Karnataka Assembly Election: कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री एम. बी. पाटिल ने कहा कि वह लिंगायत कम्युनिटी के सीनियर नेता हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से आए जगदीश शेट्टार और लक्षमण सावदी की वजह से उनके दर्जे को कोई खतरा नहीं है और न ही मुख्यमंत्री बनने की संभावना प्रभावित होगी. कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष पाटिल ने बातचीत में कहा कि वह भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. हालांकि, सीनियर नेता सिद्धरमैया और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (KPC) प्रमुख डी.के.शिवकुमार इस पद के अग्रणी दावेदारों में हैं.
पूर्व जल संसाधन मंत्री ने कांग्रेस के भीतर कलह होने से इनकार किया और नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री पद की इच्छा रखने का बचाव किया. पाटिल ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 224 सदस्यीय विधानसभा की 130 सीटों के साथ अपने दम पर सत्ता में आएगी. उन्होंने दावा किया कि चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा ऑपरेशन कमल कामयाब नहीं हो सकेगा. उन्होंने कहा- लिंगायत समुदाय का मैं शेट्टार और सावदी से वरिष्ठ नेता हूं. पाटिल ने यह जवाब उस सवाल के जवाब में दिया जब पूछा गया कि क्या भाजपा के दोनों नेताओं के कांग्रेस में आने के बाद उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा- मैं कई अन्य की तरह मुख्यमंत्री बनने की योग्यता रखता हूं, लेकिन अंतत: पार्टी फैसला करेगी. पाटिल ने कहा कि पंजाब को छोड़कर पार्टी ने कहीं नतीजे आने से पहले मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित नहीं किया था.
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पाटिल विजयपुरा जिले के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से एक बबलेश्वर से चुनाव लड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री पद के कई दावेदारों के बीच पार्टी में बढ़ते टकराव पर उन्होंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है. हर किसी की महत्वाकांक्षा होगी, इसमें कुछ गलत नहीं है. क्या भाजपा नेताओं की महत्वाकांक्षा नहीं होती है? उन्होंने कहा कि सिद्दरमैया, डी.के.शिवकुमार और एम.मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार और योग्य नेता हैं. लेकिन, पार्टी आलाकमान इस पर अंतिम फैसला लेगा. उन्होंने कहा- मैं दावेदार हूं. जी परमेश्वर, कृष्णा बी. गौड़ा, एच के पाटिल और आरवी देशपांडे भी हैं, और कई नेता हैं जो मुख्यमंत्री पद के योग्य हैं. कांग्रेस में नतीजे आने के बाद विधायक दल फैसला करेगा.
पाटिल ने कहा कि इन अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है कि भाजपा के दो नेताओं के पार्टी में शामिल किए जाने के बाद कांग्रेस ने उन्हें किनारे कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि- अगर,ऐसा होता तो मैं जगदीश शेट्टार को पार्टी में शामिल होने को नहीं कहता. मैं पुराना कांग्रेसी हूं और मेरा अपना महत्व है. पार्टी जानती है कि मैंने शेट्टार को कांग्रेस में लाने के लिए काम किया. पार्टी को सत्ता में आना चाहिए और यह वृहद हित है. गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार लिंगायत समुदाय के उप संप्रदाय बनिगा (व्यापारी) से आते हैं. वह और सावदी उत्तर कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं.
पाटिल ने कहा- शेट्टार विजयपुरा में 20 हजार मतों को प्रभावित करेंगे. वहीं सावदी का असर कम से कम 10 से 12 विधानसभा क्षेत्रों में होगा क्योंकि वह लिंगायत के उप संप्रदाय गनिगा से आते हैं. लक्षमण सावदी हमारे लिए लाभकारी होंगे. पाटिल ने कहा कि इन अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है कि उन्हें कांग्रेस में किनारे कर दिया गया है, क्योंकि वह चुनाव समिति के अध्यक्ष हैं. जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री और लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता होने के बावजूद येदियुरप्पा को महज प्रचार समिति का सदस्य बनाया गया है.
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चुनाव की संभावनाओं पर पाटिल ने कहा कि कांग्रेस को इस बार बढ़त हासिल है और भाजपा का‘आपरेशन कमल’ सफल नहीं होगा. उन्होंने कहा- इस बार ऑपरेशन कमल सफल नहीं होगा. भाजपा और जनता दल (सेकुलर) को मिलकर भी सरकार बनाने लायक सीटें नहीं मिलेंगी. जद(एस) के समर्थन का सवाल ही नहीं उठता. कांग्रेस को 130 सीटें मिलेंगी. पाटिल ने कहा कि भाजपा कर्नाटक में बहुमत से सत्ता में नहीं आई थी. उन्होंने कहा कि 2018 में भाजपा ने लिंगायत नेता बी एस येदियुरप्पा को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन तब पार्टी 115 सीट भी नहीं जीत पाई थी और उसे केवल 105 सीटें हासिल हुई थीं.
पाटिल ने आरोप लगाया- अब येदियुरपा के बिना भाजपा के अपने दम पर सत्ता में आने का कोई सवाल ही नहीं है. वह पिछली बार ऑपरेशन कमल के जरिये हमारे 17 विधायक खरीदकर सत्ता में आई थी. उसने प्रत्येक विधायक पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए. कुल 1,700 करोड़ रुपये खर्च किए गए. लिंगायत समुदाय के प्रतिष्ठित नेता पाटिल ने 1991 में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था और तिकोता से सफलतापूर्वक विधानसभा चुनाव लड़ा था. इसके बाद, उन्होंने बीजापुर (अब विजयपुरा) से लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए थे. उन्होंने 2008 में बबलेश्वर से फिर विधानसभा चुनाव लड़ा और तब से वह इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.