लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. राजनीतिक दल कमर कस कर चुनावी मैदान में ताल ठोंकने उतर चुके हैं. लड़ाई आर-पार की है, तो जीत के हथकंडे भी नये और अनूठे हैं. कुछ साल पहले तक जो चुनाव प्रचार सोशल मीडिया के सहारे हो रहा था, अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तक पहुंच चुका है.
लोकसभा चुनाव के प्रचार में इस बार कांग्रेस बहुत आक्रामक तरीके से प्रचार अभियान चलाने जा रही है. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का सहारा लिया जायेगा. वहीं, भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को अलग-अलग राज्यों की जनता को उनकी ही मातृभाषा में पहुंचाने के लिए एआइ डबिंग तकनीक का सहारा ले रही है.
देश की आठ भाषाओं में लोग सुन रहे प्रधानमंत्री मोदी को
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बार बड़े पैमाने पर एआइ तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण अब देश की आठ भाषाओं में उपलब्ध है.
- बंगाली, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, मराठी, उड़िया और मलयालम में पीएम का भाषण उपलब्ध
पीएम मोदी आमतौर पर हिंदी में ही अपना भाषण देते हैं. उनके भाषण को अलग-अलग राज्यों की जनता को उनकी ही मातृभाषा में पहुंचाने के लिए भाजपा एआइ डबिंग तकनीक का सहारा ले रही है. इस तकनीक से मोदी के भाषण को देश की आठ भाषाओं बंगाली, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, मराठी, उड़िया और मलयालम में लोगों तक पहुंचाया जा रहा है.
कांग्रेस चलायेगी कैंपेन, अगर महात्मा गांधी, नेहरू जिंदा होते, तो…
इस बार कांग्रेस आक्रामक प्रचार अभियान चलाने जा रही है. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सहारा लिया जायेगा. भाजपा की ओर से कांग्रेस पर देश के बंटवारे, जम्मू-कश्मीर की समस्या के आरोप लगते रहे हैं. इनका जवाब एआइ वीडियो के माध्यम से खुद महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल देते नजर आयेंगे.
- एआइ वीडियो के माध्यम से महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू व सरदार पटेल देंगे सवालों के जवाब
इसके लिए नेताओं के पुराने और एआइ तकनीक से बनाये नये वीडियो का उपयोग प्रचार में होगा. कांग्रेस इस तरह के अभियान का नाम, ‘अगर गांधी और नेहरू जिंदा होते’ दे सकती है. इसके तहत ऐतिहासिक किताबों से महापुरुषों की बातों के वीडियो भी एआइ तकनीक से बनवाने की रणनीति है.