Gujarat Election 2022 : गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद हलचल तेज हो गयी है. ने नाराजगी के बाद पार्टी का दामन छोड़ते नजर आ रहे हैं. जहां एक ओर गुजरात विधानसभा के पूर्व सदस्य इंद्रनील राजगुरु ने आम आदमी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है. वहीं दूसरी ओर गुजरात में भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके जय नारायण व्यास ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
जय नारायण व्यास के इस्तीफे के बाद कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. खबरों की मानें तो वह जल्द ही कांग्रेस या फिर आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि व्यास की दोनों पार्टियों से बीते दिनों करीबी देखी गयी है. इस बार गुजरात का रण रोचक होता दिख रहा है. गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी भी मैदान में है जिसकी सक्रियता की वजह से गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद जतायी जा रही है. यहां चर्चा कर दें कि गुजरात के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जय नारायण व्यास 2007 से लेकर 2012 तक प्रदेश सरकार में मंत्री के पद पर अपनी सेवा दे चुके हैं. काफी वक्त से भाजपा उन्हें भाव नहीं दे रही थी.
गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का सामना भाजपा करेगी. साथ ही पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अलावा आक्रामक तरीके से मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी (आप) के साथ मुकाबला भाजपा को इस चुनाव में करना होगा. उल्लेखनीय है कि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है. आइए जानते हैं भाजपा की ताकत और उसकी कमजोरी के बारे में….
-प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता, जो भाजपा का तुरुप का इक्का बने हुए हैं.
-आरक्षण को लेकर हुए आंदोलन के चलते 2017 के चुनावों में भाजपा को पाटीदार समुदाय के गुस्से का सामना करनना पड़ा था, लिहाजा वह अब पाटीदारों तक अपनी पहुंच पर भरोसा कर रही है. पिछले साल सितंबर में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने और आरक्षण आंदोलन के अगुआ हार्दिक पटेल को अपने पाले में लाने का फैसला पार्टी के पक्ष में काम कर सकता है.
-भाजपा की गुजरात इकाई के पास बूथ स्तर तक एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा है.
-सत्ताधारी भाजपा हिन्दुत्व, विकास और ‘‘डबल इंजन” की बदौलत तेज प्रगति के मुद्दों पर भरोसा कर रही है. शाह भाजपा की चुनावी तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं. उन्हें भाजपा का मुख्य रणनीतिकार भी कहा जाता है.
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-भाजपा के पास एक मजबूत स्थानीय नेता की कमी है, जो प्रधानमंत्री मोदी की जगह भर सके. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 से गुजरात में मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित तीन मुख्यमंत्री बन चुके हैं. मोदी 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे.
-आप और कांग्रेस द्वारा राज्य सरकार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने के अलावा, भाजपा को महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक संकट जैसे मुद्दों पर जनता का सामना करना पड़ सकता है.
-आप के आक्रामक अभियान ने गुजरात की शिक्षा प्रणाली और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में खामियां निकालने की कोशिश की है.
भाषा इनपुट के साथ