में, जो पृथ्वी के संरक्षण में योगदान देता है, तो इस खास मौके पर जानें ऐसे विकल्पों के बारे में …

सस्टेनेबिलिटी मैनेजमेंट


बीते कुछ वर्षों में सस्टेनेबिलिटी मैनेजमेंट में करियर तेजी से लोकप्रिय हुआ है. यह एक ऐसा करियर है, जिसमें संसाधनों का संतुलन इस तरह से बनाये रखने का प्रयास किया जाता है कि उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके. इस विशेष करियर का उद्देश्य संसाधनों के संतुलित उपयोग द्वारा अर्थव्यवस्था को समृद्ध करना है, ताकि संसाधनों की कमी को सीमित करके भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके. साइंस, एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग, कॉमर्स, इकोनॉमिक्स या अन्य संबंधित विषय में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद सस्टेनेबिलिटी मैनेजमेंट में एमबीए कर इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं. सस्टेनेबल एनर्जी मैनेजमेंट/ एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी में भी एमबीए करने का विकल्प है. सस्टेनेबिलिटी मैनेजमेंट या डेवलपमेंट या क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबिलिटी स्टडीज में एमए/ एमएससी करके भी इस करियर में आगे बढ़ सकते हैं. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के गुवाहाटी कैंपस में संचालित होने वाला इकोलॉजी, एनवायर्नमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट में एमए कोर्स भी इस क्षेत्र में करियर बनाने का आधार बन सकता है.

एनवायर्नमेंटल साइंस


पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में बढ़ती जागरूकता और सतत विकास पर बढ़ते फोकस के साथ पर्यावरण विज्ञान में करियर का दायरा बढ़ रहा है. पर्यावरण विज्ञान पारिस्थितिकी, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, मृदा विज्ञान, भू विज्ञान, वायुमंडल विज्ञान तथा भूगोल से मिल कर बना है. इस तरह इसमें एक व्यापक कार्य क्षेत्र भी उपलब्ध है. विज्ञान विषयों में बारहवीं के बाद एनवायर्नमेंटल साइंस में बीएससी कर सकते हैं. इस विषय में एमए, एमएससी, एमटेक एवं पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के जरिये आगे का आधार बना सकते हैं. पर्यावरण वैज्ञानिक के तौर पर आगे बढ़ने के लिए पीएचडी करना होगा. इस विषय की पढ़ाई करने वाले देश के प्रमुख संस्थान हैं- इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, नयी दिल्ली. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु. दिल्ली यूनिवर्सिटी. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय. इस क्षेत्र में पर्यावरण वैज्ञानिक, पर्यावरण सलाहकार, प्रकृति संरक्षण अधिकारी, पर्यावरण कार्यकर्ता, सस्टेनेबिलिटी कंसल्टेंट, वाटर क्वालिटी साइंटिस्ट, वेस्ट मैनेजमेंट ऑफिसर आदि के तौर पर करियर बना सकते हैं.

सोलर एनर्जी


सरकारी पहल और बढ़ती पर्यावरण जागरूकता के कारण भारत में हाल के वर्षों में सोलर एनर्जी के क्षेत्र महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है. भारत में सोलर इंडस्ट्री का दायरा बहुत बड़ा है, जिसमें सौर ऊर्जा उत्पादन, सौर पैनलों और उपकरणों के निर्माण, अनुसंधान और विकास, परियोजना प्रबंधन में बहुत अवसर हैं. सोलर पैनल इंस्टॉलेशन और सोलर इंजीनियरिंग दो सबसे लोकप्रिय सोलर जॉब हैं. पीजी डिप्लोमा इन सोलर रिन्यूबल एनर्जी, डिप्लोमा इन सोलर टेक्नोलॉजी, सोलर इंजीनियर सर्टिफिकेट कोर्स, सोलर बिजनेस एंटरप्रेन्योर कोर्स, सोलर टेक्नीशियन, सोलर पैनल इंस्टॉलेशन कोर्स में से कोई एक कोर्स कर इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं. सोलर एनर्जी पर कोर्स करानेवाले प्रमुख संस्थान हैं – इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, मुंबई. इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, गुरुग्राम. नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट. गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, गांधी नगर. आप इस क्षेत्र में मैनेजर-परचेज (सोलर प्रोडक्ट), सोलर इंजीनियर, टेक्निकल हेड सोलर, सोलर प्रोजेक्ट डिजाइन इंजीनियर, सोलर प्रोजेक्ट मैनेजर, सोलर प्लांट टेक्नीशियन, सोलर पावर प्लांट मैनेजर आदि के तौर पर करियर बना सकते हैं.

हाइड्रोलॉजी


हाइड्रोलॉजी को सरल शब्दों में जल विज्ञान या वॉटर साइंस कहते हैं. इसमें धरती की सतह पर मौजूद पानी के मूवमेंट और उसकी गुणवत्ता का अध्ययन किया जाता है, जिसका उपयोग जल प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण में किया जाता है. यह काम करते हैं हाइड्रोलॉजिस्ट. देश के कुछ चुनिंदा संस्थान हाइड्रोलॉजी में बीएससी प्रोग्राम संचालित करते हैं. जियोग्राफी में बीए/ बीएससी के बाद हाइड्रोलॉजी में बीएससी या सिविल / एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग में बीटेक के बाद हाइड्रोलॉजी में एमटेक कर इस करियर में आगे बढ़ सकते हैं. वाटर मैनेजमेंट या जियोग्राफी में एमएससी करके भी हाइड्रोलॉजी के क्षेत्र में काम कर सकते हैं. आईआईटी रुड़की, खड़गपुर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च इस विषय की पढ़ाई करने वाले प्रमुख संस्थान हैं. हाइड्रोलॉजिस्ट के लिए सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करने अच्छे मौके मौजूद हैं. इस विषय के साथ आप ग्राउंड वाटर हाइड्रोलॉजिस्ट, मरीन हाइड्रोलॉजिस्ट, सरफेस वाटर हाइड्रोलॉजिस्ट आदि के तौर पर आगे बढ़ सकते हैं.

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