लोकसभा चुनाव में विरासत पर कब्जे की जंग, कोई बाप-बेटे से हारा, तो किसी ने बेटे को हराकर हिसाब किया बराबर

लोकसभा चुनाव में बिहार की अररिया, औरंगाबाद व समस्तीपुर सीट पर पिता-पुत्रों के बीच मुकाबले का इतिहास रहा है. वहीं सारण में माता-पिता के बाद बेटी रोहिणी इस बार भाजपा के रूडी से सीधा मुकाबला कर रही हैं. वहीं गया में राजेश कुमार से हार चुके जीतनराम मांझी की अब उनके बेटे कुमार सर्वजीत से भिड़ंत हो रही है.

By Anand Shekhar | April 4, 2024 8:31 PM

मनोज कुमार, पटना. नेताओं के पुत्र व पुत्रियों के चुनावी समर में उतरने की लंबी फेहरिस्त है. इस कड़ी में बिहार में रोचक किस्से भी सामने आये. एक ही लोकसभा सीट से किसी उम्मीदवार को कभी पिता ने तो कभी बेटे ने शिकस्त दी. कहीं-कहीं पिता और पुत्र दोनों से हारे प्रत्याशी ने बेटे को हराकर हिसाब बराबर भी कर लिया.

अररिया से तस्लीमुद्दीन व उनके बेटे सरफराज आलम दोनों की भिड़ंत भाजपा के प्रदीप सिंह से हो चुकी है. औरंगाबाद से वर्तमान सांसद सुशील सिंह और उनके पिता रामनरेश सिंह उर्फ लूटन सिंह की कांग्रेस प्रत्याशी श्यामा सिंह से हार-जीत का किस्सा काफी मशहूर है. समस्तीपुर लोकसभा की भी ऐसी ही कहानी है. यहां से सांसद चुने गये रामचंद्र पासवान व उनके निधन के बाद बेटे प्रिंसराज दोनों ने कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ अशोक राम को मात दी थी.

रोहिणी व सर्वजीत ने शुरू किया नया अध्याय

इस कड़ी में नये सिरे से सारण लोकसभा सीट से राजद के टिकट चुनाव लड़ रहीं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्या और गया से राजद से ही चुनाव लड़ रहे कुमार सर्वजीत का नाम जुड़ गया है. सर्वजीत राजेश कुमार कुमार के बेटे हैं.

गया में 33 साल बाद पिता के बाद बेटे के सामने मांझी

गया लोकसभा चुनाव में इस बार राजद से पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत व हम पार्टी से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी मैदान में हैं. 33 साल पहले इस सीट पर कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार व जीतनराम मांझी के बीच वर्ष 1991 में मुकाबला हुआ था. उस चुनाव में राजेश कुमार ने जीतनराम मांझी को शिकस्त दी थी. इस बार राजेश कुमार के बेटे कुमार सर्वजीत और जीतनराम मांझी आमने-सामने हैं.

जीतनराम मांझी

औरंगाबाद में पिता से हारीं श्यामा सिंह, बेटे को दी शिकस्त

1989 में सत्येंद्र नारायण सिन्हा की पुत्रवधू कांग्रेस प्रत्याशी श्यामा सिंह को जनता दल के प्रत्याशी रामनरेश सिंह उर्फ लूटन सिंह ने शिकस्त दी. फिर 1999 के चुनाव में श्यामा सिंह ने जदयू से चुनाव लड़ रहे रामनरेश सिंह के पुत्र सुशील सिंह को हराकर यह सीट वापस झटक ली. सुशील सिंह वर्तमान में औरंगाबाद से सांसद हैं. इस बार भी भाजपा के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

सारण में माता-पिता के बाद रूडी का अब बेटी से मुकाबला

सारण लोकसभा सीट से 2004 और 2009 में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी को मात दी थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से लालू प्रसाद की पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी चुनाव लड़ीं. राजीव प्रताप रूडी ने राबड़ी देवी को शिकस्त दी. तब से वे यहां से सांसद बने हुए हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्या को राजद ने चुनाव में उतारा है. माता-पिता के बाद रूडी का मुकाबला अब बेटी रोहिणी आचार्या से होगा.

अररिया में पिता-पुत्र दोनों से हारे भाजपा के प्रदीप, बेटे को हराया भी

अररिया लोकसभा से वर्ष 2014 में तस्लीमुद्दीन ने भाजपा प्रत्याशी प्रदीप सिंह को मात दी थी. वर्ष 2017 में सांसद रहते तस्लीमुद्दीन का निधन हो गया. इस सीट पर वर्ष 2018 में उप चुनाव हुआ. उप चुनाव में भी भाजपा ने प्रदीप सिंह को उतारा. तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम ने राजद के टिकट से चुनाव लड़ा और प्रदीप सिंह को शिकस्त दी. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रदीप सिंह ने सरफराज आलम को हराकर हिसाब बराकर कर लिया.

समस्तीपुर में पिता-पुत्र से हारे कांग्रेस के डॉ अशोक

समस्तीपुर लोकसभा सीट से वर्ष 2019 में लोजपा से रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अशोक राम को हराकर जीत दर्ज की. रामचंद्र पासवान का कुछ ही महीने बाद निधन हो गया. इस सीट से लोजपा ने रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंसराज को उतारा. कांग्रेस ने एक बार फिर डॉ अशोक राम पर ही दांव लगाया. प्रिंसराज ने डॉ अशोक राम को शिकस्त देकर समस्तीपुर को अपने ही कब्जे में रखा. डॉ अशोक को पिता व पुत्र दोनों से हार का सामना करना पड़ा.

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