Exit Poll : चुनाव की खुमारी के बाद एग्जिट पोल की बारी, जानें इससे जुड़ी खास बातें

लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के बाद एग्जिट पोल या सर्वेक्षण तुरंत जारी नहीं किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि एग्जिट पोल के नतीजे चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 1, 2024 9:27 AM

चुनाव डेस्क : देश के आठ राज्यों की 57 सीटों पर मतदान के साथ शनिवार को अठारहवीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न हो जायेगा. चुनावों की खुमारी के बाद राजनीतिक दल हों या मतदाता सभी एग्जिट पोल की तरफ टकटकी निगाह से देखने लगेंगे. शाम छह बजते ही तमाम एजेंसियों के एग्जिट पोल दलों की जीत या हार के दावे पेश करेंगे. देखा गया है कि लोगों में अंतिम रिजल्ट जानने की जितनी उत्सुकता रहती है, उतनी जिज्ञासा एग्जिट पोल के नतीजों को लेकर भी होती है. हालांकि हर एक एग्जिट पोल के अलग मायने होते हैं. यानी जितनी मुंह, उतनी बातें. लेकिन इन नतीजों से कुछ देर तक मन को तो बहलाया ही जा सकता है. ये सर्वे कई बार नतीजों से मेल खाते हैं, तो कभी उलट होते हैं.

क्या है एग्जिट पोल, कैसे करता है काम

दरअसल एग्जिट पोल मतदाताओं के साथ किया जाने वाला सर्वेक्षण है, जब वे निर्वाचन के दौरान मतदान केंद्र से बाहर निकलते हैं. इसमें मतदान करके बाहर निकले वोटरों से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है. भारत में, चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल के परिणामों को मतदान के दिन प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा रखा है. हालांकि, यह प्रतिबंध अंतिम मतदान के बाद प्रसारित किये जाने वाले एग्जिट पोल पर लागू नहीं होता है.

अंतिम चरण की वोटिंग के बाद ही क्यों होते हैं जारी

लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के बाद एग्जिट पोल या सर्वेक्षण तुरंत जारी नहीं किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि एग्जिट पोल के नतीजे चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए अंतिम चरण के मतदान के बाद शाम को वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद ही एग्जिट पोल जारी किया जा सकता है. दरअसल, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-126ए के तहत अंतिम चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्जिट पोल जारी करने पर रोक है. उल्लंघन करने पर दो साल कारावास, जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है. कई अन्य दंड के भी प्रावधान हैं.

कितना खर्च है लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स पर

एग्जिट पोल करने के लिए समय की और रकम की जरूरत पड़ती है. अमूमन एक पोल को करने में तीन- पांच करोड़ रुपये तक खर्च होते हैं. यह खर्च सैंपल साइज पर निर्भर करता है. सैंपल साइज जितना बड़ा होगा, खर्च उतना ही अधिक बढ़ जाता है. एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों के मुताबिक, अगर सैंपल साइज 60 हजार लोगों का है, तो फिर इस पर तीन करोड़ रुपये का खर्च आयेगा.

कितने सही हुए थे साबित

23 मई, 2019 को सत्रहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के परिणाम घोषित हुए थे. एग्जिट पोल के अनुमान करीब-करीब सही साबित हुए और भाजपा लगातार दूसरी बार खुद के दम पर सत्ता में आयी. भाजपा ने सबसे ज्यादा 303 सीटें जीतीं. इंडिया टीवी-सीएनएक्स, टाइम्स नाउ-वीएमआर और रिपब्लिक-सी वोटर के नतीजे सही साबित हुए. कांग्रेस को महज 52 सीटों पर जीत मिली. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के 22 सांसद, बसपा के 10, भाकपा के दो, माकपा के तीन और एनसीपी के पांच सांसद जीते. चुनाव नतीजों के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बनी जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने.

Next Article

Exit mobile version