लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक निजी टीवी चैनल पर कई बड़ी बातें कहीं. उन्होंने कहा कि वह हेडलाइन पर नहीं, डेडलाइन पर बातें करते हैं. उन्होंने अपनी सरकार की कई उपलब्धियों का बखान भी किया. इसके बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि आखिर आने वाले चुनावों में कौन-कौन से वो विषय हैं, जो मुद्दे बनेंगे. किन मुद्दों पर सबसे ज्यादा बातें होंगी. आइए, आपको बताते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में किन मुद्दों पर सबसे ज्यादा बातें होने की उम्मीद हैं.
राम मंदिर
इस चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा छाया रहेगा. एक तरफ भाजपा भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का श्रेय ले रही है. भाजपा के नेता अलग-अलग इलाकों से श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए ले जा रहे हैं. इस मुद्दे का भाजपा को लाभ नहीं मिले, इसकी पूरी कोशिश विपक्ष की होगी. यही वजह है कभी कोई नेता मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाता है, तो कभी कोई इसका श्रेय लेने की कोशिश करता है.
विकास
सत्ताधारी भाजपा पिछले दस साल में हुए विकास के मुद्दे को चुनाव के दौरान जम कर उठायेगी. बीते दस साल में बिजली, सड़क, पानी से लेकर तकनीक तक के क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियों को चुनाव के दौरान जम कर प्रचारित करेगी. वहीं, विपक्ष विकास के दावों को खोखला बताने के लिए महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठायेगा. वह सरकार की योजनाओं के दावों को भी खोखला बताने की कोशिश करेगा.
परिवारवाद
लोकसभा चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले ही राजनीतिक दलों के बीच परिवारवाद के मुद्दे पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. एक तरफ भाजपा विपक्ष को परिवारवादी पार्टियों का गठबंधन बता रही है. दूसरी ओर विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार पर सवाल उठा दिया है. हालांकि, भाजपा ने इसे भी अपने पक्ष में करने के लिए ‘मोदी का परिवार’ नाम से सोशल मीडिया कैंपेन तक शुरू कर दिया है, जो लोकप्रिय हो रहा है.
भ्रष्टाचार
भाजपा विपक्ष को इस मुद्दे पर पूरे चुनाव के दौरान घेरती नजर आयेगी. चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं के घरों पर छापे में मिली नोटों की गड्डियों का जिक्र खुद प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में करते रहे हैं. वहीं, विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि छापे सिर्फ विपक्षी नेताओं पर पड़ते हैं, जो भ्रष्टाचारी भाजपा में शामिल हो जाता है, उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती. ऐसे हमले विपक्ष की ओर से लगातार किये जायेंगे.
बेरोजगारी
बेरोजगारी का मुद्दा भी विपक्ष चुनाव के दौरान जम कर उठा सकता है. भर्ती परिक्षाओं में होने वाले पेपर लीक का मुद्दा भी चुनाव के दौरान विपक्ष द्वारा उठाया जायेगा. वहीं, सत्ता पक्ष विभिन परीक्षाओं में पेपर लीक के बाद सरकारों द्वारा की गयी कार्रवाई को गिनायेगा. कांग्रेस पहले ही सेना भर्ती योजना पर सवाल उठा चुकी है. राहुल गांधी 30 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने की घोषणा कर चुके हैं.
जातिगत जनगणना
राहुल गांधी से लेकर तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव तक विपक्ष के ज्यादातर नेता जातिगत जनगणना के मुद्दे को उठाते रहे हैं. चुनाव के दौरान भी विपक्ष इस मुद्दे पर सत्ताधारी भाजपा को घेरने की कोशिश करेगा. वहीं, भाजपा इस मुद्दे पर लगातार कहती रही है कि देश में केवल चार जातियां होती हैं. ये जातियां गरीब, किसान, महिला और युवा हैं. चुनाव के दौरान ऐसे ही दावे प्रतिदावे किये जाते रहेंगे.
Also Read : चुनाव की घोषणा के साथ ही रांची में आचार संहिता लागू, जुलूस व धरना-प्रदर्शन पर रोक
सीएए
सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) की अधिसूचना जारी हो चुकी है. भाजपा शुरू से ही कहती रही है कि वह सीएए लागू करके अपने पड़ोसी देशों से आये हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करेगी. ऐन चुनावों के पहले इसे लागू करके भाजपा बहुत बड़ी माइलेज लेने की फिराक में है. विपक्ष का आरोप है कि ऐन चुनाव के मौके पर जानबूझकर सरकार इस कानून को लागू कर रही है इसलिए इसका मंतव्य स्पष्ट है.
राष्ट्रवाद
राष्ट्रवाद हमेशा से ही भारतीय राजनीति में चुनावी मुद्दा रहा है. भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को लेकर हर बार कांग्रेस और दूसरी पार्टियों को घेरती रही है. पार्टी का हर नेता विपक्ष को राष्ट्रवाद के मुद्दे पर घेरता दिख रहा है. वहीं कांग्रेस समेत पूरा विपक्षी गठबंधन भी खुद को राष्ट्रवाद के साथ खड़ा दिखाने की कोशिश कर रहा है. पर कुछ खास मौकों पर विपक्ष को राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कमजोर पड़ते भी देखा गया है.