Gujarat Election 2022: गुजरात में विधानसभा की 182 सीटों के लिए दो चरणों में 1 और 5 दिसंबर को चुनाव होने वाले हैं. सभी सियासी पार्टियां इस चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के इरादे से पूरी ताकत के साथ जुटी है. इन सबके बीच, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में राष्ट्रीय दलों द्वारा वित्त वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच अज्ञात स्रोतों के माध्यम से जुटाए गए फंड को लेकर अहम जानकारी सामने आई है.
इस रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2016-17 से वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राजनीतिक दलों (जिनकी रिपोर्ट उपलब्ध थी) द्वारा चुनावी ट्रस्टों के माध्यम से गुजरात में दानदाताओं से प्राप्त धन, इलेक्टोरल बॉन्ड और राज्य के कॉर्पोरेट घरानों से जुटाए गए फंड के संदर्भ में विश्लेषण किया गया है. विश्वलेषण इस बात पर फोकस था कि प्रमुख दलों को राजनीतिक फंडिंग का कितना हिस्सा कहां से आया. साथ ही, राष्ट्रीय दलों द्वारा पांच साल में एकत्रित हुए फंड से जुड़े आंकड़ों की तुलना की जा सकें.
राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा घोषित कुल आय जिनकी वार्षिक रिपोर्ट चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध 16,071.60 करोड़ रुपये है. पांच वर्षों में कुल आय का 79.91 फीसदी या 12,842.28 करोड़ रुपये 8 राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित किया गया है. जबकि, शेष 3229.32 करोड़ (20.09 फीसदी) क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित किया गया था. वित्त वर्ष 2019-20 (लोकसभा का वर्ष) में राष्ट्रीय दलों द्वारा अधिकतम धन प्राप्त किया गया. यह राशि 4760.09 करोड़ रुपये थी, जबकि क्षेत्रीय दलों को वित्त वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक आय 1089.422 करोड़ रुपये प्राप्त हुई.
पांच साल की अवधि के दौरान, 8 राष्ट्रीय दलों की कुल आय 4 गुना थी. वहीं, वित्त वर्ष 2019-20 से 2020-21 के बीच 8 राष्ट्रीय दलों की आय में 71.14 फीसदी की कमी आई. पांच वर्षों में राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित 20,000 रुपये से अधिक के कुल दान का 83.11 फीसदी या 3618.483 करोड़ रुपये था. जबकि, शेष 735.367 करोड़ रुपये (16.89 फीसदी) क्षेत्रीय दल द्वारा घोषित किया गया था. वित्त वर्ष 2019-20 (लोकसभा का वर्ष) में राष्ट्रीय दलों द्वारा अधिकतम चंदा (कुल राशि 1013.805 करोड़ रुपये) प्राप्त किया गया. जबकि, वित्त वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय दलों को सबसे अधिक 233.457 करोड़ रुपये का योगदान प्राप्त हुए. वित्त वर्ष 2019-20 से 2020-21 के बीच राष्ट्रीय दलों के चंदे में 41.43 फीसदी की कमी आई.