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गुजरात चुनाव 2022: पीएम मोदी की 3 दिनों में 8 रैलियां, जानें क्यों सौराष्ट्र में जोर लगा रही है भाजपा

Gujarat Election 2022 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से तीन दिन के गुजरात दौरे पर हैं. इस बार भाजपा के लिए सौराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन करना चुनौती बन गया है. अमित शाह गुजरात में पहले से डटे हुए हैं.

By Amitabh Kumar | November 19, 2022 8:38 AM

Gujarat Election 2022 : गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा के लिए यहां आज पहुंचने वाले हैं. पीएम मोदी और अमित शाह का यह गृह राज्य है इसलिए भाजपा यहां पूरा जोर लगा रही है. जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में 3 दिनों में 8 रैलियों को संबोधित करेंगे. सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात क्षेत्रों में कम से कम आठ कार्यक्रमों में पीएम मोदी भाग लेने वाले हैं. आइए जानते हैं कि भाजपा के लिए सौराष्ट्र में जीत दर्ज करना क्यों महत्वपूर्ण हो गया है.

सौराष्ट्र पर का क्या है समीकरण

गुजरात के सौराष्ट्र पर नजर डालें तो इस क्षेत्र में विधानसभा की 48 सीटें हैं जहां कांटे की टक्कर देखन को इस बार मिल सकती है. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में यहां पर भाजपा की पकड़ ढीली पड़ने के कारण उसको नुकसान उठाना पड़ा था. 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या लगभग दोगुनी कर ली थी और गुजरात में अपनी सीट बढ़ा ली थी. इस बार भाजपा के टॉप नेता इस क्षेत्र में कड़ी मशक्कत कर रहे हैं लेकिन, इस बार आम आदमी पार्टी यानी आप नयी चुनौती के तौर पर दिख रही है.

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सौराष्ट्र क्षेत्र में पिछली बार भाजपा को नुकसान

सौराष्ट्र क्षेत्र की बात करें तो यहां 11 जिले हैं. सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, गीर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर और बोटाद इस क्षेत्र में आते हैं. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में मोरबी, गीर सोमनाथ और अमरेली में भाजपा का खाता तक नहीं खुला था. इस क्षेत्र में पिछली बार पाटीदार आंदोलन का असर देखने को मिला था जिसका लाभ कांग्रेस को मिला था.

इस बार हार्दिक पटेल भाजपा के साथ

पाटीदार आंदोलन का चेहरा हार्दिक पटेल इस बार भाजपा के साथ हैं. पिछले चुनाव में हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ थे और पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे. हार्दिक पटेल के साथ-साथ अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी भी कांग्रेस के साथ थे. अल्पेश ठाकोर ने तो बाद में भाजपा का दामन थाम लिया लेकिन मेवानी अभी भी कांग्रेस के साथ ही हैं.

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