गुजरात चुनाव 2022: द्वारका सीट दशकों से है बीजेपी का गढ़, 32 सालों से नहीं हारा ये उम्मीदवार

Gujarat Election 2022: गुजरात में द्वारका विधानसभा एक महत्वपूर्ण सीट है. इस सीट को पूरी तरह से बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है.

By Samir Kumar | November 14, 2022 7:45 PM

Gujarat Election 2022: गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के इरादे से सभी प्रमुख सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए यह चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का यह गृह राज्य है. वहीं, कांग्रेस के लिए अपनी साख बचाने के इस चुनाव में जीत हासिल जरूरी माना जा रहा है. ऐसे में कई विधानसभा सीट पर प्रमुख सियासी दलों की पैनी नजर है. द्वारका विधानसभा सीट भी इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है.

द्वारका सीट बीजेपी का गढ़

दरअसल, द्वारका विधानसभा सीट (Dwarka Assembly Seat) को पूरी तरह से बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है और 2002, 2007, 2012 एवं 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशी के खाते में ही यह सीट गई थी. द्वारका विधानसभा सीट गुजरात के देवभूमि दुर्वका जिले में आती है. बीजेपी टिकट पर पबुभा विरमभा माणेक विधायक हैं. जबकि, 2002 से पहले के चुनावों में भी माणेक का इस विधानसभा सीट पर दबदबा रहा था. माणेक के पास गुजरात सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी रह चुका हैं.

32 साल से माणेक नहीं हारे चुनाव

गुजरात के चुनावी रण में इस बार भी बीजेपी ने पबुभा विरमभा माणेक को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, माना जा रहा है कि इस बार आम आदमी पार्टी के मैदान में उतरने से यहां मुकाबला टक्कर का हो सकता है. 2017 के चुनाव में द्वारका में वोट प्रतिशत 47.25 रहा था. 2017 में बीजेपी के टिकट पर विरमभा माणेक ने कांग्रेस प्रत्याशी आहिर मेरामण मारखी को मात दी थी. माणेक ने मारखी को 5739 वोटों से हराया था. पिछले चुनाव में एक दर्जन से अधिक प्रत्याशियों ने चुनाव में अपना भाग्य अजमाया था, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी की ही जीत हुई थी. बीते 32 साल से माणेक को कोई नहीं हरा सका है. चाहे वो निर्दलीय लड़ लें या किसी पार्टी से लड़ लें या पार्टी को बदल कर लड़ लें जीत उन्हीं की होती है.

पुजारी परिवार से ताल्लुक रखते है माणेक

पबुभा विरमभा माणेक पुजारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने पहली बार 1990 में चुनाव लड़ा था और तब से वो कभी भी चुनाव नहीं हारे. बीजेपी का द्वारका सीट पर पिछले 10 सालों से कब्जा है, जबकि पबुभा विरमभा माणेक का 32 सालों से कब्जा है. माणेक पहले तीन चुनाव निर्दलीय के तौर पर जीते, फिर कांग्रेस में गए. बाद में 2012 और 2017 का चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीते.

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