चुनाव-चक्रम : राजगढ़ में दिग्विजय सिंह को कम मत आंकिये

दिग्विजय सिंह राघोगढ़ के राजकुल में जन्मे. उनकी शख्सीयत में विलक्षण योग है. राजसी हैं, लेकिन उनमें दर्प से अधिक युयुत्सु योद्धा के लक्षण हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2024 9:26 AM

Lok Sabha Election 2024| डॉ सुधीर सक्सेना : राघोगढ़ के राजकुल में जन्मे दिग्विजय सिंह की शख्सीयत में कुछ गुणों का विलक्षण योग है. राजसी होने से उनमें दर्प से अधिक युयुत्सु योद्धा के लक्षण हैं. वह पराजय में यकीन नहीं रखते और निरंतर जूझते हैं. इवीएम के खिलाफ भी वह सतत् सक्रिय हैं. यही दिग्विजय सिंह अब लोकसभा में प्रवेश के लिए चुनाव मैदान में हैं.

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को रणनीति के तहत मैदान में उतारा

गौर करें कि वह राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन कांग्रेस ने रणनीति के तहत उन्हें लोस चुनाव के लिए मैदान में उतारा है. उनकी संभावित उम्मीदवारी को लेकर करीब एक पखवाड़े ना-नुकुर की अफवाहें फिजा में तैरती रहीं. एकबारगी नाम फाइनल होते ही वह पत्रकारों के रूबरू थे.

दिग्विजय बोले- मैं पीएम मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ने को तैयार

उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ने को तैयार हूं. लेकिन पार्टी ने मुझे राजगढ़ से चुनाव लड़ने को कहा है, इसलिए मैं यहां से लड़ूंगा. तो दिग्विजय सिंह राजगढ़ के चुनावी रण में हैं. यह वही रणभूमि है, जहां से जूझकर वह सन् 1984 में पहले पहल लोकसभा में पहुंचे थे. तब वह कांग्रेस के प्रत्याशी थे.

1989 में भाजपा के प्यारेलाल खंडेलवाल ने दे दी थी मात

सन् 89 के चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्यारेलाल खंडेलवाल से मात खायी, लेकिन सन् 91 में उन्होंने फिर जीत दर्ज की. राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र राघोगढ़ राजघराने के लिए इस नाते अनुकूल और सौभाग्यशाली है कि यह उसके लिए फिर-फिर फली है. उनके अनुज लक्ष्मण सिंह ने यहां से पांच बार विजय अर्जित की. चार बार बतौर कांग्रेस प्रत्याशी और एक बार बहैसियत भाजपा उम्मीदवार.

दो चुनावों से जीत रहे हैं भाजपा के रोडमल नागर

सन् 2009 में कांग्रेस के नारायणसिंह आमलावे की जीत को छोड़ दें, तो पिछले दोनों चुनावों में यहां से भाजपा के रोडमल नागर ने जीत की पताका लहरायी है और अब एक बार फिर वह भाजपा के उम्मीदवार हैं.

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अबकी बार 400 पार का तुमुल घोष के बीच खुदबुदा रहा असंतोष

अबकी बार 400 पार के तुमुल घोष के बीच भाजपा ने सांसद रोडमल नागर को टिकट तो दी है, किंतु पार्टी की देगची में असंतोष खुदबुदा रहा है. इस बार ज्ञानसिंह गुर्जर टिकट के सशक्त दावेदार थे, मगर भाजपा नेतृत्व ने नागर पर पुन: विश्वास जताया.

व्यक्तित्व के मामले में दिग्गी राजा से हल्के हैं रोडमल नागर

व्यक्तित्व के मान से रोडमल नागर दिग्गी राजा के मुकाबले हल्के पड़ते हैं. उनका प्रभामंडल भी निष्प्रभ है. भाजपा को यह बखूबी पता है कि दिग्गी राजा कांग्रेस के हरावल दस्ते के योद्धा हैं और 77 साल की पकी उम्र में भी बाजी पलटने की ताब रखते हैं.

दिग्विजय कर रहे 400 नामांकनों का प्रयास, ताकि मतपत्र से हो वोट

मध्यप्रदेश की राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर से इवीएम का मुद्दा उठाया है. उन्होंने आगर मालवा के कचनारिया गांव में एक नुक्कड़ सभा के दौरान कहा कि वह 400 लोगों को नामांकन दाखिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि मतदान मतपत्र के माध्यम से हो.

  • 384 उम्मीदवार हो सकते हैं प्रति इवीएम में प्रति निर्वाचन क्षेत्र नोटा सहित
  • 01 बैलेट यूनिट में नोटा सहित कुल 16 उम्मीदवार आ सकते हैं
  • 24 ऐसी इकाइयों को एक साथ नियंत्रण इकाई से जोड़ा जा सकता है

बैलट पेपर से चुनाव की तैयारी कर रहे दिग्गी राजा

इस दौरान लोगों ने उनके सामने बैलट पेपर के नारे भी लगाये, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि बैलट पेपर से चुनाव के लिए बस एक ही रास्ता है. उन्होंने कहा कि अगर 400 उम्मीदवार नामांकन फॉर्म भरते हैं, तो ही चुनाव बैलट पेपर से कराये जा सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि मैं इसके लिए तैयारी कर रहा हूं.

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आठ दिवसीय ‘वादा निभाओ यात्रा’ निकाली

दिग्विजय सिंह अपनी आठ दिवसीय ‘वादा निभाओ यात्रा’ पदयात्रा के पहले दिन बोल रहे थे. सिंह ने चुनावों के लिए इवीएम के इस्तेमाल का विरोध किया है. वहीं, पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में, दुर्ग के एक भाजपा नेता ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर इवीएम को बाधित करने के कदम के बारे में बोलने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

…को मतपत्र से चुनाव कराने को मजबूर होगा चुनाव आयोग

बघेल राजनांदगांव से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. पत्र में, भाजपा नेता ने बघेल पर पार्टी कार्यकर्ताओं से यह कहने का आरोप लगाया कि यदि 384 से अधिक उम्मीदवार एक सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो निर्वाचन आयोग मतपत्र के माध्यम से चुनाव कराने के लिए मजबूर होगा.

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