Harish Rawat lal kuan Election Results 2022 : उत्तराखंड में विधानसभा के लिए चुनाव खत्म होने के साथ ही प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई. मतों की गिनती आज जारी है और ताजा खबर के अनुसार हरीश रावत पीछे चल रहे हैं. बता दें कि विधानसभा चुनाव से पूर्व उत्तराखंड में कांग्रेस खुलकर सीएम के चेहरे पर दांव खेलने से बचती दिखी. हालांकि, कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आने के बाद हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का अहम दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता साफ तौर पर स्वीकार करते है कि हरीश रावत उत्तराखंड में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं. लेकिन, उन्हें सीधे सीएम फेस घोषित कर पार्टी के भीतर गुटबाजी से बचने को लेकर ही चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया गया.
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उत्तराखंड की राजनीति में हरीश रावत का नाम हमेशा से केंद्र में रहा है. एक साधारण परिवार से आने के बावजूद हरीश रावत सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे. हालांकि, उनका यह सफर आसान नहीं रहा है. प्रदेश की सियासत में हरीश रावत के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विपक्ष के निशाने पर कांग्रेस से ज्यादा हरीश रावत रहते हैं. 1973 में कांग्रेस की जिला यूथ इकाई के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने हरीश रावत एक ऐसे राजनेता हैं, जो विरोधियों से मात खाने के बाद और मजबूती से उभरे हैं.
हरीश रावत ने ब्लॉक प्रमुख से अपने चुनावी राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और 2012 में उत्तराखंड के सीएम बनाए गए. उनके सियासी ताकत की बात करें तो उत्तराखंड के प्रमुख क्षेत्र गढ़वाल और कुमाऊं में उनकी अच्छी पकड़ है. वहीं, उत्तराखंड की राजनीति में सबसे पुराना चेहरा होने के कारण जनता के बीच वे बेहद लोकप्रिय नेता है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए सबसे भरोसेमंद नेता हरीश रावत ने अन्य राज्यों में भी संकटमोचक की भूमिका निभाई है.
हरीश सिंह रावत का जन्म 27 अप्रैल 1948 को अल्मोड़ा के मोहनरी गांव में हुआ था. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की है. हरीश रावत के नाम एक दिन का मुख्यमंत्री रहने का अनोखा रिकॉर्ड भी है. 2016 में कांग्रेस में हुई तोड़फोड़ के चलते उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा था. 25 दिन के राष्ट्रपति शासन के बाद 21 अप्रैल 2016 को एक बार फिर रावत एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनाए गए थे.
कांग्रेस नेता हरीश रावत 15वीं लोकसभा में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री भी रह चुके हैं. हरदा के नाम से मशहूर हरीश रावत को भले ही कांग्रेस ने चुनाव में सीएम का चेहरा घोषित न किया हो, लेकिन उनके समर्थकों के साथ विरोधी भी मानते हैं कि कांग्रेस सत्ता में आती है तो कुर्सी उन्हीं की है.