Lok Sabha Chunav: निर्वाचन आयोग द्वारा शनिवार को लोकसभा चुनावों की घोषणा किये जाने के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी प्रभावी हो गयी. इसके प्रभावी होते ही देश में नयी योजनाओं व घोषणाओं पर पाबंदी लग जायेगी और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक बरकरार रहेगी. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाये हैं, उसे ही आचार संहिता कहा जाता है. इसके लागू होते ही कई बदलाव हो जाते हैं. सरकार के कामकाज में कई अहम बदलाव हो जाते हैं.
केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी एमसीसी की उत्पत्ति
आचार संहिता की उत्पत्ति 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी. ‘लीप ऑफ फेथ’ शीर्षक से प्रकाशित किताब में लिखा गया है कि संहिता पिछले 60 वर्षों में विकसित होकर अपना वर्तमान स्वरूप ग्रहण कर चुकी है. इसकी उत्पत्ति केरल में 1960 के विधानसभा चुनावों के दौरान हुई थी, जब प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता विकसित करने का प्रयास किया था.
निर्वाचन आयोग के दस्तावेज से हुआ खुलासा
भारत में चुनावों की यात्रा का दस्तावेजीकरण करने के लिए निर्वाचन आयोग ने यह पुस्तक प्रकाशित की थी. किताब में लिखा गया कि आदर्श आचार संहिता पहली बार भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा न्यूनतम आचार संहिता के शीर्षक के तहत 26 सितंबर, 1968 को मध्यावधि चुनाव 1968-69 के दौरान जारी की गयी थी.
1968-69 के मध्यावधि चुनाव के दौरान तैयार हुआ दस्तावेज
इस संहिता को 1979, 1982, 1991 में 2013 में और संशोधित किया गया. ‘चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों की भूमिका और जिम्मेदारियां : चुनाव प्रचार और अभियान के दौरान न्यूनतम आचार संहिता के पालन के लिए राजनीतिक दलों से एक अपील’, मानक राजनीतिक व्यवहार का निर्धारण करने वाला एक दस्तावेज है और 1968 और 1969 के मध्यावधि चुनाव के दौरान आयोग ने तैयार किया था.
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‘सत्ता में दलों’ के आचरण की निगरानी का अनुभाग
निर्वावन आयोग ने 1979 में राजनीतिक दलों के एक सम्मेलन में ‘सत्ता में दलों’ के आचरण की निगरानी करने वाला एक अनुभाग जोड़ कर संहिता को समेकित किया. शक्तिशाली राजनीतिक अभिनेताओं को उनकी स्थिति का अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकने के लिए एक व्यापक ढांचे के साथ एक संशोधित संहिता जारी किया गया था.
एसवाई कुरैशी ने वैधानिक बनाने का किया जोरदार समर्थन
एक संसदीय समिति ने 2013 में सिफारिश की थी कि आदर्श आचार संहिता को वैधानिक जामा पहनाया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वाचन आयोग को अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने के लिए कोई रिक्तता नहीं हो. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने अपने कार्यकाल के दौरान आदर्श आचार संहिता को वैधानिक बनाने का जोरदार समर्थन किया.
आचार संहिता का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई का सुझाव
उन्होंने इसका उल्लंघन करने वाले नेताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का सुझाव दिया था. निर्वाचन आयोग के अनुसार, आदर्श आचार संहिता का कहना है कि केंद्र और राज्यों में सत्ता में रहने वाली पार्टी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह प्रचार के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग न करे.