Loading election data...

भागलपुर ने सभी दलों को पहनाया है जीत का सेहरा, कोइरी-कुशवाहा-सवर्ण मतदाता होते हैं निर्णायक

बिहार के सीएम रहे भागवत झा आजाद पांच बार भागलपुर से सांसद रहे, 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को भागलपुर से हार मिली, 2014 में मोदी लहर में भी भागलपुर से कमल नहीं खिल सका .

By Anand Shekhar | April 1, 2024 4:36 PM
an image

भागलपुर से ललित किशोर मिश्र. भागलपुर लोकसभा सीट से इस बार भी पुराने धुंरधरों के बीच चुनावी टकराव होगी. यहां गंगोता और यादव दो बड़े मतदाता वर्ग हैं, दोनों एक-दूसरे के खिलाफ वोट करते रहे हैं. एक ओर गंगोता के साथ कोइरी मतदाताओं की गोलबंदी होती है, वहीं यादव मतदाताओं के साथ अल्पसंख्यक वोटर लामबंद होते हैं. यहां के चुनाव में सवर्ण, अल्पसंख्यक और कुशवाहा मतदाता निर्णायक साबित होते रहे हैं.

एनडीए में इस बार भागलपुर से जदयू के सांसद अजय मंडल को दूसरी बार उम्मीदवार बनाया गया है. उनके मुकाबले महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस की झोली में गयी है. अजय मंडल के मुकाबले कांग्रेस में उम्मीदवार तय नहीं हो पाया है. यहां से 2004 में भाजपा के टिकट पर सुशील कुमार मोदी, 2005 के उप चुनाव और 2009 में भाजपा के ही शाहनवाज हुसैन चुनाव जीत चुके हैं. इसके पहले 1998 में भाजपा के प्रभाष चंद्र तिवारी और अगले साल 1999 में हुए मध्यावधि चुनाव में माकपा के सुबोध राय भी सांसद निर्वाचित हो चुके हैं.

सबसे ज्यादा जीत कांग्रेस के खाते में गयी है

भागलपुर लोकसभा सीट के लिए अभी तक के जितने भी चुनाव हुए, उनमें से सबसे ज्यादा चुनाव जीत कांग्रेस के खाते में गयी. पूर्व सीएम भागवत झा आजाद ने यहां से पांच बार जीते. इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. इमरजेंसी के बाद कांग्रेस इस सीट से दो बार ही चुनाव जीत पायी. उसके बाद इस सीट पर कभी राजद, कभी भाजपा तो कभी जदयू ने जीत हासिल की.

1977 के आम चुनाव में भागलपुर लोकसभा सीट से पद्मश्री से सम्मानित डा रामजी सिंह भारतीय लोकदल के उम्मीदवार के रूप में जीते. इसके बाद से कांग्रेस कमजोर पड़ती गयी. क्षेत्र की जनता ने 1977 के बाद किसी भी दल के दबदबे को कायम नहीं रहने दिया. कभी-कभी धारा के विपरीत भी यहां जनादेश मिलता रहा.

छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं भागलपुर लोकसभा सीट के तहत

भागलपुर लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा विहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती, कहलगांव, भागलपुर और नाथनगर आते हैं. इनमें तीन सीटों पर भाजपा का कब्जा है. एक पर जदयू, एक राजद और एक पर कांग्रेस काबिज है. 2019 के चुनाव में जदयू के अजय मंडल को छह लाख 18 हजार से अधिक वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को तीन लाख चालीस हजार से अधिक वोट आये.

सपा और बसपा कभी नहीं जीत पायी यहां

भागलपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस, भाजपा, जदयू, भाकपा व राजद समर्थित पार्टी के उम्मीदवार ही जीत पाये. अन्य दल जैसे बसपा, सपा सहित अन्य दल इस सीट से कभी नहीं जीत पायी. बसपा से वर्तमान कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा व बाहुबली पप्पू खान चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. भागलपुर लोकसभा सीट से ब्राह्मण, यादव, मुस्लिम, भूमिहार ,धानुक और गंगाेता जाति के उम्मीदवार चुनाव जीत कर सांसद बने.

2014 में मोदी लहर में भी नहीं खिल पाया था कमल

2014 के लोकसभा चुनाव जब भारतीय जनता पार्टी की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी बने थे, तब पूरे देश में मोदी लहर थी. यहां से भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन उम्मीदवार थे. राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने उन्हें हराया था.

अब तक के सांसद

  • 1957 : बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला, कांग्रेस
  • 1962 : भागवत झा आजाद, कांग्रेस
  • 1967 : भागवत झा आजाद, कांग्रेस
  • 1971 : भागवत झा आजाद, कांग्रेस
  • 1977 : रामजी सिंह, जनता पार्टी
  • 1980 : भागवत झा आजाद, कांग्रेस
  • 1984 : भागवत झा आजाद, कांग्रेस
  • 1989 : चुनचुन प्रसाद यादव, जनता दल
  • 1991: चुनचुन प्रसाद यादव, जनता दल
  • 1996 : चुनचुन प्रसाद यादव, जनता दल
  • 1998 : प्रभास चंद्र तिवारी, भाजपा
  • 1999 : सुबोध राय, माकपा
  • 2004 : सुशील कुमार मोदी, भाजपा
  • 2006 (उपचुनाव) : सैयद शाहनवाज हुसैन, भाजपा
  • 2009 : सैयद शाहनवाज हुसैन, भाजपा
  • 2014 : शैलेश कुमार मंडल, राजद
  • 2019 : अजय कुमार मंडल, जदयू

Also Read :

मधेपुरा लोकसभा सीट फिर बनेगा यादवी संघर्ष का गवाह, यहां कोई भी समाजवादी नेता नहीं लगा सका हैट्रिक

लोकसभा चुनाव: आरा में भाजपा और भाकपा माले के बीच सीधी टक्कर, जातीय समीकरण की होगी मुख्य भूमिका

Exit mobile version