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उत्तराखंड : हरक सिंह रावत का विवादों से रहा गहरा नाता, कभी इस वजह से गंवानी पड़ी थी मंत्री की कुर्सी

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हरक सिंह रावत ने 18 मार्च 2016 को उत्तराखंड विधानसभा में हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर दिया था. इसके बाद हरीश रावत सरकार को हटाकर राज्य में राष्ट्रपति शासन तक लगाया गया था.

देहरादून : भाजपा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मंत्रिमंडल से बर्खास्त उत्तराखंड के नेता हरक सिंह रावत का रावत का विवादों से गहरा नाता रहा है. जैनी प्रकरण से सुर्खियों में आए हरक सिंह रावत किसी न किसी वजह से हमेशा विवादों से घिरे ही रहते हैं, जिससे उन्हें राजनीतिक तौर पर नुकसान भी उठाना पड़ता है. जैनी प्रकरण की वजह से उन्हें साल 2003 में नारायण दत्त तिवारी की सरकार में मंत्री पद से हाथ धोना पड़ गया था.

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2003 में हरक सिंह रावत तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की सरकार में मंत्री थे. जैनी नाम की एक महिला की वजह से उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ गया था. उस समय उस महिला ने एक बच्चे को भी जन्म दिया था. महिला ने हरक सिंह रावत पर आरोप लगाया था कि वे ही उस बच्चे के असली पिता हैं. इस मामले में डीएनए टेस्ट भी कराया गया था. हालांकि, उसकी टेस्ट रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया था.

2013 में मेरठ की महिला ने लगाया था यौन शोषण का आरोप

इतना ही नहीं, मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा करें, तो साल 2013 में भी मेरठ की एक महिला ने हरक सिंह रावत पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. उस समय वे तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की सरकार में मंत्री थे. इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे थे. इसी दौरान उनका एक बयान काफी विवादित हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मंत्री पद को मैं अपने जूते की नोक पर रखता हूं.

सफदरजंग थाने में यौन शोषण का केस दर्ज

मीडिया की रिपोर्ट में इस बात की चर्चा की जा रही है कि फरवरी 2014 में मेरठ की रहने वाली महिला ने दिल्ली के सफदरजंग थाने में ही हरक सिंह के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था. हालांकि, बाद में दोनों पक्षों की कथित सहमति के बाद यह मामला रफादफा हो गया था, लेकिन 29 जुलाई 2016 को मेरठ की उसी महिला ने दोबारा हरक के खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराया.

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हरीश रावत के खिलाफ बगावत

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हरक सिंह रावत ने 18 मार्च 2016 को उत्तराखंड विधानसभा में हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर दिया था. उस समय बगावत का झंडा बुलंद करने वाले नौ बागियों में हरक सिंह रावत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसी का नतीजा रहा कि इन नौ विधायकों के बागी होने के बाद हरीश रावत सरकार को हटाकर राज्य में राष्ट्रपति शासन तक लगाया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हरीश रावत की सरकार ने काम करना शुरू कर दिया, लेकिन हरक सिंह रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए.

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